चाणक्य को आखिर कौन नहीं जानता है। चाणक्य एक ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति (Influential person) थे जिनका नाम मात्र ही काफी था। ये एक महान ज्ञानी थे जिन्होंने एक बच्चे को भारत का छत्रपति राजा बनाया था। जी हाँ आचार्य चाणक्य ने राजा चन्द्रगुप्त को बचपन से अपनी सूझ-बुझ के जरिये एक ऐसा राजा बनाया जिसकी असल में प्रजा को जरुरत थी। बोहोत से लोग आचार्य चाणक्य के सिद्धांतों (Principles of Acharya Chanakya) और उनके कहे हुए वाक्यों को अपने जीवन में अपना चुके हैं। हालाँकि चाणक्य की नीतियाँ स्कूल और कॉलेज में भी अध्ययन के लिए अपनायी जाती हैं।
दरअसल चाणक्य ने अपने शिष्य चंद्रगुप्त को उन्हीं के मामा जी से खूब सारा धन देकर खरीद लिया था। चंद्रगुप्त के मामा चन्द्रगुप्त से दास की तरह काम करवाते थे। इसलिए चन्द्रगुप्त को उनके मामा के चंगुल से छुड़ाने के लिए चाणक्य ने उन्हें अपने पास बुला लिया है। चाणक्य ने अपनी नीतियों के जरिये चन्द्रगुप्त को शिक्षित किया है ( Chanakya has educated Chandragupta through his policies )।
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चाणक्य रोज चन्द्रगुप्त के भोजन में जहर देते थे (Chanakya used to mix poison in the food of King Chandragupta)। हालाँकि वो ऐसा इसलिए करते थे ताकि अगर कभी कोई दुश्मन द्वारा चंद्रगुप्त को विषैला प्रदार्थ देकर मारने की कोशिश की जाये तो जहर का उन पर ज्यादा असर न हो पाए। हररोज चन्द्रगुप्त के खाने में जहर देते थे जिससे शरीर जहर के लिए पहले से ही तैयार हो जाये। हालाँकि चाणक्य की इस बात के बारे में किसी को भी कुछ भी पता नहीं था ये बात सिर्फ चाणक्य जानते थे।
एक बार चन्द्रगुप्त के भोजन में किसी ने विषैला प्रदार्थ मिला दिया और वो भोजन उनकी पत्नी ने गर्भावस्था के दौरान खा लिया था। जब ये बात चाणक्य को पता चली तो उन्होंने सिंहासन के उत्तराधिकारी बिंदुसार को बचाने के लिए उसकी मां के गर्भ को फाड़ दिया, जिससे रानी की तुरंत ही मौत हो गई थी। चाणक्य से ईर्ष्या रखने वाले धूर्त मंत्री सुबंधु ने इस कहानी को पूरी तरह से बदलकर बिन्दुसार के मन में चाणक्य के खिलाफ जहर पैदा कर दिया (Accused of murder of Chandragupta’s wife)।