जैसे जैसे लोकसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं, वैसे वैसे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सातों सीटों का तापमान भी बढ़ता जा रहा है. कई दिनों से रह रहकर सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और पूर्व की सत्ताधारी कांग्रेस के बीच गठबंधन की खबरें आ रही थी. खुद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन को इच्छुक थें लेकिन उनकी उम्मीदों पर कांग्रेस पार्टी ने पानी फेर दिया है. कांग्रेस के भी कई नेता गठबंधन चाहते थें लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने इसका पुरजोर विरोध किया.
दिल्ली की सभी सातों सीटों पर पंजाबी, सिक्ख, मुस्लिम, वैश्य और यूपी, बिहार के वोटर ही यह तय करते हैं कि कौन प्रत्याशी यहां से जीतकर संसद पहुंचेगा. पिछले चुनाव तक ये सभी वोटर कांग्रेस के मजबूत हाथ हुआ करते थें. तत्कालीन शीला दीक्षित इन समुदायों की सर्वमान्य नेता हुआ करती थी. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की रथ पर सवार होकर आए अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के इन पारंपरिक वोटरों को जड़ से उखाड़ दिया. फिलहाल दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा के सांसद हैं. 2009 में ये सातों सीटें कांग्रेस के कब्जे में थी.
देश के अन्य प्रदेशों की बजाय दिल्ली के वोटर थोड़े ज्यादा जागरुक है. वैसे दिल्ली में नरेंद्र मोदी के समर्थक भी बड़ी संख्या में हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव पूरी तरह से साफ हो चुकी कांग्रेस के समर्थक भी कोई कम नहीं है. अब दिल्ली के भाजपा विरोधी मतदाताओं के दिमाग में यह बात पूरी तरह से साफ हो गया है कि आम आदमी पार्टी सिर्फ एक शहर की पार्टी है. अगर भाजपा को सत्ता से बाहर करना है तो कांग्रेस की ओर लौटना होगा. भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस ही विकल्प है.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष बनने के बाद पूर्व सीएम शीला दीक्षित भी पूरे एक्शन में हैं. एक बार फिर से वो अपने पुराने परंपरागत वोटरों को साधने में जुट गई है. हर गली मोहल्लों में कांग्रेस की छोटी बढ़ी बैठकें आयोजित होने लगी है. जिलाध्यक्ष से लेकर ब्लॉक अध्यक्ष तक डोर टू डोर अभियान चला रहे हैं. शत प्रतिशत बूथ कमिटियों का काम दिल्ली कांग्रेस ने पूरा कर दिया है. अभी तक कांग्रेस के उम्मीदवारों का ऐलान नहीं हो पाया है, बावजूद कांग्रेस का चुनाव अभियान जोरों पर है. बताते चलेंं कि पिछले विधानसभा में शून्य पर आउट होने वाली कांग्रेस का वोट लगातार वापस आता जा रहा है. न्यूज चैनल्स और सर्वे एजेंसियों के मुताबिक इस बार दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर होगी.