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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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कुछ इस तरह से मोदी और शाह ने कर दिया आडवानी युग का अंत, वो प्लानिंग जो आप नहीं जानते होंगे

नई दिल्ली: कुछ दिनों पहले की बात है सोशल मीडिया में एक तस्वीर वायरल होती है| दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी को खड़ा करने वाला शख्स लालकृष्ण आडवानी, पीएम मोदी के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं| इस तस्वीर को देखने के बाद कई सारे नेताओ के तंज आये तब इसके अलग अलग मायने निकाले गए| लेकिन जब बीते दिन बीजेपी ने 184 लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो उससे ये तय हो गया की ये तस्वीर महज तस्वीर नहीं बल्कि एक युग के अंत होने की गवाही थी| आडवानी को टिकट ना देना बीजेपी के एक युग का खत्म होना है| कहते हैं जो रिश्ता निभ नहीं सकता उसे खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ देना चहिये लेकिन यहाँ दर्दनाक मोड़ पर अंत हुआ| कुछ ऐसे  प्लान हुआ ये सब-

  • मार्गदर्शक मंडल में भेजा जाना

अमित शाह और मोदी जैसे ही बीजेपी में पूरी तरह से सक्रिय हुए तो इन्होने पार्टी के बड़े नेताओ को किनारे लगाना शुरू कर दिया| सबसे पहले निशाने में आये मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवानी| जोशी पर उतना ध्यान नहीं गया लेकिन आडवानी के मार्गदर्शक मंडल में जाने से हलचल मची| एक नेता जिसने साइकिल में चलकर बीजेपी को खड़ा किया उसे आज मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया| ये शुरुआत थी आडवानी युग के खात्मे की|

  • मंत्री ना बनाना

इतना बड़ा नेता, पार्टी का पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी जैसे नेताओ को बनाने वाले लालकृष्ण आडवानी को कोई भी मंत्रालय नहीं दिया जाता है| जब उनकी पार्टी गठबंधन से सरकार बनाती थी तब वो गृह मंत्री हुआ करते थे लेकिन जब आज पार्टी बहुमत से आई तो महज एक सांसद बनकर रह गए| मंत्री रहते तो मीडिया में आते और चर्चाएँ होती लेकिन इससे भी अलग कर दिया गया|

  • राष्ट्रपति पर चर्चा नहीं

मार्गदर्शक मंडल में जाने और मंत्री ना बनने के बाद एक उम्मीद थी की मोदी और शाह अपनी ये गलती आडवानी को राष्ट्रपति बनाकर सुधार लेंगे| लेकिन ऐसा नहीं हुआ| सोशल मीडिया में फिर एक तस्वीर वायरल हुई जिसमे आडवानी राष्ट्रपति के लिए वोट डालते नजर आ रहे हैं| वो तस्वीर एक युग के अंत में पहुच जाने की गवाही थी| आडवानी राष्ट्रपति नहीं बने और वो पूरी तरह से दरकिनार होने लगे|

  • टिकट ना दिया जाना

जिसने पार्टी खड़ी की और जिसके नाम की कसमे हर कोई खाता था उसका नाम पहली लिस्ट में नहीं आया| उसकी जगह वर्तमान अध्यक्ष को लड़ाया जा रहा है| ये खात्मा है आडवानी के युग का| अटल के साथ काम करके, जमीन में सोकर, साइकिल में चलकर संघ की सहायता से बीजेपी को मजबूत बनाने वाला नेता आज खुद का टिकट कटता हुआ देखकर कितना रोता होगा|

हो सकता है एक दिन मोदी और शाह को कोई इनके जैसा मिले जो इनके साथ भी ऐसा ही करे| क्योकि इतिहास पलटता जरूर है और हर एक बात का हिसाब रखता है|

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.