नई दिल्ली:
किसी विपक्ष के नेता ने कहा था कि ये मौजूदा सरकार योजनायें सही तरीके से डिलीवर करें या ना करें लेकिन नाम बड़े गजब ढूढ़ कर लाती है| ऐसे ही एक नाम सामने आया आयुष्मान भारत योजना जिसके तहत गरीबो को मेडिकल कवर दिया जाना था| लेकिन इस पोल खोल गई जब बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत हुई| आखिर केंद्र की झोली में 39 सीटें डालने वाले बिहार में आयुष्मान भारत योजना फेल क्यों हुई|
ये है हकीकत–
संसद के मौजूदा सत्र के दौरान लोकसभा में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने जो आंकड़े दिए हैं, उससे पता चलता है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत 16 जून 2019 तक कुल 23.26 लाख क्लेम का निपटारा किया जा चुका है और कुल 3,077 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं| गुजरात को इसके तहत सबसे ज्यादा 641 करोड़ रुपए मिले हैं| इसके बाद छत्तीसगढ़ (379 करोड़ रु.), कर्नाटक (268 करोड़ रु.) और तमिलनाडु (349 करोड़ रु.) को इस योजना से सबसे ज्यादा पैसा मिला| वहीं, जिस बिहार में बीपीएल परिवारों की विशाल संख्या है| इसके बावजूद, आयुष्मान भारत से वहां सिर्फ 39,943 क्लेम मंजूर हुए और कुल 35.58 करोड़ रुपए ही दिए गए| यूपी को इस योजना से सिर्फ 117 करोड़ रुपए मिले, जहां बीपीएल परिवारों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है| पश्चिम बंगाल एक और फिसड्डी राज्य है, जहां आयुष्मान भारत योजना के तहत सिर्फ 14 करोड़ रुपए पहुंचे|
गरीब राज्यों के लिए नहीं आयुष्मान–
ये योजना गरीब राज्यों में प्रभावी नहीं हो सकती हैं| अगर होती तो बिहार में इतना कम पैसा नहीं जाता और इतने बच्चों की मौत नही होती| दरअसल इस योजना में 40% पैसा राज्य को देना पड़ता है| अब जो राज्य गरीब हैं और पहले से ही उनके ऊपर कर्ज चढ़ा है वो इस पैसे को दे ही नहीं सकेंगे| तो ऐसे में लोगों को फायदा कहाँ से मिलेगा| तो फिर बच्चों की मौत होती रहेगी| बिहार सबसे अधिक पिछड़े राज्यों में आता है जहाँ पलायन और भुखमरी बहुत है| ऐसे में मंहगी योजना का लाभ मिलना तो दूर ये राज्य इसके बारे में सोच भी नहीं सकता है| इसके अलावा दूसरी गलती इसमें हैं कि सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में भरोसा कर लिया कि वो मरीजों का ध्यान अच्छे से रखेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा| इसके अलावा बिहार में प्राइवेट अस्पतालों का तंत्र भी उतना मजबूत नहीं है|
बिहार ने तो बहुमत दिया था ना–
बिहार जिसमे जी खोल के एनडीए की झोली में सबसे अधिक सीटें दाल दी| बात चाहे बीते लोकसभा चुनावों की हो या फिर इस लोकसभा चुनाव कि दोनों बार ऐसा ही हुआ| लेकिन उसी बिहार में बच्चे चमकी बुखार से मर गए लेकिन सरकार को जरा सी भी इसकी सुध नहीं आई कि उन बच्चों को कैसे बचाया जा सकता है|