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लोकसभा चुनाव के बाद इस बड़े राज्य में होगी कांग्रेस में बगावत

लोकसभा चुनाव में चाहे परिणाम जो भी आए लेकिन जिस तरह का माहौल बिहार कांग्रेस में बनता जा रहा है, उसके बाद इस प्रदेश में कांग्रेस में बगावत या फिर महाभारत होना तय माना जा रहा है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह बिहार कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह की बढ़ती महत्वाकांक्षा है.

बेटे को दिलाया रालोसपा का टिकट

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अखिलेश के कंधों पर चुनाव अभियान की कमान सौंपी है और अखिलेश अपने बेटे को कंधे पर उठाए घूम रहे हैं. अखिलेश ने अपने बेटे आकाश प्रसाद सिंह को उपेंद्र कुशवाहा की पाटी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से मोतिहारी का टिकट दिला दिया है. इसको लेकर राज्य भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओ में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. वहीं उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के नेता भी इस फैसले से नाराज दिख रहे हैं क्योंकि आकाश तो रालोसपा के सदस्य तक नहीं है फिर उन्हें लोकसभा का टिकट भी थमा दिया गया.

बड़े बड़े महारथी बेटिकट

इस बार के महागठबंधन में ज्यादा दलों के शामिल हो जाने की वजह से राजद और कांग्रेस के बड़े बड़े महारथियों के टिकट कट गए. केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद, भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व क्रिकेटर कीर्ति झा आजाद, राजद में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ कांति सिंह, मोहम्मद अली अशरफ फातमी, आलोक मेहता आदि भी टिकट से वंचित रह गए लेकिन अखिलेश ने चतुराई से अपने 27 वर्षीय पुत्र को राजनीति में सेट कर दिया. कांग्रेस ने सही सहयोगी रालोसपा से. चुनाव निशान पंजा की जगह पंखा.

वो आएं और छा गए

2004 में मोतिहारी से राजद के टिकट पर जीतने के बाद अखिलेश को लालू प्रसाद यादव ने मनमोहन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया. 2009 में उन्हें इस सीट पर पराजय का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद अखिलेश कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस में शामिल होने के बाद तो अखिलेश बिहार कांग्रेस पर भारी पड़ने लगें. शीर्ष नेतृत्व से नजदीकियां बढ़ गई. 2014 में मुजफ्फरपुर से लोकसभा का टिकट मिल गया. बड़े अंतर से हारें. 2015 में तरारी से विधानसभा का टिकट मिला, महागठबंधन की लहर में भी तीसरे नंबर पर चले गए. इसके बाद राज्यसभा पहुंच गए और फिर कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष भी बन गए.

बिहार कांग्रेस में बगावत तय

बेटे को टिकट दिलाकर अखिलेश ने कांग्रेस में मुसीबत भी मोल ली है. प्रदेश कांग्रेस के अधिकांश नेता उनके विरुद्ध मोर्चा खोलने की तैयारी में है. बस चुनाव बीतने का इंतजार किया जा रहा है. वहीं बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा पर भी कांग्रेसी हत्थे से उखड़े हुए हैं.