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सरकार बहादुर उठो और विमानन कंपनियों को 56 इंची मदद दो

कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनिया भर की विमानन कंपनियों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। जिस वजह से कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को निकालना शुरु कर दिया है।
Logic Taranjeet 30 July 2020
सरकार बहादुर उठो और विमानन कंपनियों को 56 इंची मदद दो

कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनिया भर की विमानन कंपनियों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। जिस वजह से कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को निकालना शुरु कर दिया है। हाल ही में इंडिगो ने 2700 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। इसके पीछे यात्रियों की अनिश्चितता, कमजोर अर्थव्यवस्था और यात्रा पर लगे हुए बैन को कारण माना जा रहा है। मौजूदा हालात में कंपनी को चलाने के लिए मालिकों को ऐस कदम लेने पड़ेंगे, नहीं तो स्थिति और खराब होगी। इंडिगो के इतिहास में इतना दुखद कदम कभी नहीं लिया गया होगा।

सिर्फ इंडिगो को ही मार्च तक में 870.80 करोड़ का नुकसान हुआ था। ये नुकसान उस समय से पहले का है जब भारत में कोरोना वायरस की शुरुआत ही हुई थी। उस समय तक ज्यादा लोग हवाई यात्रा करने से नहीं कतरा रहे थे। अभी कंपनियों ने लॉकडाउन के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि साल 2020 की पहली तिमाही में कोरोना वायरस के चलते इंडिगो को 2700 करोड़ रुपए और स्पाइस जेट को 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ होगा।

देश की अन्य विमानन कंपनियों का हाल

अन्य भारतीय कंपनियों की बात करें तो उनकी स्थिति तो और भी खराब होने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि ये सभी बीते कई सालों से लगातार घाटे में ही चल रही थीं। देश की सभी विमानन कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती, उन्हें बिना वेतन छुट्टी पर भेजने, कर्मचारियों को निकालने सहित खर्चों में कटौती के तमाम उपाय किए हैं।

एयर इंडिया ने अपने कर्मचारियों को बिना वेतन के पांच साल तक की छुट्टी पर भेजने का फैसला किया, तो वहीं गो एयर ने भी अप्रैल से अपने अधिकतर कर्मचारियों को बिना वेतन के अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया है। साथ ही उसने अन्य कर्मचारियों के वेतन में कटौती भी की है। इसके अलावा इसी महीने की शुरूआत में टाटा संस की हिस्सेदारी वाली विमानन कंपनी विस्तारा ने दिसंबर तक अपने करीब 40 फीसदी कर्मचारियों के वेतन में पांच से बीस फीसदी की कटौती की घोषणा की है।

सरकारी मदद की जरूरत क्यों?

जब मार्च में भारत में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की घोषणा की गयी थी, उसके कुछ रोज बाद ही विमानन मामलों के कई जानकारों और संस्थाओं ने भारत सरकार को विमानन कंपनियों को आर्थिक मदद देने की सलाह दी थी। इनका कहना था कि भारत की कई विमानन कंपनियों में सदी की इस सबसे बड़ी महामारी को झेलने की हिम्मत नहीं है इसलिए सरकार को इनका सहयोग करना चाहिए।

उस समय 290 एयरलाइंस कंपनियों के वैश्विक संगठन अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) ने अपने एक आंकलन में कोरोना वायरस के कारण भारत के विमानन और उससे जुड़े क्षेत्रों में भारी भरकम नुकसान की बात कही थी।

आईएटीए का कहना था कि लॉकडाउन से पैदा हुईं स्थितियों से भारतीय एयरलाइन कंपनियों के यात्री सेवा राजस्व में 8 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज होने की संभावना है। इसके चलते भारतीय एविएशन सेक्टर में 20 लाख से अधिक नौकरियों पर खतरा है। इसमें वो क्षेत्र भी शामिल हैं, जो विमानन पर निर्भर हैं। उस दौरान मोदी सरकार से गुहार भी लगाई गई थी, कि इस समय भारत सरकार को एयरलाइंस कंपनियों की आर्थिक मदद करनी चाहिए, ताकि इस मुश्किल वक्त से कंपनियां बाहर निकल सकें।

क्या कहते हैं आंकड़े

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के आंकड़ों के अनुसार भारतीय विमानन उद्योग को इस वित्त वर्ष में 24,000-25,000 करोड़ रुपये का घाटा होगा। इसमें एयरलाइंस के घाटे की हिस्सेदारी 70 फीसदी से अधिक यानी करीब 17000 करोड़ रुपये होगी। बाकी का नुकसान एयरपोर्ट ऑपरेटर्स और एयरपोर्ट रिटेलर्स को उठाना पड़ेगा।

सरकार को इसलिए भी विमानन क्षेत्र की मदद करनी चाहिए क्योंकि ये उद्योग देश की जीडीपी में हर साल 70 अरब डॉलर से ज्यादा का योगदान देता है और साथ ही भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और चार साल से दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन बाजार भी है। साल 2019 में भारतीय विमानन बाजार लगातार चौथे साल 18.6 फीसदी की दर से बढ़ा था।

ये सेक्टर पहले से ही घाटे में है और दो महीने के लंबे बंद ने अधिकांश एयरलाइंस की जमा पूंजी को खत्म कर दिया है। अभी आगे जल्द स्थिति सही होने वाली नहीं है। जमीन पर खड़े एयरक्राफ्ट के मेंटिनेंस में बहुत अधिक लागत आती है और ये तब किसी भी एयरलाइन कंपनी को बरबादी के मुंह में धकेलने के लिए काफी है, जब उसका राजस्व शून्य हो।

Taranjeet

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.