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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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जाने किस बात से है अखिलेश को डर ?

Politics Tadka Nikita Tomar 28 January 2019
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दरअसल जब अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए यूपी में गठबंधन का एलान किया था…तब ये एक बड़े गठबंधन के रूप में देखा जा रहा था…क्योंकि यूपी में सपा और बसपा अपना एक बड़ा महत्व रखती है…शायद यहीं वजह थी की राजनीति गलियारों में इस गठबंधन की चर्चा जोरों पर हुई…

तब इस गठबंधन की घोषणा में मायावती ने साफ कर दिया था कि कांग्रेस इस गठबंधन में हमारे साथ नहीं है…क्योंकि मायावती और अखिलेश अकेले राजनीति करने का सपना देख रहे थे…और कांग्रेस के यूपी में अच्छे परिणाम न आने से वे कांग्रेस को कमजोर समझ रहे थे…लेकिन वे ये भूल गए थे कि कांग्रेस देश में एक मजबूत पार्टी के रूप में जानी जाती है…

कांग्रेस फ्रंट फुड पर लड़ने को तैयार

दरअसल यूपी की राजनीति को कांग्रेस सीरियस ले रही है वो नहीं चाहती की यूपी में कांग्रेस का रिकॉर्ड हमेशा एक जैसा ही बने…इसलिए गठबंधन के बाद कांग्रेस ने फ्रंट में खेलने का निर्णय लिया और प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने का एक बड़ा और आश्चर्यजनक फैसला लिया…प्रियंका के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी आधे यूपी की जिम्मेदारी सौंप दी…कांग्रेस ने दो सिक्के चलने का निर्णय बहुत ही सोच समझकर लिया…क्योंकि जिसमें सिंधिया यूपी के गुजर्र और जाट वर्ग के वोटों को बंटोरने की कोशिश करेंगे…वहीं प्रियंका पूर्वी यूपी को संभालेंगी…और कांग्रेस ने दो भागों में जिम्मेदारी सौंप पर ये भी साफ कर दिया की यूपी में उन्हें हल्के में न ले…वे यूपी के लिए सीरियस हैं और उसे गठबंधन की कोई जरूरत नहीं…वह सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है…

अखिलेश का डर बना कांग्रेस का ट्रंप-कार्ड

नतीजे तो बाद में पता चलेंगे की कांग्रेस के अच्छे दिन लाने में प्रियंका और सिंधिया कामयाब हुए या नहीं…लेकिन निश्चित तौर पर कांग्रेस के ट्रंप-कार्ड ने गठबंधन को सोचने पर मजबूर कर दिया है…यहां तक की अब अखिलेश को कांग्रेस से भी डर लगने लगा है…तभी तो अखिलेश ने अब कहना शुरू कर दिया है कि अगर कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ लड़ना चाहती है तो उसे उत्तर प्रदेश में बने सपा और बसपा के गठबंधन का समर्थन करना चाहिएऔर वैसे भी हमने अमेठी और रायबरेली की सीट तो कांग्रेस के लिए पहले ही छोड़ दी है…

लेकिन अब अखिलेश साहब को कौन समझाए कि कांग्रेस अब केवल दो सीटों पर निर्भर रहने वाली नहीं है…अब कांग्रेस अकेले पूरी मजबूती के साथ बीजेपी का सामना करने को तैयार है…ये तो गठबंधनकर्ताओं को पहले सोचना चाहिए था…अब तो कांग्रेस ने अपना ट्रंप कार्ड चल दिया है…और रही बीजेपी की बात तो हमेशा की तरह सारा विपक्ष एक तरफ होने पर भी बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति तैयार करने से नहीं चूकेगी…

Nikita Tomar

Nikita Tomar

Journalist | Content Writer