साल 2020 कोरोना और इस वैश्विक महामारी से लड़ने वालों का साल माना जा रहा है। कोरोना से जंग में पूरी दुनिया जी-जान से जुटी हुई है लेकिन इस कोरोना संकट के बाद लॉकडाउन देश-दुनिया के करोड़ों-अरबों लोगों की जिंदगी खराब कर दी है। कोरोना ने उन्हें महानगर की जिंदगी और काम से दूर कर दिया था और ऐसे वक्त में एक सुपरहीरो की तरह सामने आए थे सोनू सूद। उन्होंने अपनी क्षमता अनुसार मुंबई से दूर जा रहे लोगों को घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया।
सोनू सूद ने अपनी दोस्त नीति गोयल, जो कि बिजनेसमैन हैं और लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों को खाना खिला चुकी हैं। इनके साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों को घर भेजने का अभियान शुरू किया। दरअसल सोनू सूद को इसकी मोटिवेशन एक खबर से मिली थी, उन्होंने पढ़ा कि मुंबई से पैदल उत्तर प्रदेश जाते हुए कई लोगो की मौत हो गई, इस खबर ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया और फिर उन्होंने सोच लिया कि अब घर पर नहीं बैठना है, बाहर निकलना है और बेसहारों की मदद करनी है।
सोनू सूद का ये काम काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन कहते हैं न कि जहां चाह, वहां राह। ऐसे में सोनू सूद ने कुछ अच्छे लोगों की टीम बनाई और प्रवासी मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था, खाना और दोनों राज्यों से परमिशन लेने के साथ ही सभी जरूरी सावधानियों का ध्यान रखते हुए खुद उन्हें विदा किया।
सोनू सूद की ये कोशिश रंग लाई और फिर अप्रैल से जून महीने तक सोनू बस, ट्रेन और यहां तक कि हवाई मार्ग से भी जरूरतमंदों को बिहार, यूपी, झारखंड, पंजाब, केरल समेत अन्य प्रदेश में भेजते रहे। सोनू के इस काम में उनकी दोस्त नीति गोयल के साथ ही कई संगठनों ने मदद की और इसी का परिणाम है कि एक लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर सुरक्षित अपने घर पहुंच पाए।
सोनू सूद ने जरूरतमंदों की मदद का जो सिलसिला बीते अप्रैल में चलाया था, अब उसका दायरा इतना बढ़ गया है कि लोग उन्हें इलाज कराने, किसी बेसहारा को आर्थिक मदद करने, रूस और किर्गिस्तान में फंसे भारतीय छात्रों को लाने से लेकर किसी गरीब के घर की छत मरम्मत करवाने तक के लिए ट्विटर पर मदद मांग रहे हैं और सोनू ज्यादातर लोगों को व्यक्तिगत रूप से जवाब देने के साथ ही उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन भी देते हैं।
सबसे खास बात तो ये है कि सोनू सूद इन लोगों की मदद कर भी रहे हैं। हो सकता है कि वो कुछ लोगों की मदद न कर पाएं, लेकिन जिस तरह सोनू सूद जरूरतमंदों के घर का पता भेजने या उनके बारे में ज्यादा जानकारी देने की अपील सोशल मीडिया पर करते हैं, ये वाकई काबिल-ए-तारीफ और साथ ही बहुत ज्यादा प्रेरणादायी भी है।
ऐसा उदाहरण कम ही देखने को मिलता है कि एक इंसान पर देशभर के हजारों-लाखों लोगों की उम्मीदें टिकी हैं और वो इंसान अपनी क्षमतानुसार सबकी मदद भी करता है। शुक्र है कि दुनिया में अच्छे इंसानों की कमी नहीं है जो सोनू की इस कोशिश में उनकी मदद कर पा रहे हैं।
अक्सर ये सवाल उठता है कि इन कामों में सोनू सूद किसी की मदद ले रहे हैं या नहीं? आपको बता दें कि जब सोनू सूद प्रवासी मजदूरों को बस, ट्रेन या फ्लाइट से घर भेज रहे थे तो उनकी दोस्त नीति गोयल इस काम में उनकी पूरी तरह से मदद कर रही थी।
अब जब कीर्गिस्तान में फंसे 1500 भारतीय छात्रों को लाने की बात हुई तो स्पाइसजेट एयरलाइन ने इस नेक काम के लिए सोनू सूद की मदद की। सोनू सूद को लोग पैसों से भी मदद करना चाहते हैं और सोशल मीडिया पर उन्हें ढेरों लोग मदद देने की अपील करते हैं, लेकिन सोनू सूद हमेशा कहते हैं कि हमारी आर्थिक मदद करने से अच्छा अपने आसपास कुछ जरूरतमंदों की मदद कर दीजिए, मुझे लगेगा कि आपने मेरी मदद कर दी।
सोनू सूद की इस दरियादिली के बारे में जो कोई सुनता है, उसके दिल से इस दरियादिली इंसान के लिए दुआ ही निकलती है और ऐसी ही लाखों लोगों की दुआएं सोनू को परोपकार के रास्ते पर ऐसे ही निरंतर बढ़ने की हौसला देती है।
बीते कुछ दिनों की बात है, सोनू सूद को ट्विटर पर टैग कर झारखंड स्थित धनबाद के गांव से एक बच्चे की तस्वीर शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा कि खाना बनाते समय इस बच्चे का हाथ जल गया, क्या आप इसका इलाज कराने में मदद कर सकते हैं, सोनू सूद ने कुछ ही देर में रिप्लाई करते हुए कहा कि वो इस बच्चे का इलाज कराने में मदद करेंगे।
इसी तरह बिहार के शरीफ जिले से एक यूजर ने सोनू सूद को ट्विटर पर टैग करते हुए लिखा कि मेरे गांव में मंटू पासवान नामक सीआरपीएफ जवान को ब्लड कैंसर हो गया है, लेकिन वो अपना इलाज कराने में सक्षम नहीं है, इस पर सोनू सूद ने उन्हें रिप्लाई करते हुए कहा कि भाई ये हमारे देश का जवान है, आप निश्चिंत रहिए उन्हें फिर से फिट करने का जिम्मा मेरा, तैयारी रखिये, आपसे संपर्क कर रहें हैं।
यही नहीं, ऐसे कई लोग सोनू सूद से हॉस्पिटल खर्च के लिए, कोरोना पीड़ित को हॉस्पिटल में बेड दिलाने के लिए और अन्य कई तरह की सहायता के लिए मेसेज करते हैं और सोनू सूद उन्हें रिप्लाई करते हैं। हालांकि, इनमें से कितनों को मदद पहुंचती है, ये विश्वास की बात है।
अब बात उठती है कि सोनू सूद इतने लोगों की मदद कैसे कर पाते हैं या इतना पैसा कहां से लाते हैं। इसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इतना पता है कि उनकी टीम को कई संगठन मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और खुद नीति गोयल और सोनू इतने संपन्न हैं कि लाख-दस लाख या करोड़-दस करोड़ इन परोपकारी कार्यों पर खर्च कर सकते हैं।
वैसे ही कहा जाता है कि जब मानवता की भलाई और जरूरतमंदों की मदद को एक हाथ उठता है तो फिर उस हाथ के नीचे सैकड़ों-हजारों हाथ सहारे के रूप में रहते हैं और लोगों के लिए कल्याणकारी कार्य होता जाता है। दया भाव और परोपकारिता का ऐसा काम है कि अगर आपने इस दिशा में एक कदम बढ़ा दिया तो फिर आपका अनुसरण करते हुए हजार कदम आपके साथ खड़े हो जाएंगे।
अब तो सोनू लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही सोनू सूद ने ट्वीट किया और कहा कि अब रोजगार की बारी है। तो कह सकते हैं कि जिन लोगों को सोनू ने घर भेजा था अब उन्हें रोजगार देने की कोई योजना बनाई जा रही हो।