दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र जब नींद से जागा तो उसने देखा की दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र की धज्जियां उढ़ गई है। अमेरिका में ट्रंप और ट्रंप के समर्थकों के द्वारा जो भी किया जा रहा है लंबे समय से वो अमेरिका जैसे देश के लिए बेहद शर्मनाक है। खासकर जो भी अमेरिकी संसद में हिंसक घटनाएं हुई वो शायद अमेरिका के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे काला दिन होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस भीड़ को उकसाने वाले भी खुद ट्रंप ही। ट्रंप सत्ता की भूख में अंधे है और इस हद तक जा गिरे है कि वो एक जिद्दी बच्चे की तरह बर्ताव कर रहे हैं। हर गलत तरीका आजमाने और सबमें नाकामयाब होने के बाद भी ट्रंप नहीं मान रहे हैं। इस हिंसक घटना में 4 लोगों की जान भी चली गई है।
ट्रंप महीनों से अड़े बैठे हैं और अब तो उनके समर्थक भी संसद में साथ छोड़ गए हैं। ट्रंप के समर्थक संसद में घुस कर जिस तरह का बर्ताव कर रहे थे वो काफी दुर्भाग्यपूर्ण था, उसमें ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण था भारत का तिरंगा होना। संसद के संयुक्त अधिवेशन में बेशक जो बाइडेन को राष्ट्रपति चुन लिया गया है और इस सबके बाद ट्रंप ने भी मान लिया है कि वो हार गए हैं। यहां तक की ट्रंप के दोस्त और हमारे देश के वजीर-ए-आजम नरेंद्र मोदी तक ने इस हिंसा की निंदा कर दी है। इन सबके बाद एक डर बैठ रहा है कि अगर भारत में भी ऐसा हुआ तो क्या होगा।
भारत में तो ट्रंप से ज्यादा अंधभक्ति है और नरेंद्र मोदी के समर्थक कितने महान है ये तो सब जानते ही है। तो सोचिये की अगर कहीं 2024 में नरेंद्र मोदी चुनाव हार गए तो उनके समर्थक क्या हाल करेंगे? ये वो लोग है जो कहते हैं कि पेट्रोल चाहे 200 रुपये लीटर हो जाए लेकिन वोट मोदी को ही देंगे, चाहे भूखे रहना पड़े लेकिन जीतेगा तो मोदी ही। अब सोचिये अगर मोदी हार गए तो ये लोग क्या करेंगे? भारत में जो दृश्य होगा, उसकी कल्पना करना भी असंभव है। यहां पर सब कुछ पूरी तरह से एक आदमी की मुट्ठी में आ चुका है, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था।
नरेंद्र मोदी के समर्थक उनकी हर बात को पत्थर की लकीर मानते हैं, फिर चाहे वो नोटबंदी था या उनकी कोई भी बनाई हुई कहानी होती है। सबसे बड़ी बात है कि सत्ता बदलने में सबसे बड़ा किरदार विपक्ष और मीडिया निभाता है, भारत में ये दोनों ही सबसे कमजोर है। क्योंकि विपक्ष का जो हाल मोदी-शाह समेत पूरी भाजपा ने कर दिया है वो सबके सामने हैं।
वहीं अगर मीडिया की बात करें तो वो तो अपने सबसे शर्मनाक स्तर पर पहुंच गई है। मीडिया का काम सच्चाई सबके सामने लाना है लेकिन आज मीडिया सरकार की प्रवक्ता बनी बैठी है। ऐसे में अगर कहीं गलती से सत्ता परिवर्तन हो भी गया तो उकसावा कितना ज्यादा होगा। जहां एक छोटे से वाक्या से लोग जान लेने पर उतारू हो जाते हैं तो यहां तो बात मोदी सरकार के सत्ता से जाने की है। तो कल्पना करो की क्या होगा?