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मिलिये ऑटो वाली डॉक्टर से जो रोज कर रही हैं इंसानियत की मिसाल पेश

Motivation Komal Yadav 15 May 2021
मिलिये ऑटो वाली डॉक्टर से जो रोज कर रही हैं इंसानियत की मिसाल पेश

कोरोना वायरस ने लोगों को पिछले 15 महीनों से जिंदगी मौत के बीच फंसा दिया है। लोग दर दर भटक रहे हैं। कोई परिवार ऐसा नहीं होगा जिसने किसी जानने वाले को नहीं खोया होगा। कोरोना ने ना जाने कितने बच्चों को अनाथ कर दिया है। ना जाने कितने मां-बाप से बच्चे छीन लिए हैं। ये दौर जो 15 महीनों से चल रहा है, ये बेहद खराब वक्त है। जो ना जाने कब खत्म होगा।

इस दौर में इंसान की उम्मीद इंसान से ही लगी हुई है। सरकारों से ज्यादा इस वक्त लोग जान बचा रहे हैं। चाहे तो प्लाज्मा डोनेट कर के जान बचाई जा रही है। या फिर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को ऑक्सीजेन, वेंटिलेटर, बेड की जरूरत को पूरा करवा रहे हैं। कुछ लोग दिन रात जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। 

ऑटो वाली डॉक्टर रोज कर रही इंसानियत की मिसाल पेश

ऐसी ही एक है ऑटो वाली डॉक्टर। जी हां आटोवाली डॉक्टर यानी की डॉ. सोबिया अंसारी और डॉ. रुखसार शेख यूनानी मेडिकल ऑफिसर हैं, जो आटोवाली डाक्टर के नाम से सुर्खियां बंटोर रही है। कोरोना संक्रमण के इस नाजुक दौर में अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों के इलाज के लिए रोजाना ऑटो से ही इंदौर से उज्जैन तक आना जाना करती हैं। पिछला पूरा महीना रमजान का था जिसमें वो रोजा रख कर अपने इस नेक काम को करती थी। वो भी इस वक्त में जब 35 से 41 डिग्री तापमान हो रहा है। ऐसे में वो रोजे की परंपरानुसार खाना छोड़ एक बूंद पानी भी पीए बिना। इन हालातों में भी जुबान पर सिर्फ एक प्रार्थना है कि देश कोरोना मुक्त हो और जनजीवन पहले की तरह सामान्य।

डॉ. सोबिया और डॉ. रुखसार दोनों सहेलियां हैं। दोनों इंदौर की रहने वाली हैं और इनकी नियुक्ति 3 महीने पहले ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत उज्जैन जिला चिकित्सालय में बतौर मेडिकल ऑफिसर हुई थी। वो पहले बस से उज्जैन-इंदौर अपडाउन कर लिया करते थे। ये दोनों डॉक्टर इंदौर में रहने के लिए मकान देख रही थी तभी कर्फ्यू लग गया और फिर रमजान भी शुरू हो गया था। डाक्टरी पेशे के प्रति फर्ज निभाना था इसलिए बिना एक भी दिन की छुट्टी मनाए बस न मिलने पर आटो से आना जाना शुरू कर दिया।

रोजाना 800 रुपये का खर्चा करती हैं

ये दोनों डॉक्टर  15 अप्रैल से आटो से ही आना जाना करती हैं। इसमें रोज 800 रुपये का खर्चा होता है। लेकिन वो दोनों इस बात की खुशी मनाती है कि इससे ऑटो वाले का भला होता है और दोनों की ड्यूटी फिलहाल उज्जैन के सांदीपनि चौराहा स्थित सेंट झेवियर स्कूल परिसर में संचालित माधवनगर अस्पताल की ओपीडी में लगी है। जहां मरीजों की स्क्रीनिंग कर उन्हें आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रतिदिन 150 से 200 मरीजों को देख रहे हैं। उज्जैन आने के लिए सुबह सहरी कर 6 बजे घर से निकल जाती हैं। ऑटो वाला पहले घर से डॉ. रुखसार को पिक करता है फिर डॉ. सोबिया को। अभी मजबूरी में रोजाना आना जाना पड़ता है क्योंकि उज्जैन में न घर है और अलग रहने को सामान भी नहीं है। हालात पहले की तरह सामान्य होते ही ये दोनों डॉक्टर वहीं पर घर लेकर रहेंगी।

पुलिस ने पकड़ लिया था ऑटो

पिछले हफ्ते जब दोनों डॉक्टर आटो से उज्जैन आ रही थीं तो माधवनगर पुलिस ने आटो को जब्त कर लिया था। पुलिस वालों को बताया था कि हमारी यहां पर ड्यूटी है और मजबूरी में गाड़ी न होने से ऑटो से आ रहे हैं, फिर भी उन्होंने इन लोगों की एक नहीं सुनी। उनका कहना था कि ऑटो वाले के पास अनुमति पत्र होना चाहिये। मामला माधवनगर अस्पताल में पदस्थ डा. संजीव कुमरावत तक पहुंचा और उन्होंने लायंस क्लब के एक साथी की मदद से ऑटो को छुड़वाया और ऑटो वाले को आने जाने का पास भी दिलाया।

Komal Yadav

Komal Yadav

A Writer, Poet and Commerce Student