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क्या है अयोध्या विवाद पर मोदी सरकार का प्लान ?

लोकसभा चुनाव को लेकर हर पार्टी पूरी मेहनत से काम करने में लग गई है…फिर भला सत्तारूढ़ पार्टी कैसे पीछे रह सकती है…कांग्रेस ने किसान कर्ज माफी का दाव चलकर तीन बड़े राज्यों में जीत हासिल की…तो वहीं यूपी का बागडोर प्रियंका और सिंधिया के हाथ में देदी…

अब ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि इसपर सत्ताधारी बीजेपी सरकार, लोकसभा की तैयारियां किस प्रकार से कर रही है…

सबसे पहले तो बीजेपी की चाल थी कि कैसे भी शीतकालीन सत्र में ज्यादा से ज्यादा विवादास्पद मुद्दों पर विधायक पास हो जाए ताकि मतदाताओं को अपने हक में लेने में आसानी होगी…ये सारे दाव 5 साल में अब अपनी चरम सीमा पर पहुंचे जबकि लोकसभा चुनाव पास है…

इसमें विवादों के बाद भी मोदी सरकार तीन तलाक विधायक पास करवाने में कामयाब रही…और सबसे बड़ी जीत मोदी सरकार की सवर्ण आरक्षण…जो कि मतदाताओं को सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए अच्छा विकल्प है…सवर्ण आरक्षण को जैसे गुजरात, यूपी, मध्यप्रदेश में लागू भी कर दिया गया… और तो और रेलवे वह विभाग बना जिसने सबसे पहले सवर्ण आरक्षण के नियमों को भर्तियों में लागू करने का निर्णय लिया…तो निश्चित तौर पर मोदी सरकार को इसका फायदा तो आने वाले लोकसभा चुनाव में मिलने वाला है…कितना मिलेगा ये समय पर छोड़ देना ही उचित होगा….

जहां सभी जैसे प्रवीण तोगड़िया भी सरकार में आने के बाद एक सप्ताह में राममंदिर के निर्माण का दावा कर रहे हैं…वहीं देश की आस्था से जुड़े सबसे बड़े मुद्दे अयोध्या विवाद पर मोदी सरकार की नजर है…क्योंकि यह एक ऐसा मुद्दा है जो कि मोदी सरकार के पक्ष में वोटों की लाइन लगा सकता है…

राममंदिर के लिए पीएम मोदी ने चला बड़ा दाव

रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करदी है…और बड़ी चालाकी से कहा कि अयोध्या में विवादित स्थान को छोड़कर बाकि की जमीन रामजन्मभूमि न्यास को दे दी जाए…और जिस जमीन पर विवाद है वह सुप्रीम कोर्ट अपने पास रखे…यानि की यहां सरकार की मंशा ये है कि जो जमीन फिर रामजन्मभूमि न्यास को दी जाएगी उसपर मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू किया जा सकेगा…इसपर हिन्दूवादी संस्थाओं में खुशी का माहौल है…और हो भी क्यूं न देश की आस्था से जुड़ा हुआ ये मुद्दा बहुत ही महत्वपूर्ण है…

जानिए क्या है विवादित जमीन का समीकरण

दरअसल अयोध्या में रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के चलते 70 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के पास है…और इसी भूमि के 2.77 एकड़ भाग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था…पूरा विवाद केवल 0.313 एकड़ हिस्से पर है…और सुप्रीम कोर्ट ने इस जमीन पर 1993 में स्टे भी लगाया था…ताकि विवादों के चलते यहां किसी भी तरह का कोई निर्माण कार्य न किया जा सके…

अब मोदी सरकार ने इसके लिए रणनीति को तैयार करली है….लेकिन अब देखना ये है कि क्या याचिका पर कोई ऐसा निर्णय निकलेगा जिससे राममंदिर का निर्माण शुरू हो जाए…अगर ऐसा होता है तो सरकार को इसका एक बड़ा फायदा तो मिलना निश्चित है…सारी हिन्दूवादी संस्थाएं, साधु-संत और आस्था वाले लोगों के वोट मोदी सरकार के पक्ष में आने से कोई नहीं रोक सकता…