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भारत रत्न आडवाणी को क्यों नहीं…

भारत रत्न के लिए इस बार तीन हस्तियों के नामों का ऐलान किया गया… जिसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, गायक भूपेन हजारिया और समाजसेवी नानाजी देशमुख को स्थान मिला… राजनीति के क्षेत्र में प्रणव मुखर्जी को, संगीत के क्षेत्र में भूपेन हजारिया को और समाज सेवा के क्षेत्र में नानाजी देशमुख को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया….

लेकिन अब यहां सवाल ये है कि भारत रत्न पुरस्कार में लालकृष्ण आडवाणी के नाम को जगह न मिलने का क्या कारण रहा होगा… आडवाणी पार्टी के वरिष्ठ नेता है… बीजेपी को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनाने में उनका योगदान सर्वोपरि कहा जा सकता है. जहां तक की वे कई बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं…

आपको पता हो कि भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने का श्रेय जिसे जाता है उन नामों की पंक्ति में सबसे आगे लालकृष्ण आडवाणी का नाम आता है…ये भी कहा जा सकता है कि आडवाणी आज तक बीजेपी पार्टी के इतिहास का एक अहम अध्याय है…

आडवाणी ने पार्टी को एक नई दिशा दिखाई…वे राममंदिर जैसे मुद्दे के लिए भी आगे खड़े मिले…उन्होंने राजनीति में अपना दायित्व बखूबी निभाया… वे अटल बिहारी के प्रधानमंत्री पद पर रहते समय उपप्रधानमंत्री की भूमिका में भी नजर आए… लेकिन ऐसा क्यूं की जब राष्ट्रपति बनने की बात आती है तो आडवाणी का ख्याल भी पार्टी को नहीं आता… और जिस पार्टी को आडवाणी ने सींचा उसी के शासनकाल में उन्हें भारत रत्न के लिए नहीं चुना जाता आखिर क्यूं….

शायद ये राजनीति कुछ कहती है… जिस तरह संघ का दौर चल रहा है…उसमें यदि नानाजी देशमुख का नाम आता है तो किसी प्रकार की कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी…क्योकिं इस समय संघ एक ऐसी संस्था बन गई है जो हर समय चर्चा में बनी रहती है…या तो ये कहे कि यदि कोई भी राजनीतिक डिवेट भी हो तो संघ का नाम न आए ऐसा संभव बहुत ही कम हो पाता है…

और आपको याद हो कि एक एक बार आमंत्रण पर प्रणव मुखर्जी संघ के एक कार्यक्रम में  शिरकत भी कर चुके हैं…उस समय प्रणव दा के संघ के कार्यक्रम में जाने पर राजनीति में कैसे उथल-पुथल मच गई थी… राजनीति में कई बडे नेता, कार्यकर्ता इस बात पर टिप्पणी करने से नहीं चूक रहे थे…औऱ रही बात भूपेन हजारिया की तो उनका नाम तो भारत रत्न के लिए पहले से ही चर्चा में शामिल था…उनके संगीत के क्षेत्र में एक असराहनीय प्रदर्शन के लिए उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया….

लेकिन लालकृष्ण आडवाणी जी का नाम भारत रत्न के लिए नहीं होना राजनीति के लिए एक बेहद दुखद कदम है…क्योकिं यदि कोई व्यक्ति चाहे वह किसी भी क्षेत्र का हो उसे उसके उत्कृष्ट कार्य के लिए भारत रत्न से नबाजा जाता है तो इस बात को कहने में और सुनने में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी में एक बडे. वरिष्ठ नेता औऱ पार्टी को मजबूत बनाने वाले नेता को नजरअंदाज करना पार्टी के लिए निंदनीय है…