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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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बिहार में बच्चों की मौत पर नितीश से ज्यादा शर्मनाक काम तो तेजस्वी ने किया है

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नई दिल्ली: बिहार आजकल चर्चा में है, इसीलिए नहीं कि वहां चुनाव होने है बल्कि इसलिए की मुजफ्फरपुर में बच्चो की मौत हो रही है| इसमें केंद्र और स्थानीय राज्य सरकार का रवैया पूरी तरह से शून्य है| नितीश जहाँ महज मुआवजे का एलान कर बच्चों के परिजनों के पास नहीं गए तो वही केन्द्रीय स्वास्थ मंत्री प्रेस कांफ्रेस में उबासी लेते नजर आये| इन सबको अगर छोड़ दें तो बिहार में राजद भी है| यानी कि राष्ट्रीय जनता दल जो कि बार-बात पर नितीश की टांग खीचते रहते हैं लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर राजद ने जो किया है वो बहुत ही शर्मनाक है| खुद को राष्ट्रीय नेता बनाने की होड़ में तेजस्वी यादव ने शून्य सीटें तो हासिल की ही तो वही एक विपक्ष के रूप में नाकाम रहे| बिहार में बच्चों की मौत पर नितीश से ज्यादा शर्मनाक काम तो राजद के तेजस्वी यादव ने किया है , इस गंभीर मामले में तेजस्वी की पार्टी की तरफ से बहुत शर्मनाक रवैया सामने आया है|

तेजस्वी के लिए एक वोट बैंक का मुद्दा?

पूरे देश में चर्चा में रहने वाला मुद्दा राजद और तेजस्वी के लिए एक वोट बैंक का मुद्दा बनकर रह गया| पार्टी ने इस मामले में अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखा जो कि उनकी घटिया मानसिकता को दिखाता है| लगातार हो रही बच्चों की मौत पर कोई शोक संवेदना या सरकार को घेरने की वजाय राजद ने वोट बैंक पोलीटिक खेल दी| राजद के अधिकारिक फेसबुक अकाउंट से लिखा जाता है कि “वरिष्ठ पत्रकार Alok Kumar लिखते है।

आपने तो अस्पताल के लिए वोट दिया नहीं था..

आपने तो अपने बच्चों को मौत से बचाने के लिए वोट दिया नहीं था…

आपने तो उस राष्ट्रवाद के लिए वोट दिया था जिसमें ना तो अस्पताल था, ना ही राष्ट्र था और ना ही राष्ट्र के लोग थे…

आपने तो जिस राष्ट्रवाद को चुना था उसमें घुसकर मारने की बात थी, हिंदू था मुसलमान था, कब्रिस्तान था श्मशान था …

अब आपको आपकी लोकप्रिय सरकार वही दे रही है…

अगली बार बच्चों की लाशें देखिएगा तो क्रंदन करने की बजाय आँखें मूँद कर अपनी चुनी सरकार की जय बोलिएगा…

क्या पता आपकी हरकत देखकर कुछ लोगों को यकीन हो जाए की फरेबी नारों से सरकार तो बन भी जाती है और चल भी जाती है …

लेकिन मर चुके बच्चों की सांसे नहीं चलती”| ये बात भले ही आलोक के हवाले से कही गई हों लेकिन बात साफ़ है कि इस विचार से राजद सहमत है| सहमत है तभी इसे फेसबुक पेज में शेयर किया गया है|

ये कैसी शर्मनाक राजनीति?

एक फेल क्रिकेटर और लालू यादव के बेटे होने के अलावा तेजस्वी यादव हैं क्या| पार्टी में जान तभी तक थी जब तक लालू यादव जमीन पर काम कर रहे थे| उसके बाद उनके द्वारा बनाई गई सत्ता को संभाल नहीं पाने वाले तेजस्वी खुद को राष्ट्रीय स्तर का नेता बनाने में अमादा थे| लेकिन उन्हें अपने ही राज्य में बच्चों और उनके परिजनों की चीख-पुकार नहीं सुनाई दे रही है| बाप के दम पर सत्ता के सिंघासन पर बैठने का प्रयास और बिहार का मुख्यमंत्री बनने का प्रयास तेजस्वी को इस कदर अँधा कर चुका है कि उन्हें अपने ही राज्य के मासूमो की आवाज नहीं सुनाई देती है| जहाँ इस मामले को लेकर राजद हर जिले में धरना प्रदर्शन करता, सड़कें जाम करता, नितीश को घेरता लेकिन ऐसा ना करके उन्होंने गिना दिया कि जिस सरकार को वोट दिया है उससे बात कीजिए|

इतनी घृणित मानसिकता वाले तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी कभी बिहार के डिप्टी सीएम का रूतबा रखती थी| उनके भाई बिहार के स्वास्थ मंत्री थी| ममता बनर्जी और अखिलेश यादव संग मंच साझा करके खुद को लालू यादव बनाने की पूरी करने वाले तेजस्वी ने आज बता दिया कि वो महज सत्ता के भूखे हैं और इससे ज्यादा वो कुछ नहीं कर सकते हैं| आप खुद बताइए आखिरी बार तेजस्वी यादव किस आन्दोलन में शामिल हुए थे, किस प्रदर्शन में गए थे, हेलीकाप्टर से नीच उतरकर कब जनता कहक कि मांग करते दिखाई दिए थे| शायद आपको याद ना हो और यहाँ तक खुद तेजस्वी को भी याद नहीं होगा की उन्होंने आखिरी बार ऐसा कब किया था| लेकिन अपने भड़ास उन मासूम बच्चों के माध्यम से निकालना कहाँ तक सही है| वो लालू यादव बनने कि कोशिश कर रहे हैं लेकिन शायद उन्हें नहीं पता की शायद लालू ने कभी जमीनी तौर पर काम किया है|

इतना नकारा विपक्ष और उसका नेता जो की सरकार को मासूमो की मौत पर भी नहीं घेरता है| उसे लगता है की जिन्होंने वोट हासिल किया है वो ही सबकुछ करें| आप सडकों में आकर एक आन्दोलन खड़ा कर सकते थे जिसकी सहयता से सोई हुई सरकार जागती और बाकी मौतें नहीं होतीं|

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.