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बिहार: २०० मौतों पर रो मत ! कौन सा अपने बच्चों की रक्षा के लिए वोट दिया था

बिहार में चमकी बुखार ने कहर मचा कर रखा है. मासूम बच्चे अस्पतालों में अपने मां बाप के सामने तड़प तड़प कर मर रहे हैं और केंद्र से लेकर बिहार की सरकार उनकी मौत का तमाशा देख रही है. चमकी बुखार को लेकर मोदी सरकार और नीतीश सरकार की जो जबर्दस्त लापरवाही सामने आई है, वो कतई माफ करने लायक नहीं है. इन बच्चों की मौत का मोदी सरकार और नीतीश सरकार पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. इससे घटना से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका मुजफ्फरपरुर का है.

लोगों ने सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ की नारेबाजी

जिस राज्य के सैकड़ों बच्चे मौत के मुंह में समा चुके हो, वहां के मुख्यमंत्री 20 दिन के बाद अस्पताल के दौरे पर पहुंचते हैं. सीएम नीतीश कुमार के मुजफ्फरपुर पहुंचते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. लोगों ने नीतीश कुमार मुर्दाबाद, पल्टू राम मुर्दाबाद के नारे लगाए लेकिन नीतीश कुमार पर कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उनको पता है कि ऐसे विरोध का कोई मतलब नहीं होता. गोरखपुर में भी तो कितने बच्चे ऐसे ही तड़प तड़प कर मर गए थें. योगीजी का क्या बिगड़ गया, मेरा भी कुछ नहीं बिगड़ेगा.

नरेंद्र मोदी अपने भाषण में कर चुके हैं उल्लेख

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस चमकी बुखार का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मुजफ्फरपुर की चुनावी रैली में कर चुके हैं. जी हां, वो भी 2014 में. उस वक्त नीतीश कुमार भाजपा से अलग थें सो मोदी ने जमकर नीतीश पर अपनी भड़ास निकाली और बच्चों की मौतों के लिए जिम्मेवार ठहरा दिया. आज नीतीश कुमार गंगा स्नान कर पाक पवित्र हो चुके हैं, सो अब इसके लिए पंडित नेहरु को जिम्मेवार ठहराने की कोशिश हो रही है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 110 बच्चे मरे हैं जबकि इधर उधर प्राइवेट अस्पतालों की संख्या जोड़ लिया जाए तो 200 बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं. क्या किसी में भी हिम्मत है कि नरेंद्र मोदी से पूछे कि आपने तो 2014 में ही इसके लिए उपाय और इंतजाम करने का वायदा किया था, क्या हुआ ? आप भारत के प्रधानमंत्री है न ! झूठ बोलने में जरा भी शर्म नहीं आई. क्यों नहीं कुछ कर पाए अब तक इस मुद्दे पर.

बच्चों की रक्षा के लिए नहीं राष्ट्र की रक्षा के लिए वोट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पता है कि 200 नहीं 2000 बच्चे भी मर जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. लोगों ने उन्हें वोट अपने बच्चों की रक्षा के लिए नहीं राष्ट्र की रक्षा के लिए दिया है. राष्ट्रवाद के लिए दिया है. ऐसा राष्ट्रवाद जिसमें न है राष्ट्र है और न राष्ट्र की जनता. उसमेंं सिर्फ पाकिस्तान घुसा हुआ है. मोदी के समर्थक अभी जीत के जश्न में हैं. खुमार टूटेगा तब सीधे इस चमकी बुखार के लिए पाकिस्तान, पंडित नेहरु या फिर कांग्रेस को जिम्मेवार ठहरा देंगे. खैर मोदी और नीतीश अपनी जगह सही है. उन्हें जिस लिए जनता ने वोट दिया है, उस काम को वो बखूबी अंजाम दे रहे हैं. उन्हें हॉस्पीटल बनाने के लिए वोट थोड़े ही मिला है. जो बच्चे मरे हैं, उनके माता पिता ने भी राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए वोट किया होगा क्योंकि वो राष्ट्रभक्त होंगे.

पाकिस्तान के कितने विकेट गिरे

बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने संवाददाता सम्मेलन बुलाया ताकी लोगों का पता लगे कि हम लोग बहुत गंभीर हैं. अचानक से माहौल शांत हो गया जब मंगल पांडेय ने पूछ लिया कि पाकिस्तान का विकेट गिर गया अब तक ! वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री चौबेजी एक नींद पूरा कर राष्ट्र औ धर्म की रक्षा के लिए चिंतन मनन भी कर बैठें. धन्य हैं ऐसे लोग. वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी इस संवाददाता सम्मेलन में वही सब बात दोहरा कर चले गए जो 2014 में उन्होंने कहा था.

मीडिया ने मचाया तमाशा

और ये मीडिया हाउस के लोग जिन लोगों ने देश को अंगारे पर लाकर खड़ा कर दिया है. पिछले पांच साल से गाय गोबर, हिंदू मुस्लिम, श्मशान कब्रिस्तान, मंदिर मस्जिद पर डिबेट करा करा कर लोगों के मन में नफरत भर दिया और अब टीआरपी के लिए मुजफ्फरपुर अस्पताल के आईसीयू में अपने पत्रकारिता का परचम लहरा रहे हैं. एक महिला एंकर तो आईसीयू में इतने कर्कश तरीके से चीख रही है कि पूछिए मत नहीं तो पिछले पांच साल उसने धर्म का झंडा ढोया और अब नीतीश सरकार को बेशर्म बता रही हैं.