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सवाल ये है कि क्या इस तालमेल को बिठाने में आरजेडी अपनी सीटों में कटौती करेगी?

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल सीटों के गणित में लगे हैं। वहीं सभी की निगाहें महागठबंघन पर टिकी है। क्योंकि यहां पर शामिल सियासी दलों की कोशिश ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की होड़ में लगे हैं। उनकी डिमांड को देखते हुए महागठबंधन में सीटों का आंकड़ा 400 के पार पहुंचता नजर आ रहा है, जो कि किसी भी स्थिति में संभाव नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहा कि गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी सहयोगियों को साधने में कैसे कामयाब होगी?

जानिए, कौन सी पार्टी कर रही कितनी सीटों की डिमांड

आगामी चुनाव में जहां आरजेडी खुद 160 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है, वहीं गठबंधन के दूसरे बड़े दल कांग्रेस ने 90 से ज्यादा सीटों की डिमांड की है। भाकपा-माले की ओर से करीब 50 सीटों की डिमांड की गई है। आरएलएसपी ने भी 45 से ज्यादा सीटों पर दावा ठोका है। वहीं गठबंधन के एक और दल मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने करीब 25 सीटे मांगी है। सभी सियासी दलों की ओर से की गई डिमांड को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 400 के पार पहुंच जा रहा है।

महागठबंधन में शामिल हैं ये 7 दल

बिहार चुनाव में महागठबंधन की ओर से सीट बंटवारे की जिम्मेदारी आरजेडी ने ही उठा रखी है। जानकारी के मुताबिक, कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर उम्मीदवारी करेगी इसका फैसला राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पार्टी नेतृत्व को करना है। महागठबंधन में इस समय आरजेडी समेत करीब सात दल एक साथ हैं। इनमें कांग्रेस, आरएलएसपी, वीआईपी, भाकपा-माले प्रमुख हैं। ज्यादा सीटों पर दावेदारी के लिए इन पार्टियों के नेता लगातार आरजेडी नेतृत्व के संपर्क में हैं।

विधानसभा में क्या है मौजूदा स्थिति

महागठबंधन में शामिल दलों की विधानसभा में मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो आरजेडी के पास 80 विधायक हैं। कांग्रेस के 26 विधायक हैं, वही भाकपा-माले के 3 विधायक हैं। आरएलएसपी के भी दो विधायक पिछले विधानसभा चुनाव में जीते थे लेकिन कुशवाहा के एनडीए छोड़ने के बाद बाद दोनों विधायक जेडीयू में शामिल हो गए थे। इनके अलावा किसी भी दल की विधानसभा में दावेदारी नहीं है।

सीट बंटवारे पर क्या होगा आरजेडी आलाकमान का फैसला

कुल मिलाकर विधानसभा में दलों की मौजूदा स्थिति और उनकी ओर से की जा रही सीटों की डिमांड ने आरजेडी की टेंशन बढ़ाई हुई है। ऐसे में आरजेडी नेतृत्व साथी दलों के साथ मिलकर कैसे बीच का रास्ता निकालता ये देखना दिलचस्प होगा। सवाल ये भी है कि क्या इस तालमेल को बिठाने में आरजेडी खुद अपनी सीटों में भी कटौती करेगी?