इसे कहते हैं सिर मुंडाते ही ओले पड़ना. कहां तो मध्य प्रदेश में इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी सीएम कमलनाथ के सहयोगियों पर हुई और अब जेल जाने की नौबत पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की आ गई है. हजारों करोड़ रुपये के ई टेंडर घोटाले में शिवराज और उनके कई सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. शिवराज के साथ ही भाजपा और संघ के कई पदाधिकारियों,08 निजी कंपनियों और सरकारी अफसरों के नाम भी एफआईआर में शामिल हैं.
मध्य प्रदेश की आर्थिक अन्वेषण शाखा यानी ईओडब्ल्यू के महानिदेशक केएन तिवारी ने बताया कि इस मामले में आरोपियों ने फर्जी डिजिटल सिग्नेचर हासिल कर टेंडर को बोली को कंपनियों की मर्जी के अनुसार बदल दिया जाता था, जिन्हें आर्थिक फायदा पहुंचाना होना था और बाद में सभी निविदाओं को रद्द कर दिया जाता था. मामले की जांच से पहले ही यह पता लगता है कि ये सीधे सीधे बड़े नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से खेल चल रहा था. इस घोटाले से 10 हजार करोड़ रुपये से उपर का वारा न्यारा किया गया था.
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान पर हुई इस कार्रवाई को राजनीतिक युद्ध के रुप में भी देखा जा रहा है. कांग्रेस की इस कार्रवाई से साफ है कि वह भाजपा को जैसे को तैसा के रुप में जवाब देने को तैयार है. जिस तरह से मध्य प्रदेश की आर्थिक अन्वेष्ण ब्यूरो इस मामले में सक्रिय है, उससे यह माना जा सकता है कि जल्द ही शिवराज जेल की सलाखों के पीछे होंगे.
वहीं भाजपा के लिए भी यह झटके की तरह ही है. उधर छत्तीसगढ़ में उनके पूर्व सीएम और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह के दामाद भी घोटाले के आरोप में इधर उधर भागते फिर रहे हैं. खुद पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ राफेल घोटाले में कोर्ट ने झटका दे दिया है. ऐसे में भाजपा अब पूरे चुनाव अभियान में खुद को पाक साफ नहीं कह पाएगी. प्रथम चरण के चुनाव अभियान के दौरान भाजपा के नेता हर जगह एक ही बात कहते थे कि हमारी सरकार और हमारी पार्टी के नेताओं पर भ्रष्टाचार के दाग नहीं हैं. अब भाजपा क्या कहेगी क्योकि रह रहकर उनके नेताओं की करतूतें सामने आती जा रही हैं.