कर्नाटक में 2 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे के बाद से सरकार खतरे में आते जा रही है और ऐसे में ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या जेडीएस-कांग्रेस की गठबंधन सरकार को गिराने के लिए भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से ऑपरेशन कमल की शुरुआत करने जा रही है और क्या इस बार ये सफल हो पाएगा या नहीं। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि अगले कुछ दिनों में हर रोज एक या दो सदस्य विधायक पद से अपना इस्तीफा देते रहेंगे। बेलगावी जिले के गोकक विधानसभा क्षेत्र से विधायक रमेश जरकिहोली को जनवरी में मुंबई के एक होटल में एक हफ्ते तक कांग्रेस के बाकी विधायकों के साथ रखा गया था और ये ऑपरेशन कमल 3.0 जनवरी में पूरी तरह से विफल हो गया था क्योंकि भारतीय जनता पार्टी उस वक्त उचित संख्या नहीं ला पाई थी। नए ऑपरेशन कमल का उद्देश्य भी वही लगता है। इसका मक़सद कांग्रेस और जेडीएस विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिलवाना है, ताकि विधायकों की संख्या 209 पर आ जाए और जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन बहुमत खो दे।
बीजेपी नेताओं की मानें तो अगले कुछ दिनों तक लगातार हर रोज एक या दो विधायक अपने पद से इस्तीफा देते रहेंगे। उसके बाद भाजपा 224 सदस्यों की विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी रह जाएगी जिसके पास फिलहाल 105 विधायक हैं। अगर ऐसे में 15 विधायकों का इस्तीफा होता है तो सदस्यों की संख्या 209 हो जाएगी और ऐसे में बीजेपी सरकार बनाने में सफल हो जाएगी। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी को रमेश जरकिहोली और आनंद सिंह के अलावा अन्य 13 सदस्यों की आवश्यकता है। जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन में फिलहाल में निलंबित कांग्रेस विधायक रोशन बेग को मिलाकर 117 सदस्य हैं। ऑपरेशन कमल कर्नाटक में पैदा हुआ आइडिया है जिसे साल 2008 में सफलतापूर्वक लागू किया गया था जब दक्षिण भारत में पहली बार भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई थी। उस वक्त बीजेपी ने 224 में से 110 सीटें जीती थी। तब ऑपरेशन कमल के मुताबिक कांग्रेस और जेडीएस के विधायक व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे गए थे और उन्हें उन्हीं विधानसभा क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा टिकट दे दिया था। आठ विधायक जो ऑपरेशन का हिस्सा बने थे, उनमें से पांच बीजेपी की टिकट पर चुने गए थे, जबकि तीन को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन ऑपरेशन कमल ने भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा में बहुमत हासिल करने में मदद की थी।
ऑपरेशन कमल 2.0 दिसंबर 2018 में हुआ था जब 22 दिसंबर को मंत्रालय के विस्तार के दौरान जरकिहोली को मंत्रालय में प्रदर्शन ना दिखाने के आधार पर हटा दिया गया था और अगला ऑपरेशन कमल 3.0 जनवरी 2019 में हुआ था जब जरकिहोली मुंबई में मुट्ठी भर विधायकों को ले गए थे। लेकिन, ये अभियान भी विफल रहा था क्योंकि आवश्यक संख्या तक नहीं पहुंचा जा सका था। बहरहाल आनंद सिंह का इस्तीफा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के लिए हैरानी भरा है। जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि मैं उनके इस्तीफे से स्तब्ध हूं। जब कांग्रेस विधायकों को दल बदलने से रोकने के लिए जनवरी में रिजॉर्ट में रखा गया था तो एक विधायक जे गणेश ने आनंद सिंह पर कथित रूप से हमला कर दिया था और आनंद सिंह को आंख के पास गंभीर चोटों के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन अब जब आनंद सिंह ने राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला को अपना इस्तीफा पेश कर दिया है तो उन्होंने वजह बताई कि जिस तरह से गठबंधन सरकार ने जिंदल स्टील वर्क्स (जेएसडब्ल्यू) को जमीन बेची थी, उससे वो परेशान थे।
भारतीय जनता पार्टी का कोई नेता फिलहाल इस बारे में खुल कर बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन कुछ नेताओं का मानना है कि इन इस्तीफों के पीछे 2 पार्टियों की आंतरिक समस्याएं हैं और बीजेपी के नेता इससे खुद को अलग करते हुए नजर आ रहे हैं। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि अगर वो अपने आप ही इस्तीफा दे देते हैं, तो हमें इससे कोई लेना-देना नहीं है। अगर सब उम्मीद के मुताबिक होता है तो हम सरकार बना सकते हैं और अक्तूबर या दिसंबर में मध्यावधि चुनाव के लिए जा सकते हैं महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के साथ। लेकिन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने जो अभी अमरीका की निजी यात्रा पर हैं एक ट्वीट में कहा कि मैं कालभैरवेश्वर मंदिर के नींव समारोह (न्यू जर्सी में) में हूं। मैं टीवी चैनल देख रहा हूं और बीजेपी सरकार को अस्थिर करने के दिन में सपने देख रही है। पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता वी.एस. उग्रप्पा ने कहा कि जो अमित शाह और येदियुरप्पा कर रहे हैं, वो राज्य सरकार के लिए नहीं बल्कि लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक राष्ट्र, एक चुनाव के बारे में बात करते हैं, लेकिन यै केवल तभी माना जा सकता है जब लोकतंत्र को खोखला ना किया जाए।