देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रेल यात्राएं आजकल बहुत चर्चा में हैं. दरअसल राष्ट्रपति महोदय ने बीते कुछ महीनों के अंतराल में .यूपी में राष्ट्रपति की रेल यात्रा दो हो चुकी. हाल ही में वो लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से अयोध्या के लिए ट्रेन से गए थे और कुछ दिन पहले दिल्ली से अपने गृह नगर कानपुर देहात के लिए गए थे.
UP Assembly Election से ठीक पहले राष्ट्रपति की इस यात्रा को राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि इसके जरिए बीजेपी दलित वोटरों को साधना चाहती है.
UP assembly election-2022 से पहले दलितों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी हर संभव प्रयास कर रही है. ऐसे में राष्ट्रपति की यात्रा बीजेपी के लिए वरदान साबित हो सकती है. खुद सीएम योगी ये बात कह चुके हैं कि सपा और बसपा ने नहीं बल्कि बीजेपी ने एक दलित को राष्ट्रपति बनाया है. ये बात सीएम योगी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कही थी. ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि राष्ट्रपति की ये यात्रा कहीं न कहीं बीजेपी के लिए बड़ा फायदेमंद लग रहा है.
जाहिर है कि प्रदेश में 21 फीसदी दलित आबादी को लुभाने के लिए राष्ट्रपति की रेल यात्रा से बीजेपी बड़ी कोशिश कर रही है. इस वर्ग के अधिकतर वोट अभी तक बसपा के हिस्से में जाते रहे हैं और दलित वर्ग ने हमेशा से ही बसपा को अपना रहनुमा माना है, लेकिन बीते कुछ सालों में मायावती की घटती सक्रियता ने कहीं न कहीं दलितों को नया रहनुमा तलाशने में मजबूर कर दिया है. ऐसे में दलित सपा की तरफ जाएंगे या बीजेपी की तरफ या फिर कांग्रेस।
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ऐसे में तीनों ही पार्टियां अपनी तरफ इस वोट को खींचने में लगी हैं. President Ramnath Kovind की यात्राएं लगातार इस बात का सन्देश देती रहीं हैं की दलित भी प्रदेश में बहुत महत्वपूर्ण हैं. हालाँकि राष्ट्रपति का पद सबसे सर्वोच्च और किसी भी धर्म या जाति से बहुत ऊपर होता है लेकिन राजनीतिक पंडितों ने इस बात का आकलन करना शुरू कर दिया है की यूपी में राष्ट्रपति की रेल यात्रा के बाद दलितों का रुझान में बीजेपी की तरफ बढ़ रहा है या नहीं।
यूपी में ये वर्ग जिताऊ वर्ग भी कहा जाता है. क्योकि इनके वोट एकमुश्त होते हैं. राजनीतिक पंडित कहते हैं कि दलित वर्ग का अधिकतर हिस्सा एकसाथ और एक जगह ही वोट करता है. ऐसा में राष्ट्रपत की यात्रा के जरिए कहीं बीजेपी इनको साधने की कोशिश तो नहीं कर रही है. यात्रा में जाने के बाद बाबा भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा का उद्घाटन करना भी कड़ी से कड़ी जोड़ता हैं की बीजेपी अब यूपी में दलितों की नई रहनुमा बनने के लिए खुद को तैयार कर रही है.