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भाजपा का ट्वीट मोदी सरकार की एनपीआर रणनीति पर सवाल खड़े करता है

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर किए गए अपने एक ट्वीट को लेकर भारतीय जनता पार्टी का कर्नाटक विंग विवादों में पड़ गया है।
Politics Tadka Taranjeet 13 February 2020
भाजपा का ट्वीट मोदी सरकार की एनपीआर रणनीति पर सवाल खड़े करता है

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर किए गए अपने एक ट्वीट को लेकर भारतीय जनता पार्टी का कर्नाटक विंग विवादों में पड़ गया है। दिल्ली में जब लोग अगला मुख्यमंत्री चुनने के लिए मतदान कर रहे थे, उसी दौरान भाजपा कर्नाटक ने एक वीडियो डाला और वो विवादों का कारण बन गया है। भाजपा कर्नाटक ने दिल्ली चुनाव के लिए वोट देने लाइन में खड़ी महिलाओं का एक वीडियो शेयर किया और इस वीडियो के साथ जो कैप्शन लिखा वो न तो सिर्फ भेदभाव को दर्शा रहा है बल्कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर पर सरकार के रुख को लेकर भी कई सवाल खड़े करता है। ये कैप्शन भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार की बात के उलट है।

भाजपा कर्नाटक ने जो ट्वीट किया है उसमें शाहीन बाग की महिलाओं को वोट डालने के लिए लाइन में खड़ा देखा जा सकता है। इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि कागज नहीं दिखाएंगे हम!!! ये कागजात सुरक्षित रखिए, #NPR के लिए इसे दोबारा दिखाने की जरूरत पड़ेगी #DelhiPolls2020′

दरअसल इस ट्वीट के द्वारा ये इशारा किया गया है कि वोटरों को अपने डॉक्यूमेंट सुरक्षित रखने की जरूरत है, क्योंकि एनपीआर के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी। भाजपा के ट्वीट में लिखी ये बात सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की बात से एकदम उलट है, जो कहते थे कि एनआरसी और एनपीआर पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। 11 दिसंबर को संसद में नागरिकता संशोधन कानून के पास होने के बाद, सरकार ने कई मौकों पर कहा है कि एनपीआर के दौरान किसी भी नागरिक को डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं हाल ही में 4 फरवरी को मोदी सरकार में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि एनपीआर एक्सरसाइज के दौरान कोई भी डॉक्यूमेंट कलेक्ट नहीं किया जाएगा और आधार नंबर स्वेच्छा से कलेक्ट किया जाएगा।

जब-जब सरकार ने कहा- डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं

4 फरवरी 2020 को नित्यानंद राय ने एनपीआर के अपडेशन के दौरान अनिवार्य दस्तावेजों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इस एक्सरसाइज के दौरान कोई डॉक्यूमेंट कलेक्ट नहीं किया जाएगा। इसके अलावा 15 जनवरी 2020 को गृह मंत्रालय की तरफ से भी कहा गया था कि एनपीआर के लिए कोई डॉक्यूमेंट या फिर बायोमेट्रिक नहीं लिया जाएगा। ये जवाब गृह मंत्रालय ने विपक्षी पार्टियों और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की चिंता पर दिया था।

2 जनवरी 2020 को द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के जवाब में गृह मंत्रालय ने साफ किया था कि किसी भी शख्स को डॉक्यूमेंट दिखाने की जरूरत नहीं है। द हिंदू ने अपनी फॉलो-अप रिपोर्ट में लिखा था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि एनपीआर अपडेट करने के सर्वे में किसी भी डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं है, और लोगों की तरफ से दी जानकारी स्वीकार्य और रिकॉर्ड की जाएगी।

इसके अलावा 24 दिसंबर 2019 को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने NPR अपडेट करने के लिए 3,941.35 करोड़ के फंड को अप्रुव किया था। सीएए के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच में सरकार के द्वारा एनपीआर की घोषणा करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि ये खुद डिक्लेयर करने वाला है, इसके लिए किसी डॉक्यूमेंट या बायोमेट्रिक की जरूरत नहीं है।

भाजपा कर्नाटक के ट्वीट ने खड़े किए सवाल

एक तरफ जहां लगातार भाजपा सरकार नागरिकों में ये विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही है कि एनपीआर में किसी को डॉक्यूमेंट दिखाने की जरूरत नहीं है। लेकिन जब भाजपा कर्नाटक के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया गया तो ये कई सवाल खड़े करता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्या केंद्र सरकार झूठ फैला रही है और अंदर ही कुछ और खीचड़ी पक रही है या फिर केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य स्तर पर गलत जानकारी फैलाई है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.