आदमी अंदर से कितना खाली होता है, ये बात पता चलता है हमे बॉलीवुड अभिनेत्री परवीन बॉबी के मौत से। एक ऐसी अभिनेत्री जो अपने समय की ग्लैमर अभिनेत्रियों में से एक थी, सुपरस्टार रह चुकी हो ,उसका अंतिम समय में कोई नहीं था, उनकी लाश करीब दो दिन से सड़ रही थी।
आज हम बात करते है अपने समय की खूबसूरत अभिनेत्रियो में से एक दिवंगत परवीन बॉबी की।
बाबी की मौत 15 साल पहले 20 जनवरी, 2005 को इतनी दर्दनाक थी, जिसके बारे में सुनकर इंडस्ट्री सकते में आ गई थी। बताया जाता है कि वे सिजोफ्रेनिया नाम की मानसिक बीमारी से पीड़ित थीं। ये अनुवांशिक बीमारी थी, जिसके ठीक होने की संभावना न के बराबर थी। इस बिमारी में व्यक्ति को भ्रम और दुःस्वप्न का सामना करना पड़ता है| कहा जाता है कि इसी मानसिक बिमारी की वजह से उनके रिश्तेदार उनसे दूरी बनाने लगे थे |
परवीन डायबिटीज और पैर की बीमारी गैंगरीन से पीड़ित थीं, जिसकी वजह से उनकी किडनी और शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। इन सबके बावजूद वे मुंबई के अपने घर में अकेले रहती थी |
उनकी मौत किसी बीमारी से हुई या उन्होंने आत्महत्या की, ये बात अब तक राज ही है। परवीन बॉबी के पड़ोसियों ने पुलिस को इन्फॉर्म किया था कि उनके घर के बाहर अखबार और दूध के पैकेट दो दिन से पड़े थे। इसके बाद पुलिस ने एक नकली चाबी से उनके घर का दरवाजा खोला था। जब उनके फ्लैट का दरवाजा खोला गया तो सामने उनकी डेड बॉडी पड़ी थी, जो लगभग सड़ चुकी थी।
परवीन का जन्म जूनागढ़, गुजरात के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा माउंट कार्मेल हाई स्कूल अहमदाबाद से हुई और बाद में उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, अहमदाबाद से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उनके पिता वली मोहम्मद बॉबी, जूनागढ़ के नवाब तथा जमाल बख्ते बॉबी के निकाय प्रशासक थे। उनके पूर्वज गुजरात के पठान थे तथा बॉबी राजवंश के हिस्सा थे। वे अपने माता-पिता की एक मात्र संतान थी जो उनकी शादी के चौदह वर्ष बाद पैदा हुई थी। परवीन ने दस वर्ष की आयू में अपने पिता को खो दिया था|
परवीन ने कभी शादी नहीं की। लेकिन उनका कई विवाहित पुरुषो से संबंध रहे। जैसे निर्देशक महेश भट्ट, अभिनेता कबीर बेदी और डैनी डेनजोगपा। उनके और अमिताभ बच्चन के बीच भी चक्कर चलने की अफवाहें थी।
उन्होंने बाद मे अमिताभ पर यह आरोप भी लगाया कि उन्होंने उन्हे मारने की कोशिश की है, हालाकि इसके कुछ साल बाद पता चला कि यह उनका वहम था।
महेश भट्ट ने बाद में बॉबी और उनके बीच के रिश्ते पर आधारित एक आत्मकथात्मक फिल्म अर्थ (1982) बनाई, जिसके लेखक और निर्देशक वे स्वयं थे। उन्होंने उनके और परवीन बॉबी के बीच के रिश्ते के तथ्यो पर आधारित एक अन्य फिल्म, लम्हे (2006) बनाई, जिसके लेखक और निर्देशक भी वे ही थे।
बॉलीवुड की बुलंदियों को छूने वाली परवीन की निजी जिंदगी में कोई उसका नहीं बन सका। परवीन का अपना परिवार भी नहीं। यही वजह है कि परवीन ने अपनी वसीयत परिवार वालों को ना देकर उसका 80 फीसदी हिस्सा गरीबों के नाम कर दिया। परवीन को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि उनकी जिंदगी दर्द से भरी है, लेकिन जिंदगी और परवीन का रिश्ता ही ऐसा था कि ना वो किसी की हो पाईं ना कोई उनका।
अपने अंतिम समय में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था और उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनको मरने के बाद ईसाई धर्म के अनुसार ही उनको दफ़नाया जाये लेकिन, मरने के बाद उनके रिश्तेदारों ने उनको मुस्लिम रीति से उनकी माँ के कब्र के पास ही दफना दिया।
तो ऐसा था परवीन बॉबी का अंतिम सफर।