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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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दिवाली आ गई है, समय आ गया है जब #boycottsonpapdi का ट्रेंड शुरू होना चाहिए

सोनपापड़ी है और मैं उसे खोलना नहीं चाहता था. तो भाई बंद करो ये रोना और मेरे साथ इस आन्दोलन में खड़े हो जाओ और जोर से चिल्लाओ #boycottsonpapdi
Troll Ambresh Dwivedi 10 November 2020
दिवाली आ गई है, समय आ गया है जब #boycottsonpapdi का ट्रेंड शुरू होना चाहिए

साल बदलते गए, दिवाली मनाने का तरीका बदलता गया लेकिन आदि-अनादि काल से एक चीज चली आ रही जो यथावत है वो हो सोनपापड़ी. सब खत्म हो जाएगा, त्रिवेदी भी खत्म हो जाएगा लेकिन ये नहीं खत्म होने वाली है. अब दिवाली आ गई है और मैं बताए दे रहा हूँ कि सोनपापड़ी की आंधी से बचने के लिए हम सबको एकजुट होना पड़ेगा और इसके खिलाफ #boycottsonpapdi का ट्रेंड शुरू करवा देना चाहिए.

पिछले साल वाली रखी है

 इस साल कोई आएगा और फिर से हैप्पी दिवाली बोलते हुए पिछले साल वाला डब्बा मुझे देकर चला जाएगा लेकिन मैं बता दूं कि भाई अभी तेरा ही दिया हुआ पिछले साल वाला डब्बा रखा हुआ है. मैं उसे ही खत्म नहीं कर पाया. और खत्म क्या बता दूं की मैं उसे खोल तक नहीं पाया. इसलिए नहीं कि मुझे समय नहीं मिला बल्कि इसलिए की मैं जानता था कि इसमें सोनपापड़ी है और मैं उसे खोलना नहीं चाहता था. तो भाई बंद करो ये रोना और मेरे साथ इस आन्दोलन में खड़े हो जाओ और जोर से चिल्लाओ #boycottsonpapdi

मेरे सपने में आती है

ये सोनपापड़ी है ना जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आ रही है मेरे सपने में आती है. ऐसा लगता है जैसे अभी कोई आएगा और मुझे एक डब्बा पकडाते हुए फेक स्माइल देकर हैप्पी दिवाली का झुनझुना पकड़ा जाएगा और दे जाएगा कभी न खत्म होने वाला एक डब्बा और जिसमें भरी होगी  #boycottsonpapdi. कभी कभार मैं रात के अँधेरे में ये सोचकर उठ जाता हूँ और चीखते हुए कहता हूँ “नहीं मुझे नहीं चाहिए, दूर कर दो इसे मेरी नजरों में लेकिन वो मुझे दे ही जाता है” सामने से आ रहे हर एक शख्स को देखकर लगता है जैसे मानो ये मुझे अभी डब्बा देकर हैप्पी दिवाली बोलेगा और मैं फिर से मना नहीं कर पाउँगा.

हे सोनपापड़ी तुम्हें भी तो बुरा लगता होगा

हे सोनपापड़ी, मेरी सोनपापड़ी कभी तुमने चिल्लाकर नहीं कहा कि तुम्हें भी बुरा लगता है ये सब देखकर. स्मगलर की तरह लोग तुम्हारी अदला-बदली करते हैं और तुम्हें एक हाँथ से दूसरे हाँथ में बेच देते हैं वो बिना पूछे. तुम्हें भी लगता होगा कि कभी तुम्हारा डब्बा बदले और तुम भी अपने अंदर कुछ नयापन लेकर आओ. लगता तो होगा लेकिन ये समाज तुम्हें ऐसा करने नहीं देना चाहता है. ये चाहता है कि तुम ऐसे ही गोल चक्कर काटती रहो. मन तो तुम्हारा भी करता होगा किसी ऐसी जगह चले जाने का जहाँ दूर-दूर तक कोई हैप्पी दिवाली ना बोलता हो.

तो रहम करो मेरे यारों और कसम खाओ की इस बार मुझे खाली डिब्बा दे जाओगे लेकिन उसके अंदर सोनपापड़ी नहीं होगी.

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.