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गाड़ियों से तो जाति का स्टिकर हट जाएगा, दिमाग से कैसे निकालोगे सरकार

Logic Taranjeet 30 December 2020
गाड़ियों से तो जाति का स्टिकर हट जाएगा, दिमाग से कैसे निकालोगे सरकार

अक्सर हम देखते हैं कि लोगों को अपनी जाति पर बहुत घमंड होता है, जिसे वो अलग अलग तरीके से दिखाते हैं, गानों में भी इसकी झलकें दिखती है। वहीं गाड़ियों में जाति का स्टिकर लगा होना तो एक बहुत ही आम बात है। क्या दिल्ली क्या यूपी क्या हरियाणा आप कहीं भी चले जाइये सड़क पर आपकों जाट, गुर्जर, क्षत्रिय, ब्राह्मण, अंसारी, पठान के स्टिकर वाली गाड़ियां बेहद आसानी से मिल जाएंगी।

इतना ही नहीं प्रोफेशन से भी जुड़ी गाड़ियां दिख जाएंगी और उनके स्टिकर लगे भी दिखेंगे। लेकिन अब अगर ऐसी गाड़ियां लेकर आप उत्तर प्रदेश की सड़कों पर घुमेंगे तो आपके साथ अच्छा नहीं होगा। ये भौकाल अब योगी आदित्यनाथ के राज में नहीं चलेगा। क्योंकि यूपी पुलिस और परिवहन विभाग उन गाड़ियों का चालान काट रहे हैं जिनमें कोई आलतू फालतू की बात लिखी हुई है।

भौकाली करना महंगा पड़ेगा

यूपी पुलिस ने इस एक्शन की शुरुआत तब की जब उन्हें इंटीग्रेटेड ग्रिवांस रिड्रेसल सिस्टम (आईजीआरएस) पर इसकी शिकायत मिली। यूपी पुलिस और आरटीओ ने कमर कस ली है वो तमाम गाड़ियां जिनमें जातिसूचक शब्द लिखे हैं उन्हें रोक रही है और उनका चालान काटा जा रहा है। गाड़ी पर कुछ भी भौकाली लिखने पर अपना पल्ला झाड़ते हुए परिवहन विभाग का कहना है कि सिर्फ गाड़ी की विंड स्क्रीन ही नहीं आप पहिये, बोनट, टायर, ट्यूब, जैक, स्टेरिंग, गियर कहीं कुछ नहीं लिख सकते है। अगर जिसकी गाड़ी पर लिखा होगा तो लेने के देने पड़ जाएंगे।

लेकिन अगर इस बारे में प्रैक्टिकल बात की जाए और अगर ध्यान दें यूपी, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों पर तो यहां पर मामला थोड़ा अलग बन जाता है। क्योंकि इन राज्यों में जाति को प्राइड माना जाता है और यूपी जैसे राज्य में तो इसके मायने काफी गहरे हैं। वोटों से लेकर नौकरी तक हर चीज में जाति पूरी तरह से मिली हुई है।

क्या सच में जाति का वायरस निकलेगा

वैसे तो ऐसा करने की इजाजत कानून नहीं देता है, ऐसा करने पर गाड़ी तो जब्त भी हो सकती है, लेकिन इसके बाद भी लोग ऐसा करते हैं और उन्हें कानून का कोई डर नहीं है। दरअसल लोग चलते ही जाति से है और इन लोगों के लिए आप कह सकते हैं कि ये अपनी पहचान के संकट से जूझ रहे हैं। लोग इस नियम के आने के बाद भी जातिसूचक शब्द अपनी गाड़ी से हटाने को तैयार नहीं है वो कहते हैं कि हम जुर्माना भर देंगे लेकिन इसे नहीं हटाएंगे।

अपनी जाति और धर्म पर गर्व महसूस करने वाले इन लोगों पर यूपी पुलिस ने कार्रवाई की भी है, कई गाड़ियों के चालान भी काटे गए है। लेकिन सवाल ये है कि क्या चालान से गाड़ियां जाति मुक्त हो जाएंगी? क्योंकि लोग तो गाड़ियों पर जाति सूचक शब्द लिखने को स्वैग मानते हैं। भले ये लोग चालान के डर से अपनी गाड़ी से जाति के स्टिकर हटा दें लेकिन इनके दिमाग में जाति का जो स्टिकर चिपका है, उसे हटाना काफी मुश्किल है।

हमारे देश में जाति भी एक फैशन बन गई है। लोग सड़कों पर इस पहचान के साथ बाहर निकलते हैं और गर्व महसूस करते हैं। लेकिन हमें लगता है कि ये मानसिक बीमारी है और इस बीमारी का इलाज किया जाना जरूरी है। जिस तरह विदेशों में छुट्टियां मनाने का आकर्षण बहुत बड़ा है, उसी तरह गाड़ियों पर अपनी जातियां लिखवाने का आकर्षण बहुत बड़ा है।

मोटर व्हीकल एक्ट में पहले से इसका जिक्र

भारत के मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक नंबर प्लेट्स से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। सरकार ने इसके लिए जो मानक तय किए हैं उनका पालन करना हर वाहन मालिक के लिए जरूरी है। मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक, आप अपने वाहन की नंबर प्लेट पर अपनी जाति, धर्म, गुरु, पदनाम, अपनी संस्था का नाम और पेशे का प्रदर्शन या प्रचार नहीं कर सकते हैं। गाड़ियों की अगली या पिछली WindShield पर कुछ भी लिखने की इजाजत नहीं है। लेकिन इसके बाद भी इन नियमों का धरल्ले से उल्लंघन हो रहा है। अब जब यूपी सरकार ने इस पर फैसला लिया है तो देखना होगा कि क्या बाकी सरकारें भी कुछ फैसला लेती है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.