आजादी के बाद से ही देश की सत्ता का सबसे अहम हिस्सा रहा जम्मू-कश्मीर का अब इतिहास और भूगोल ही बदल दिया गया है। देश का ताज कहे जाने वाला जम्मू-कश्मीर अब दो हिस्सों में बंटा हुआ नजर आएगा। एक तो जम्मू कश्मीर और दूसरा लद्दाख, ये दो केंद्रशासित प्रदेश हो गए हैं। दोनों केंद्रशासित प्रदेशों को देश के पहले गृहमंत्री और 560 से ज्यादा रियासतों का विलय करने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर वजूद में लाया गया है। इसी के साथ देश में एक देश, एक विधान, एक निशान लागू हो गया है। आपको बता दें कि अब देश में कुल 28 राज्य रह गए हैं, तो वहीं केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या बढ़ कर 9 हो गई है।
जम्मू-कश्मीर पुनगर्ठन विधेयक, 2019 के मुताबिक, दोनों केंद्रशासित प्रदेशों को 31 अक्तूबर से वजूद में आना था। ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया है। इससे पहले ऐसे कई उदाहरण हैं, जब केंद्रशासित प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाया गया या फिर एक राज्य को दो राज्यों में बांटा गया हो। अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में रणबीर पेनल कोड की जगह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) की धाराएं काम करेंगी। नए जम्मू-कश्मीर में पुलिस और कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन रहेगी, तो वहीं भूमि व्यवस्था की देखरेख का जिम्मा निर्वाचित सरकार के तहत होगी।
केंद्र सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख रीजन में जो मौजूदा साढ़े तीन लाख सरकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं वो आने वाले कुछ महीनों तक मौजूदा व्यवस्था के तहत ही अपने-अपने इलाकों में काम करते रहेंगे। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 107 सदस्य हैं, जिनकी परिसीमन के बाद संख्या बढ़कर 114 तक हो जाएगी। इसके अलावा, केंद्र सरकार जल्द ही इन दोनों केंद्र शासित राज्यों के सरकारी कर्मचारियों से उनके काम करने के प्राथमिकता की जगह पूछेगी। फिर आनेवाले दिनों में उस हिसाब से तैनाती की जाएगी। अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी सरकारी नियुक्तियां जल्द ही की जाएंगी।
जम्मू-कश्मीर के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि सरकारी कामकाज की भाषा अब ऊर्दू नहीं हिंदी होगी। प्रशासनिक स्तर पर इसे सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म कर देने का एलान किया था। जिसके मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी जैसी विधायिका होगी, जबकि लद्दाख बिना विधायिका के चंडीगढ़ जैसा होगा।
150 से ज्यादा पुराने कानून खत्म, 100 से ज्यादा नए कानून लागू
जम्मू-कश्मीर राज्य के बंटवारे के साथ उसे विशेष दर्जा देने वाले 150 से ज्यादा पुराने कानून अपने आप ही रद्द हो गए हैं, तो वहीं नए 100 से ज्यादा कानून लागू हो गए हैं। जो कानून लागू हो गए हैं, उनमें आधार, मुस्लिम विवाह विच्छेद कानून, सूचना का अधिकार अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, मनरेगा, भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम, मुस्लिम महिला संरक्षण अधिनियम और शत्रु संपत्ति कानून जैसे कुछ शामिल हैं।
ये होंगे अहम बदलाव
पुलिस व्यवस्था: जम्मू कश्मीर अब तक एक राज्य था तो पुलिस राज्य सरकार के अधीन थी लेकिन अब ये एक केंद्रशासित प्रदेश है तो यहां पर केंद्र सरकार के हिसाब से काम होगा। हालांकि जम्मू-कश्मीर में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का मौजूदा पद कायम रहेगा जबकि लद्दाख में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस वहां के पुलिस का मुखिया होंगे। दोनों ही केंद्रशासित राज्यों की पुलिस केंद्र सरकार के निर्देश पर काम करेगी।
हाईकोर्ट: फिलहाल जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर और जम्मू पीठ मौजूदा व्यवस्था के तहत काम करेंगी और लद्दाख के मामलों की सुनवाई भी अभी की तरह ही होगी। चंडीगढ़ की तर्ज पर इसे लागू करने का फैसला लिया गया है।
केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल: आने वाले दिनों में भी इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में केंद्र सरकार के निर्देश पर ही केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होगी।
आयोग: जम्मू कश्मीर और लद्दाख में फिलहाल जो आयोग काम कर रहे थे अब उनकी जगह केंद्र सरकार के आयोग आ जाएंगे।
विधायिका: दोनों केंद्रशासित राज्यों में लेफ्टिनेंट गवर्नर की भूमिका प्रमुख होगी और उन्हीं की अनुमति से महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।
अफसरशाही: आईएएस, आईपीएस और दूसरे केंद्रीय अधिकारियों और भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो लेफ्टिनेंट गवर्नर के नियंत्रण में रहेंगे, न कि जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार के तहत काम करेंगे। भविष्य में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अफसरों की नियुक्तियां अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और संघशासित कैडर से की जाएंगी।