शाम के वक़्त न्यूज़ सुनने के लिए जैसे ही टीवी खोला देखा ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ | काफी रोमांचित होके जब उस ब्रेकिंग न्यूज़ को देखने बैठी तो पता चला ये तो वही आजकल का रोज वाला ड्रामा ‘चोर’ और ‘चौकीदार’ हैं | जैसे ही गूगल पर आके सर्च किया तो पता चला आज की दो बड़ी ही महत्वपूर्ण रैली इन दो शब्दों से शुरू और इन्ही दो शब्दों पर ख़त्म हो गयी |
महापुरुष विवेकानंद ने ‘जीरो’ पर पूरा भाषण दिया था , शायद आजकल सत्ता और विपक्ष में होड़ कुछ वैसा ही करने की लगी हैं | ९०% रैली ‘चोर’ से शुरू और ‘चौकीदार’ पर ख़त्म |
‘आपने मुझे चौकीदार का काम दिया है , सारे चोर अपने आप भाग जाएंगे’ , ‘चौकीदार ही चोर है’ जैसे शब्दों से भला कौन सा भारतीय नहीं परिचित होगा ?
कभी राहुल गाँधी की रैली तो कभी मोदी की रैली , यदि कोई समानता है तो सिर्फ इन दो शब्दों का ‘चौकीदार’ और ‘चोर’ |
यूँ तो हमारे नेताओं की जुबान और भाषाशैली से हम सभी भली भाति परिचित हैं किन्तु २०१९ चुनाव के मद्देनज़र जिन दो शब्दों का बहुतायत रूप से प्रयोग हो रहा हैं वो हैं ‘चौकीदार’ और ‘चोर’|
हाल ही में मोदी और राहुल गाँधी के कुछ रैली जिनमे देश के सभी जरुरी मुद्दे को ताख पर रखते हुए ये दो नेता चौकीदार और चोर के झगड़े में उलझे रहे |
९ जनवरी २०१९, नरेंद्र मोदी ने सोलापुर की एक रैली में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘वे उस चौकीदार को देश से निकालना चाहते हैं जो पिछले ४ साल से देश के लिए खड़ा हैं’ |
जो लोग एक दूसरे का मुंह देखने के लिए तैयार नहीं होते थे, वो देश के चौकीदार को हटाने के लिए एक हो रहें है।
लेकिन ये चौकीदार बिना डरे, बिना रुके पूरी ईमानदारी से अपना काम करता रहेगा : पीएम मोदी #PMInAgra pic.twitter.com/VE2fg2OOYz
— BJP (@BJP4India) January 9, 2019
९ जनवरी २०१९, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का कहना हैं कि, ‘जनता की अदालत से भाग जाता हैं , ५६ इंच के छाती वाला चैकीदार‘ |
“Janta ki adaalat se 56-inch ki chaati wala chowkidaar bhaag gaya. Aur ek mahila se kehta hai sitharaman ji aap meri raksha kijiye, main apni raksha nahi kar paunga, aap meri raksha kijiye.”https://t.co/GRLnFvS2fw
— India Today (@IndiaToday) January 9, 2019
कभी मोदी कहते हैं ‘वे चौकीदार को देख के दूर से ही दर जाते हैं ‘ कभी राहुल का बिहार में होर्डिंग लगता हैं ‘चौकीदार नहीं ईमानदार चाहिए’
बता दें कि जुलाई २०१८ को तेलंगाना के मुख्यमंत्री की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ था उस समय राहुल गांधी ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि, ‘प्रधानमन्त्री जी ने बोला था वो चौकीदार हैं , मगर अभी तो चौकीदार भागीदार बन गया हैं ‘|
हालांकि बाद में मोदी ने राहुल की बात का जवाब देते हुए बोला कि ‘हाँ मैं भागीदार हूँ, लेकिन गरीबों और पिछड़ों के दर्द का ‘|
बहस के बाद ‘भागीदार’ शब्द का तो ज्यादा जिक्र नहीं हुआ लेकिन ‘चौकीदार’ और ‘चोर’ शब्द आये दिन ट्विटर का ट्रेंड बन जाते हैं |
देश की विडम्बना:-
राजनीति में आरोप प्रत्यारोप को आम बात हैं , किन्तु जब हमारे राजनीतिज्ञ इन बेतुके बातों को ही अपने भाषण में एजेंडा बना के देश के महत्वपूर्ण जरूरतों पर बहस करना छोड़ दे तो इसको देश की विडम्बना कहते हैं |
जब इस आरोप प्रत्यारोप के दौर में देशवासी अपने पसंदीदा लीडर की ‘चौकीदार’ और ‘चोर’ वाली बात जस्टिफाई करने लगे और अपने मूलभूल आवश्यकता को भूल कर इन नेताओं से जरुरी प्रश्न करना भूल जाए तो समझ लीजिये ये हैं देश की विडम्बना |
देश की विडम्बना ये हैं कि, सत्ता व विपक्ष दोनों पक्षों से सवाल करने के बजाय हम उनके इसी व्यंग पर खुश होक पटाखे छोड़ने लगते हैं कि हमारे नेता ने ‘चोर’ या ‘चौकीदार’ को कितना जोरदार जवाब दिया |
#चौकीदार_ही_चोर_है:-
#चौकीदार_ही_चोर_है हर ३ दिन पर ट्विटर में ट्रेंड होता हैं वही खुद को चौकीदार कहने वाले प्रधानमन्त्री मोदी जी भी अपनी उपलब्धियां गिनाने के बजाय लोगों को यही समझाने में लगे रहते हैं कि ‘#चौकीदार_चोर_नहीं’ |
शुरुवात में ये सभी व्यंग किसी को भी बड़े अच्छे लगते हैं किन्तु हर विषय-वस्तु की कुछ सीमा अवश्य होती हैं , और खासकर बात जब जनता के हित की हो तो ऐसे भाषणों को बहिस्कृत करना ही उचित होता हैं |
माननीय ‘प्रधानमन्त्री’ और ‘अध्यक्ष’ महोदय जी,
मैं जानती हूँ, आपलोगों के लिए कुछ बेवजह के बेतुके शब्द होने बहुत ही जरुरी हैं , आखिर ३-४ घंटे की रैली में बोलने को कुछ तो चाहिए ना | लेकिन प्लीज़ कुछ नया लेके आइये ना अब बस बहुत हो गया |
कृपया अपने निजी बहसबाजी से बाहर आके कुछ जवाब जनता के सवालों के भी दीजिये| या तो कुछ नया ढूंढ लीजिये क्योंकि जनता अब इन दो शब्दों से पक रही है|