उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था एक बार फिर से सवालों में घिरी हुई है। इसकी वजह लखीमपुर खीरी है, इस जिले में एक बार फिर से रेप की घटना सामने आई है। खीरी में इससे पहले भी दो ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। 20 दिनों में ही ये तीसरी लड़की के साथ रेप की घटना सामने आई है। इसके साथ ही योगी सरकार के न्यूनतम अपराध के दावे की पोल खुल गई है।
लखीमपुर खीरी के सिंगाही इलाके के एक गांव में 3 साल की बच्ची घर से लापता हुई थी, जिसके बाद अगले दिन उसका शव गन्ने के खेत में क्षत-विक्षत हालत में मिला था। बच्ची के पिता ने अपनी शिकायत में गांव में रहने वाले लेखराम पर आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि पुरानी दुश्मनी के चलते उनकी बेटी का अपहरण किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।
पहले 25 अगस्त को उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी जिला में 17 साल की लड़की की लाश गांव के बाहर एक सूखे तालाब के पास मिली थी। इस मामले में पहले पुलिस ने लड़की की धारदार हथियार से हत्या की बात कही थी, लेकिन बाद में आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि की बात भी सामने आई।
इससे पहले 16 अगस्त को एक 13 साल की दलित नाबालिग से गैंगरेप और हत्या की घटना सामने आई थी। इस वारदात में भी लड़की का शव गन्ने के एक खेत में मिला था। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर एक मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया था।
पिछले दिनों राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों की बात करें तो साल 2013 के मुकाबले साल 2020 में बलात्कार के मामलों में 25.94 फीसदी और साल 2016 के मुकाबले 38.74 फीसदी की कमी आई है। दावों के मुताबिक, अन्य प्रकार के अपराधों में भी काफी कमी आई है। सरकार के मुताबिक, पॉक्सो एक्ट के मामलों में प्रभावी पैरवी की वजह से एक जनवरी 2019 से इस साल 30 जून तक 922 मुकदमों में अभियुक्तों को सजा हुई है जिनमें से पांच को मृत्युदंड की सजा दी गई है।
सरकार के मुताबिक विभिन्न अपराध में शामिल अभियुक्तों के खिलाफ अन्य धाराओं के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत भी कार्रवाई हुई है। लेकिन जिस तरह आपराधिक घटनाओं में तेजी दिख रही है, उसके आधार पर विपक्ष और जानकार दोनों ही आंकड़ों को तर्कसंगत नहीं मान रहे।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की इस साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। देश में महिलाओं के खिलाफ साल 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए। ये आंकड़ा देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8% है।
इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 43,22 केस हुए। यानी हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए। खास बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी। एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
महिलाओं की सुरक्षा को अपनी वरीयता बताने वाले सीएम योगी न्यूज चैनलों के इंटरव्यू देते समय सूबे में न्यूनतम अपराध की बातें करते हैं और दूसरी ओर उन्हीं की सरकार विधानसभा में अलग आंकड़े पेश करती है। विधानसभा में एक सवाल के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि सरकार के गठन से लेकर 9 मई तक राज्य में कुल 729 हत्याएं, 803 बलात्कार, 60 डकैती, 799 लूट और 2682 अपहरण की घटनाएं हुई हैं।