TaazaTadka

माननीय मोदी जी, मुबारक हो ! चुनावी रैलियों में रोटी सेकने को अच्छा मुद्दा मिल गया न ?

१४ फरवरी २०१९, एक ऐसा दिन जब हमारे देश के ४२ वीर सपूत ने भारत माँ के चरणों में तथाकथित ‘प्रेम दिवस’ अपने जान की कुर्बानी दे दी | जिसके बाद से ही पुरे देश में आक्रोश की ज्वाला भड़की है | लोगों को अब बात नहीं सिर्फ अब पकिस्तान से प्रतिकार चाहिए |

बड़ी ही दुखद बात ये है कि सैनिकों की कब्र पर यूँ तो राजनितिक रोटियां सेकना आम बात है | किन्तु इस बार मजेदार चीज ये है कि भारत में चुनाव आने वाला है | और ऐसे समय पर पुलवामा पर राजनितिक रोटी सेकते हुए  देशवासियों को देशभक्ति का पाठ बड़े ही आसानी से पढ़ाया जा सकता है |

१ दिन पहले ट्विटर पर ट्रेंड चला था #ExposeDeshDrohis जिसमे लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया | काफी लोगों को इस बाबत तालाब भी किया गया | किन्तु यदि हम इस हैशटैग पर होने वाले ज्यादातर ट्वीट देखें तो पाएंगे कि वहां आरोप प्रत्यारोप का दौर था | एक पार्टी वाला दूसरे पार्टी या उसके लीडर को देशद्रोही साबित करने में लगा था |

बता दें कि चुनावी सभा को सम्बोधित करना यूँ तो आम बात है चुनावी रैलियों के दौरान किन्तु जिस वक़्त इस खबर से पूरा देश गमगीन था उसी वक़्त बीजेपी दिल्ली अध्यक्ष नाच गाने का प्रोग्राम करने में व्यस्त तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लोगों को आश्वासन देने में व्यस्त थे कि मंदिर जल्द ही बनाया जाएगा और अवश्य बनेगा |

प्रधानमन्त्री की राजनितिक रोटियां –

लेकिन इन सबके ऊपर बाज़ी मारी हमारे प्रधानमन्त्री जी ने | जी हाँ दोस्तों इन्होने न ही किसी रैली में राम मंदिर को मुद्दा बनाया न ही नाच गाने को आधार | ये तो व्यस्त हैं बाकायदा शहीदों की कुर्बानी पर राजनितिक रोटियां सेकने को |

ज्ञात हो कि, इंटेलिजेंस को मिली खबर का संज्ञान होने के बाद CRPF जवानो द्वारा PMOIndia से हेलीकाप्टर माञा गया | बावजूद इसके उनकी बातों को खारिज करते हुए हेलीकॉपर्स को चुनावी रैलियों में व्यस्त रखे गए शायद |

आज जब देश ने अपने ४२ वीर पुत्रों को खो दिया है तो सर्वदलीय बैठक होने के पहले ही एक चुनावी रैली में मोदी जी कहते हैं कि, ‘जवानो को आतंकवादियों से निपटने की पूरी छूट दे दी गयी है ‘ |

माननीय मोदी जी, पहली बात तो ये कि सर्वदलीय बैठक के पहले ये फैसला लेने की बात किसी ने नहीं कही | और दूसरी बात आतंकवादियों से निपटने के लिए जवानो को कब खुली छूट नहीं दी गयी थी ?

उरी, पठानकोट जैसे हमलों में भी देश इसी तरह आक्रोश में था किन्तु इस बार मोदी सरकार ने बड़े ही चालाकी से इस मुद्दे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की है | इस बात को कह कर वो जानबूझ कर ये साबित करने में लगे हैं कि आजतक कि तमाम सरकारों में साहस की कमी थी और हमने सेना को खुली छूट दे रखी है |

सिद्धू को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने वाले वही लोग हैं जो कंधार में आतकवादी को छोड़ कर आये थे और पकिस्तान में जाके नवाज़ शरीफ का जन्मदिन मना रहे थे | क्या आपको याद है ? वीर सपूतों के शहादत पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले इन राजनेताओं ने एक भी रैली रद्द नहीं की |

सैनिकों को छूट है भी तो किस बात की ?

प्रधानमंत्री लगातार चुनावी रंग में लोगों को बोल रहे हैं उन्होंने खुली छूट दे रखी है तो माननीय प्रधानमन्त्री जी ये भी स्पष्ट कीजिये न कि, पकिस्तान पर हमला करने कि छूट है या फिर काश्मीर में छिपे १-२ आतकवादियों को मारने की छूट ? बता दें कि, काश्मीर में आये दिन सेना और आतंकी मुठभेड़ में कई जवान शहीद होते हैं साथ ही साथ कई आतंकवादी भी हर दिन मौत के घाट उतारे जाते हैं | तो फिर नया क्या किया है माननीय प्रधानमन्त्री जी आपने ? कृपया चुनावी सभाओं में उसको भी उजागर करने की कोशिश करें |

विपक्ष का सहयोग मोदी की चुनावी सभा में डाल रहा जान –

यूँ तो सत्ता और विपक्ष हमेशा हर मुद्दे पर एक दूसरे के विरोध में रहती हैं | किन्तु जब बात देश की रक्षा और वीर सपूतों के बलिदान से जुड़ा हो तो हर देशवासी आज एक साथ एकजुट है | इन बातों का सही उपयोग करने के वजाय चुनावी सभाओं में बड़े ही चालाकी से लोगों को दिखाया जा रहा है कि विपक्ष मोदी सरकार के आगे आज नतमस्तक है क्योंकि मोदी में साहस है अटक के खिलाफ कार्यवाही का |

आतंक के खात्मे के बाबत अपनी कन्नी काटना –

जैसा कि सत्यहिंदी के एक लेख में ये बताया गया है कि किस तरह से मोदी जी सभी चुनावी रैलियों में यही कहते फिर रहे हैं कि, उन्होंने सेना को खुली छूट दे रखी है ताकि लोग बाद में उनसे कोई सवाल करें तो वो ये कह पाएं कि उन्होंने तो सेना को खुली छूट दे रखी थी |

मोदी राज में बढ़ रहा शहीदों की संख्या –

हिन्दुस्तान टाइम्स व टाइम्स ऑफ़ इंडिआ के अनुसार मोदी की सरकार में शहीदों की संख्या में UPA-2 की अपेक्षा कही ज्यादा है | पिछले १० साल में सबसे ज्यादा शहीदों की संख्या में इज़ाफ़ा २०१७ में हुआ |

बीजेपी समर्थकों की चांदी चांदी –

देख के अफ़सोस हो रहा है कि पुलवामा में शहीद होने वाले सैनिकों के आड़ में बीजेपी समर्थक गजब की सहानुभूति बटोरने में व्यस्त हैं | बड़े ही आसानी से किसी को भी देशद्रोह और देश भक्त होने का सर्टिफिकेट बांटने में लगे हुए हैं ये लोग |

हो भी क्यों न भारत में चुनावी सीजन में ये सब करना लोगों का संवैधानिक अधिकार शायद समझा जाता है | ५-६ महीने के इस चुनावी सीजन में जरुरी है |

आखिर ये मोदी समर्थक सरकार से क्यों नहीं पूछते कि अब तक घाटी में ३७० क्यों नहीं लागू हुआ ? क्यों नहीं आज तक एक भी कश्मीरी पंडितों कि घाटी में वापसी हुई ? आतंकवाद को लेके क्या नया लेके आयी केंद्र सरकार? ना जाने कितने ही सर्जिकल स्ट्राइक हुए किन्तु आज तक किसी भी साहसिक कदम को किसी ने क्यों नहीं चुनावी मुद्दा बनाया ?

माननीय मोदी जी यदि इतने ही बड़े देशभक्त थे थे तो २-३ दिन रूक जाते चुनावी सभाओं में फीता काटने से | लेकिन उम्मीद भी क्या किया जाए इन राजनेताओं से जब शहादत के दिन नहीं रुके चुनावी सभाओं को सम्बोधित करने में तो आज तो २-३ दिन हो गए हैं |