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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी का बदला हुआ अवतार क्या उनको दिलाएगा फायदा

Logic Taranjeet 27 December 2020
राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी का बदला हुआ अवतार क्या उनको दिलाएगा फायदा

कांग्रेस पार्टी 136 साल की होने जा रही है, लेकिन शायद अपने सबसे बुरे दौर पर खड़ी है। कांग्रेस पार्टी को अपने आप को बदल कर सामने रखने की जरूरत है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ नेतृत्व में भी बदलाव की जरूरत है। राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा भी चुनाव की तैयारी करने में लगी है। कांग्रेस और नेतृत्व में काफी बदलाव भी इस वक्त नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ता 28 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के सभी गांवों में झंडा फहराने वाले हैं। इसे कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरुआत के रूप में भी देखा जा सकता है। ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को 3 दिन तक यात्रा करने के लिए भी कहा गया है। इस यात्रा के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता गांव-गांव में जाकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की खामियों के बारे में लोगों को बताएंगे और कांग्रेस का पक्ष समझाने की कोशिश करेंगे।

कांग्रेस राष्ट्रवाद के अपने इस नए प्रयोग के जरिये यूपी साधने की कोशिश में लगी है, हालांकि इससे पहले सॉफ्ट हिंदुत्व का प्रयोग भी किया जा चुका है। जनवरी 2021 में कांग्रेस की फिर से कमान राहुल गांधी के हाथ में जा सकती है। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि भाजपा की तरह अब कांग्रेस भी तिरंगा यात्रा निकाल रही है और नेताओं को कांग्रेस के ऑनलाइन कैंपेन ‘सेल्फी विद तिरंगा’ के लिए भी पहले से ही कमर कस लेने के लिए कह दिया गया है।

बदल रहा है राहुल गांधी की राजनीति का तरीका

कांग्रेस नेतृत्व सॉफ्ट हिंदुत्व के छिटपुट प्रयोगों से गुजरते हुए अब राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ने में लगे हैं। ऐसा लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व शिद्दत से महसूस करने लगा है कि संघ और भाजपा के प्रभाव में देश की राजनीति राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के इर्द गिर्द की घूमती फिरती सिमट कर रह गयी है।

किसानों के भयंकर सर्दी में दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहने के बावजूद देश का राजनीतिक माहौल ऐसा बन गया है कि कि न तो लेफ्ट का मार्क्सवाद चल पा रहा है और न ही कांग्रेस का पसंदीदा सेक्युलरिज्म। समाजवाद तो पहले ही अपना खेमा बदल चुका है और जातीय राजनीति में जकड़ा हुआ है।

गुजरात से राहुल गांधी ने अपना सॉफ्ट हिंदुत्व प्रयोग शुरू किया और इसी साल 5 अगस्त को जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम चल रहा था तो ट्विटर के जरिये हिंदुत्व से भी मजबूती से जुड़ने की काफी कोशिश की थी। हालांकि सारी कोशिशें एक के बाद एक नाकाम होती जा रही हैं, तो इसलिए अब भाजपा वाला तरीका अपनाए जाने की कोशिश की जा रही है।

माना जा रहा है कि जनवरी, 2021 से यूपी चुनाव अभियान में प्रियंका लगने वाली है। किसानों को लेकर राहुल गांधी की राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान भी एक खास चीज देखने को मिली। राहुल गांधी अपने अधीर रंजन चौधरी के अलावा गुलाम नबी आजाद को भी ले गये थे। कांग्रेस में असंतुष्ट नेता गुलाम नबी आजाद को राहुल गांधी के साथ खड़े देखना अपने आप में काफी अलग था।

अपनाने लगे है राष्ट्रवादी अवतार

कांग्रेस के लिए ये विडंबना ही कही जाएगी कि जिस पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ कर कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार ने बांग्लादेश को अलग राष्ट्र बनाया था। वो कांग्रेस राजनीति के उस छोर पर है कि कैसे वो लोगों को समझा पाये कि उसका कभी पाकिस्तान को फायदा पहुंचाने का इरादा नहीं था। जब चीन के साथ भारत का सीमा विवाद गलवान घाटी से हिंसक झड़प तक पहुंच गया तो राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिये।

फिर क्या था, भाजपा नेताओं की फौज ने राहुल गांधी को पाकिस्तान परस्त होने के साथ साथ चीन के साथ भी दोस्ती होने वाली पोल खोल दी। राहुल गांधी की चीनी राजदूत से मुलाकात से लेकर कांग्रेस को मिले चंदे की चर्चा पर पार्टी नेताओं को बार-बार सफाई देकर बचाव का रास्ता अपनाना पड़ा। ऐसी तोहमतें कांग्रेस पर बहुत ही भारी पड़ने लगी हैं और यही वजह है कि पार्टी नेतृत्व इनसे निजात पाने का कोई ठोस उपाय खोज रहा है। तिरंगा यात्रा और सेल्फी विद तिरंगा का कंसेप्ट इसी कवायद का हिस्सा लगता है।

बरसों पहले इंदिरा ने कर दिया था सबसे बड़ा हमला

कांग्रेस नेतृत्व चाहता है कि लोग एक बार नये सिरे से ये समझने की कोशिश करें कि मोदी सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक से बरसों पहले कांग्रेस की इंदिरा सरकार ने पाकिस्तान को सबसे बड़ा सबक सिखाया था। शिमला समझौता भी इंदिरा गांधी की ही देन है जिसके चलते बरसों तक किसी भी तीसरे पक्ष के जम्मू-कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप से रोका जाता रहा है, हालांकि, 5 अगस्त, 2019 के बाद धारा 370 खत्म होने के बाद से हालात पूरी तरह बदल ही गये हैं।

16 दिसंबर को पाकिस्तान के खिलाफ जंग में जीत का जश्न विजय दिवस के रूप में मनाया गया। कांग्रेस जीत के जश्न को और आगे ले जाने की तैयारी में है। दरअसल, अगले साल 2021 में युद्ध जीतने के 50 साल पूरे हो रहे हैं और कांग्रेस विजय दिवस की स्वर्ण जयंती व्यापक पैमाने पर मनाये जाने का प्लान कर रही है।

अब तो ये लगने लगा है जैसे राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ कदम आगे बढ़ा रही कांग्रेस के कैंपेन में हिंदुत्व का भी तड़का लगेगा ही और फिर तो ऐसा लगता है अगर मिशन कामयाब नहीं हो सकता तो जल्द ही कांग्रेस भी भाजपा की B टीम के रूप में नजर आने लगेगी।

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.