नई दिल्ली: इस लोकसभा चुनावों के दौरान मोदी लहर का ऐसा जादू चला कि बड़े बड़े दिग्गज अपनी सीट नहीं बचा पाए| बात चाहे राहुल गाँधी कि हो या फिर शत्रुघ्न सिन्हा जैसे नेताओं कि, हर कोई हारकर अपनी सीट गवाएं बैठा है| लेकिन प्रचंड मोदी लहर के बाद भी चार ऐसे निर्दलीय सांसद हैं जिनके ऊपर इस लहर का असर नहीं हुआ और वो जीतकर संसद में पहुचे|
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मोहन एस डेलकर
ये केंद्र शासित प्रदेश दादर और नगर हवेली से निर्दलीय उम्मीदवार थे जिन्होंने बीजेपी के नाटुभाई पटेल को 9001 वोटों से हराया है| हालाँकि साल 2009 और साल 2014 में ये नाटुभाई के सामने हार गए थे लेकिन तब ये कांग्रेस से थे| साल 2014 में कांग्रेस का दामन छोड़ा और इस बार निर्दलीय लड़कर संसद में पहुचे| प्रचंड मोदी लहर भी इन्हें नहीं हरा पाई| जीवन का पहला चुनाव साल 1989 में जीते थे और तब भी निर्दलीय ही थे|
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नवनीत रवि राणा
इनकी तस्वीरे सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही हैं| दरअसल इनकी सुन्दरता को लेकर लोग अलग-अलग कमेन्ट कर रहे हैं| ये महाराष्ट्र की अमरवती सीट से मैदान में थीं| इन्होने शिवसेना के सांसद अडसूल आनंदराव बिठोबा को 36,951 वोटों से हराया है| इनके पति रवि राणा निर्दलीय विधायक है| साल 2014 में भी इन्होने चुनाव लड़ा था लेकिन उस समय शिवसेना के सांसद से लगभग एक लाख वोटों से हार गईं थीं| इस बार प्रचंड मोदी लहर भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाई|
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नबा कुमार सरनिया
असम की कोकराझार सीट से मैदान में थे नबा कुमार जो कि एक रिज़र्व सीट है| यहाँ पर इन्होने BPF अर्थात बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद् की उम्मीदवार प्रमिला रानी ब्रम्हा को 37 हजार वोटों से हराया है| ये पहले उल्फा बटालियन में कमांडर रह चुके हैं| इसके अलावा साल 2014 में भी ये निर्दलीय जीते थे और इस बार भी वैसा ही है| मोदी लहर इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाई|
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सुमलता अंबरीश
ये कर्णाटक कि मांड्या सीट से जीतकर संसद भवन में पहुची हैं| इन्होने जेडीएस के उम्मीदवार और मुख्यमंत्री के बेटे निखिल को लगभग एक लाख से अधिक वोटों से हराया है| ये दक्षिण भारत कि लोकप्रिय फिल्म स्टार हैं जिन्होंने लगभग 250 से अधिक फिल्मों में काम किया है| इनके पति भी स्टार थे| इनके पति बीस सालों तक कांग्रेस से चुनाव लड़ते रहे और जीत हासिल करके मंत्री बने| इनकी जीत इसीलिए भी अहम् है क्योकि इनके सामने मुख्यमंत्री के बेटे निखिल थे और दूसरी बात कि कर्णाटक ने आज तक महज दो ही निर्दलीय सांसदों को जिताया है|
तो ये हैं वो चार निर्दलीय सांसद जिन्होंने अपनी जीत की कहानी खुद ही लिखी| मोदी लहर और दुनिया भर के ताम-झाम होने के बाद भी इस बार ये जीतकर संसद पहुचे|