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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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आज तक राज बनकर ही रह गई भारत के इन राजनेताओं की मौत

हमारे देश में कई ऐसे नेता हुए, जिनकी मौत आखिर हुई कैसे, इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया है। इन नेताओं की मौत के पीछे छिपे रहस्य से पर्दा हटाने की कोशिशें तो कई बार हुईं, मगर वे कामयाब नहीं हो सकीं
Information Anupam Kumari 18 October 2019

हमारे देश में कई ऐसे नेता हुए, जिनकी मौत आखिर हुई कैसे, इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया है। इन नेताओं की मौत के पीछे छिपे रहस्य से पर्दा हटाने की कोशिशें तो कई बार हुईं, मगर वे कामयाब नहीं हो सकीं। ऐसे में आज तक लोग केवल अनुमान ही लगा पा रहे हैं। यहां हम आपको ऐसे ही 6 राजनेताओं के बारे में बता रहे हैं, जिनकी मौत आज तक केवल रहस्य बनकर ही रह गई है।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस

भारत के महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत की गुत्थी आज तक नहीं सुलझ पाई है। सबसे बड़ी बात तो ये भी है कि आज तक यह भी नहीं पता चल पाया है कि आखिर उनकी मौत हुई कब? अलग-अलग समय पर अलग-अलग जांच आयोग ने इसकी जांच की, मगर कोई भी एक समान निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका। जहां ब्रिटिश सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में नेताजी की मौत ताइवान के ताइपे में वर्ष 1945 में विमान दुर्घटना में होना बताया, वहीं एक और रिपोर्ट में दावा किया गया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत सर्बिया में सोवियत सेना की कैद में रहने के दौरान हुई थी। बाद में भारत सरकार की ओर से वर्ष 1956 में गठित शाह नवाज कमेटी ने कहा कि जापान जाकर जांच करने पर पाया गया है कि नेताजी की अस्थियां जापान के रेनकोजी मोनेस्ट्री में रखी हुई हैं। इस तरह से नेताजी की मौत अब भी रहस्य ही बनी हुई है।

लाल बहादुर शास्त्री

भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्राकृतिक मौत हुई या फिर उनकी हत्या की गई, यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता के सिलसिल में शास्त्री ताशकंद गये हुए थे। बताया जाता है कि 11 जनवरी, 1966 को वहां उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। हालांकि शास्त्री की पत्नी ने दावा किया कि उनका शरीर नीला पड़ गया था। इसलिए उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं, बल्कि जहर देने से हुई थी। शास्त्री की मौत के वक्त ड्यूटी पर बटलर की तैनाती थी, मगर सबूतों के अभाव में बाद में उसकी रिहाई हो गई। इस तरह से आज तक लाल बहादुर शास्त्री की भी मौत के रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय

विचारक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उच्च पद पर आसीन पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत का राज भी आज तक नहीं खुल सका है। ट्रेन से यात्रा करते वक्त उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 11 फरवरी, 1968 को उनकी मौत रहस्यमयी ढंग से हो गई थी। आज तक यह पता चल ही नहीं पाया कि उनकी मौत स्वाभाविक थी या फिर उनकी हत्या की गई थी। लोगों के बीच इसे लेकर अलग-अलग धारणाएं प्रचलित हैं, मगर किसी भी धारणा के पीछे कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है। मुगलसराय स्टेशन का नाम अब बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर ही रख दिया गया है।

डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी

भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत 11 मई, 1953 को कश्मीर में हो गई थी। थे तो वे पहले कांग्रेसी ही, मगर 1944 में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था और हिंदू महासभा के अध्यक्ष चुन लिये गये थे। आज जो धारा 370 को हटाया गया है, उसी वक्त मुखर्जी कांग्रेस द्वारा कश्मीर को विशेष दर्जा दिये जाने का लगातार विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे। कश्मीर में उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया था और कैद में उनकी मौत हो गई थी। बताया जाता है कि उन्हें पेनिसिलिन से एलर्जी थी। फिर भी उन्हें यह इंजेक्शन लगाये जाने की वजह से उनकी मौत हो गई थी। मां जोगमाया देवी द्वारा जांच कराने की मांग की तत्कालीन सरकार द्वारा ठुकरा दी गई थी। इस तरह से डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भी मौत का राज आज तक दबा ही रह गया है।

संजय गांधी

इंदिरा गांधी के बेटे और कांग्रेस सांसद संजय गांधी की 23 जून, 1980 को विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी। दिल्ली में सफदरजंग के पास हुए इस हादसे में कुछ लोगों को साजिश की बू आई, क्योंकि उनके प्लेन के क्रैश होने के बाद उसमें न तो आग लगी थी और न ही कोई धमाका हुआ था। कहते हैं कि संजय गांधी सरकार और अपनी मां इंदिरा गांधी तक पर भी हावी हो गये थे, जिस वजह से उनके बहुत से राजनीतिक दुश्मन बन गये थे। अफवाहें तो ऐसी भी उड़ी थीं कि मां इंदिरा गांधी ने ही अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए उनकी हत्या करा दी। हांलाकि, इसे लेकर कभी कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया।

इन नेताओं की मौत को लेकर आज भी लोग बातें करते हैं, लेकिन पूरे विश्वास के साथ कुछ भी नहीं कह पाते, क्योंकि कोई ठोस सबूत ही मौजूद नहीं है। इन सभी नेताओं की मौत से कभी पर्दा उठा पायेगा भी या नहीं, यह भी कहना मुश्किल ही है।

Anupam Kumari

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मेरी कलम ही मेरी पहचान