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दिल्ली में महिला फैक्टर: केजरीवाल की फ्री राइड के बाद कांग्रेस दे रही है 33% सीटें

Politics Tadka Taranjeet 15 June 2019
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लोकसभा चुनाव के ख्तम होने के बाद अब सभी पार्टियों की नजरें साल 2020 की शुरुआत में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव पर अटक गई है। ऐसे में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ने ही महिलाओं का राग अलापना शुरु कर दिया है। दोनों ही महिला वोट बैंक को अपनी तरफ खींचने में लगे हुए है। इसमें पहले बाजी मारते हैं दिल्ली में महिला फैक्टर के बाबत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो द्वारा मेट्रो और बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर का एलान कर देते हैं।

इसके बाद दिल्ली की महिलाएं 2 हिस्सों में बंटी हुई नजर आई जिसमें एक तबका इस कदम की तारीफ कर रहा था तो वहीं दूसरा इस फैसले की आलोचना कर रहा था। एक तबके का कहना था कि इससे दिल्ली की महिलाएं और सशक्त होंगी तो दूसरे तबके का कहना था कि ये महिलाओं को कमजोर करेगा क्योंकि इससे साबित होता है कि महिलाएं और पुरुष बराबर नहीं है। जैसे तैसे ये मामला अबी शांत हुआ ही था कि अब कांग्रेस ने भी दिल्ली की महिलाओं के लिए बड़ा गेम खेल दिया। दिल्ली कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए हर एक विधानसभा के जिला और ब्लॉक अध्यक्षों से तीन-तीन संभावित उम्मीदवारों के नाम मांगे हैं और इनमें कम से कम एक महिला का नाम देना जरूरी है।

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए जिला और ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों से हर विधानसभा के लिए 3 नामों का पैनल मांगा है जिसमें एक महिला का नाम शामिल करने के लिए कहा है। यानी की कुल जितने भी नाम आएंगे उनमें कम से कम 33% महिलाएं जरूर होंगी। 22 जून तक इस पैनल को भेज दिया जाएगा।

फ्री-राइड केजरीवाल का चुनावी स्टंट- कांग्रेस

माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार दिल्ली में 33 फीसदी उम्मीदवार महिलाओं को बनाने जा रही है। कांग्रेस का कहना है कि हम चाहते हैं कि देश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़े। शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम में 50% महिला आरक्षण लागू किया था। हालांकि टिकट देते समय जिताऊ फैक्टर ही अहम पैमाना होगा। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित खुद महिला हैं और महिलाओं के अधिकार के लिए प्रतिबद्ध रही हैं। वहीं इसके अलावा कांग्रेस की तरफ से केजरीवाल के मेट्रो और बसों की फ्री राइड को एक चुनावी स्टंट बताया है।

हां कांग्रेस ने अपने इस फैसले में एक हैरान करने वाली बात जरूर दिखाई कि उनकी दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष को ही इस बैठक में नहीं बुलाया गया था। इस पर सफाई देते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा कि ये जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की बैठक थी इसलिए किसी भी फ्रंटल संगठन को नहीं बुलाया गया था।

लेकिन कांग्रेस पार्टी के फैसले पर दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी ने खुशी जरूर जताई है। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि ये बेहद शानदार कदम है। इससे जमीनी स्तर से संभावित उम्मीदवारों में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी होगी। हालांकि टिकट किसको मिलता है वो कई पहलुओं के आधार पर तय किया जाएगा। जहां तक संसद/विधानसभाओं में 33% महिला आरक्षण की बात है तो यूपीए सरकार राज्यसभा में बिल लाई थी। इसके अलावा सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बिल के लिए चिट्ठी भी लिख चुके हैं।

विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली कांग्रेस की गंभीरता इस बात से भी समझ में आती है कि बिजली बिल के मुद्दे पर शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की है। कांग्रेस का आरोप है कि पिछले महीनों में फिक्सड चार्ज बढ़ने की वजब से काफी बढ़े हुए बिल आए हैं। लगभग 7401 करोड़ फिक्स्ड चार्ज और सरचार्ज के नाम पर ‘लूटे’ गए हैं। कांग्रेस की तरफ से मांग की जा रही है कि इस वजह से सरकार लोगों के अगले 6 महीने के बिजली बिल माफ करें।

2015 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला

साल 1998 से लेकर साल 2013 तक 15 सालों तक दिल्ली सरकार चलाने वाली कांग्रेस, 2013 में आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद विधानसभा चुनाव से दिल्ली में तीसरे नम्बर की पार्टी बन कर रह गई थी। यहां तक कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका था। हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन उसने आम आदमी पार्टी को पछाड़ते हुए तीसरे से दूसरा स्थान हासिल कर लिया है। लेकिन उसे इस बात का एहसास अच्छी तरह से है कि दिल्ली की सत्ता में वापस आने के लिए किसी ‘चमत्कार’ की जरूरत है।

कांग्रेस अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी

इसी कारण से कांग्रेस अपनी जमीन मजबूत करने में लगी हुई है। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन में जिला और ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित चाहती हैं कि साल 2020 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन जल्दी किया जाए ताकि उन्हें चुनाव की तैयारियों के लिए पूरा वक्त मिल सके और इस बार दिल्ली में कुछ बड़ा काम किया जा सके।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.