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नेता तो मंच से लोकतंत्र उछाल रहे, कम से कम आप प्याज उछाल कर उनकी तरह न बनें

नेताओं के मंच से लोकतंत्र को उछाला ही जा रहा है कम से कम आप तो प्याज उछाल कर उनकी तरह खुद को मत बनाइए।आप जनता है और इस देश के राजा आप है।
Logic Taranjeet 8 November 2020
नेता तो मंच से लोकतंत्र उछाल रहे, कम से कम आप प्याज उछाल कर उनकी तरह न बनें

बिहार में चुनाव हो और अजीब हरकतें ना हो , ऐसा नहीं हो सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव में नेताओं के साथ अब जनता भी अपनी समझ खोती जा रही है, जनता ने भी समझदारी से दूरी बना ली है। जहां एक तरफ नेताओं की बातें कड़वी होती जा रही है तो वहीं जनता भी पीछे नहीं है। बिहार में जनता ने मुख्यमंत्री पर पत्थर और प्याज फेंके। सवाल ये है कि क्या ये पत्थर लोकतंत्र पर चोट नहीं कर रहे हैं?

मधुबनी में पड़े प्याज

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मधुबनी जिले के हरलाखी में एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे और इस दौरान जैसे ही वो मंच पर भाषण देने के लिए पहुंच तो लोगों का आक्रोश सामने आ गया और उतने में ही सामने से एक-दो युवकों ने मंच पर प्याज फेंकने शुरु कर दिए। जिसके बाद तुरंत ही मंच पर मौजूद सुरक्षाकर्मी नीतीश कुमार के बचाव में सामने आ गए और सुरक्षाकर्मी प्याज फेंकने वालों को ढूंढने लगे। नीतीश कुमार ने भी नाराज होकर कहा- खूब फेंको, खूब फेंको।

मुख्यमंत्री नीतीश ने अपना संबोधन नहीं रोका और सभा में आए लोगों से कहा कि आप समझ सकते हैं। रोजगार का कितना अवसर पैदा होगा। ये पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार के खिलाफ उनकी रैलियों में इस तरह से लोगों ने हंगामे किए हैं। इससे पहले परसा में जब वो लोकतंत्र के जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशी चंद्रिका राय के लिए प्रचार करने के लिए गए थे तो भी लोगों ने सभा में लालू जिंदाबाद के नारे लगाए थे। इस बात पर भी नीतीश कुमार काफी भड़क गए थे और लोगों से कहा था कि तुमको अगर वोट नहीं देना है मत दो यहां पर हल्ला मत करो।

तेजस्वी भी हुए हैं शिकार

हालांकि ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटना के शिकार सिर्फ नीतीश कुमार ही हुए हैं। ऐसी ही एक घटना तेजस्वी यादव के साथ भी हुई थी। जब वो बिहार के औरंगाबाद के कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र में तेजस्वी यादव पर चुनावी सभा कर रहे थे। सभा के दौरान एक युवक ने तेजस्वी की तरफ चप्पल फेंकी थी। हालांकि युवक का कहना था कि उसने तेजस्वी पर नहीं बल्कि उनके विधायक पर फेंकी थी।

लेकिन इन सबके बीच सवाल ये है कि बिहार में चप्पल-जूते से विरोध कब से होने लगा। जनता जनार्दन हैं, जनता किसी को भी फर्श से अर्श पर और अर्श से फर्श पर पहुंचा देती है। जनता ने इंदिरा गांधी से लेकर जेपी तक को अर्श से फर्श पर पहुंचाया है। हमला करना है नाराजगी जाहिर करनी है तो वोट से नाराजगी जाहिर कीजिए, जो काम नहीं करे उसके खिलाफ जोर से ईवीएम में बटन दबाने का काम करना होता है। ना कि इस तरह की हरकतें कर।

नेताछाप हरकतें मत करिये

नेता बिहार के असल मुद्दे छोड़कर कश्मीर, राम मंदिर, जय श्री राम, भारत माता की जय में अपको उलझाने में लगे रहे हैं। कोई कहता रहा है कि विपक्ष पाकिस्तान प्रेमी है, कोई परिवार की मर्यादा की बात कर रहा है, तो कोई कह रहा है कि भारत विरोधी एकजुट हो गए हैं। जबकि बड़े मुद्दे हैं बेरोजगारी, पलायन, सेहत, शिक्षा।

नेताओं ने तो इन मुद्दों को छोड़ दिया था उम्मीद है कि चुनाव में कम से कम आपने इन मुद्दों को नहीं छोड़ा होगा। नेताओं के मंच से लोकतंत्र को उछाला ही जा रहा है कम से कम आप तो प्याज उछाल कर उनकी तरह खुद को मत बनाइए। आप जनता है और इस देश के राजा आप है। तो खुद नेताओं वाली हरकत मत करिये।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.