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संजय राउत और फडणवीस की गुपचुप मुलाकात के क्या मायने

देवेंद्र फडणवीस और संजय राउत अगर ऐसे ही बिना किसी मकसद के बनते तो भी चर्चा तो होती लेकिन चुपके से अकेले होटल में मिले तो मामला और गहरा गया। महाराष्ट्र में शिवसेना की अगुवाई में कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद भाजपा और शिवसेना के प्रमुख नेताओं की ये पहली मुलाकात है। अब ऐसी मुलाकातें होंगी तो ध्यान तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ही जाएगी।

मुलाकात की जो वजह बतायी गयी है वो सुन कर सस्पेंस और भी बढ़ जा रहा है, कहा गया है कि इंटरव्यू के लिए ये दोनों लोग मिले थे। इंटरव्यू के लिए संजय राउत भला कौन सी तैयारी करते हैं कि पहले मिलना पड़ता है। बड़ा सवाल तो ये है कि देवेंद्र फडणवीस के एक इंटरव्यू के लिए संजय राउत को होटल में छुप के  मिलने की जरूरत क्यों आ पड़ी?

सफाई में आये बयान विरोधाभासी क्यों?

शिवसेना के मुखपत्र सामना में देवेंद्र फडणवीस का इंटरव्यू पढ़ने के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। और जब इंटरव्यू प्रकाशित होगा तो देवेंद्र फडणवीस ऐसे दूसरे गैर शिवसेना नेता होंगे जिनको ऐसा अवसर मिलेगा। सामना में किसी गैर-शिवसेना नेता के पहले इंटरव्यू का रिकॉर्ड एनसीपी नेता शरद पवार के नाम दर्ज है। जिन परिस्थितियों में संजय राउत ने देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है, ऐसी ही चर्चाओें को अक्टूबर, 2019 में भी हवा दी गयी थी। शरद पवार का इंटरव्यू जुलाई, 2020 में सामना में प्रकाशित हुआ था।

तब संजय राउत महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजे आ जाने के बाद शरद पवार से मिलने उनके घर गये थे। मुलाकात के बाद इंटरव्यू की कोई बात तो नहीं बताई थी, हां इतना जरूर समझाने की कोशिश की कि वो दिवाली की बधाई देने गये थे। क्योंकि उन दिनों मुलाकातें किसानों की समस्याओं को लेकर हुआ करती थी, इसलिए संजय राउत की बातों पर उतने लोगों ने शक नहीं किया।

आखिरकार किसानों के नाम पर होने वाली मुलाकातों का ही नतीजा रहा कि भाजपा से गठबंधन तोड़ कर शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाया और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। कुर्सी पर तो बैठ गए लेकिन तीन पहिये वाली कुर्सी अक्सर डगमगाने लगती है। ऐसा कई बार हो चुका है और एक बार फिर से कहीं वही तो नहीं हो रहा है?

दोनों तरफ से अलग जानकारी

देवेंद्र फडणवीस और संजय राउत की मुलाकात को लेकर दोनों तरफ से एक सी जानकारी दी गयी होती तो मन मान भी जाता, लेकिन अलग अलग वजह बताकर शक पैदा कर दिया गया है। भाजपा ने तो इंटरव्यू कह दिया, लेकिन संजय राउत पलट कर सवाल पूछने लगते हैं – मिल नहीं सकते क्या? किसी भी मामले में जांच तभी होती है जब उससे जुड़े दो व्यक्ति अलग अलग बात बतायें। इस मामले में भी करीब करीब ऐसा ही हो रहा है।

हालांकि बात तो ये हैरान करने वाली है कि इंटरव्यू अभी नहीं होगा, बल्कि देवेंद्र फडणवीस जब बिहार चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद लौटेंगे तब वो इंटरव्यू देंगे। आखिर संजय राउत एक इंटरव्यू के लिए कितने राउंड लेते हैं? क्या पहले इंटरव्यू में वो ये जानने की कोशिश करते हैं कि बंदा सामना में इंटरव्यू देने लायक है भी या नहीं? और फिर जब संतुष्ट होते तब बात आगे बढ़ती है। मतलब, सामना में जो इंटरव्यू पढ़ने को मिलते हैं वो फाइनल होता होगा और उसके पहले कई बार प्री-इंटरव्यू सेशन के लिए मुलाकातें होती होंगी।

देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात पर संजय राउत कहते हैं कि मैं कुछ मुद्दों पर चर्चा करने के लिए देवेंद्र फडणवीस से मिला था, वो पूर्व मुख्यमंत्री हैं, वो महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता हैं और भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी भी हैं।

मुद्दों पर चर्चा वाली मुलाकात के आगे क्या है?

संजय राउत को ये भी पता है कि लोग देवेंद्र फडणवीस से मिलने को लुका-छिपी मुलाकात मानेंगे, इसलिए सफाई देने के दौरान ही ये भी बता दिया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी इस मुलाकात के बारे में मालूम था। दोनों पक्षों की सफाई के बावजूद इस खास मुलाकात को सुशांत सिंह राजपूत केस के बाद के राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से जोड़ कर देखा जा रहा है। सुशांत सिंह राजपूत केस की सीबीआई जांच को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच काफी तनावपूर्ण संवाद हुए। जिसमें पहले तो भाजपा के पिता-पुत्र नेता नारायण राणे और नितेश राणे शिवसेना नेतृत्व उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे पर हमलावर रहे, लेकिन बाद में भाजपा के और भी नेताओं के बयान आ गये। सुशांत सिंह केस की वजह से ही देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव में प्रभारी बना कर पटना भेजा गया।

2017 के नीतीश लगते हैं ठाकरे

रही बात उद्धव ठाकरे की तो उनकी भी स्थिति वैसी ही लगती है जैसी 2017 आने तक नीतीश कुमार की हो चली थी और फिर एक दिन वो भी आया जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ कर फिर से एनडीए ज्वाइन कर लिया। मुलाकात को लेकर हो रही चर्चाओं पर सवाल खड़े करते हुए नाराजगी भरे लहजे में कहा कि हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हम दुश्मन नहीं हैं।

कौन बोल रहा है झूठ?

भला देवेंद्र फडणवीस और संजय राउत की मुलाकात से किसी को कोई दिक्कत क्यों हो सकती है, लेकिन भाजपा प्रवक्ता कह रहे हैं कि इंटरव्यू के लिए मुलाकात हुई है और संजय राउत कह रहे हैं कि कुछ मुद्दों पर बात करने के लिए मिले हैं। अब या तो भाजपा प्रवक्ता दोनों की बातों को उनके अपने अपने सच मान लिया जाये या फिर दोनों के बयानों को शक के दायरे में रख कर समझा जाये।