क्या पाखंडता है कि एक वक्त पर हम देश के डॉक्टरों जैसे कोरोना वॉरियर्स के लिए ताली और थाली बजा रहे थे। तो वहीं आज उन्हीं डॉक्टरों, नर्सों, आशा वर्कर, पुलिस वालों के साथ बदसलूकी कर रहे हैं। अब तो हालात यहां तक खराब हो गए हैं कि जब हमारे ये कोरोना वॉरियर्स मरीजों की जान बचाते-बचाते खुद कोरोना का शिकार हो जा रहे हैं और इसकी वजह से वो मर जा रहे हैं तो उनका अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं। जिनको शहीद का दर्जा मिलना चाहिए वो अंतिम संस्कार तक के लिए परेशान हो रहे हैं। क्या इसी दिन के लिए हमने प्रधानमंत्री की बात मानी थी और सम्मान के लिए ताली-थाली बजाई थी?
कोरोना योद्धाओं के साथ शर्मनाक सलूक
दरअसल न्यूरोसर्जन डॉ. साइमन हरक्यूलिस, जो चेन्नई में न्यू होप अस्पताल के एमडी थे। 19 अप्रैल को उनका निधन हो गया था। वो उन कोरोना रोगियों के संपर्क में आ गए थे जिनका इलाज कर रहे थे। लेकिन जब उन्हें दफनाने के लिए उनके परिवारवाले, साथी डॉक्टर और चेन्नई नगर निगम के अधिकारी गए तो पहली जगह से को उन्हें लौटना पड़ा और जब उनके शव को टीपी चैत्रम के कब्रिस्तान ले जाया गया तो वहां भी विरोध झेलना पड़ा था। इससे पहले 13 अप्रैल को, नेल्लोर के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ लक्ष्मी नारायणन रेड्डी का निधन भी कोरोना वायरस की वजह से हो गया था। तब उन्हें भी अंतिम संस्कार के लिए विरोध झेलना पड़ा था। चेन्नई के अंबत्तूर में घंटो तक स्वास्थ्यकर्मी विरोध करने वालों से अनुरोध करते रहे, लेकिन वो अंतिम संस्कार करने नहीं दे रहे थे।
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वहीं इसी तरह 15 अप्रैल को, मेघालय के शिलांग में बेथानी अस्पताल के संस्थापक 69 साल के डॉ जॉन एल सेलो के लिए दो गज जमीन खोजने में लगभग 36 घंटों का वक्त लग गया था। कई स्थानों पर उन्हें भी विरोध झेलना पड़ा था।
सरकार ला रही अध्यादेश
देश में इस तरह की घटनाओं को देखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने डॉक्टरों पर हिंसा के खिलाफ एक विशेष केंद्रीय कानून लागू करने का अनुरोध किया है। इसके लिए IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजन शर्मा और महासचिव डॉ आरवी अशोकन ने पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि आईएमए ने अत्यधिक उत्तेजना के बावजूद संयम और धैर्य बनाए रखा है। डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार, मारपीट हो रहे हैं। उन्हें घर में रहने नहीं दिया जा रहा है और यहां तक की अंतिम संस्कार में भी बाधा पहुंचाई जा रही है हम इस तरह की घटना से अपना संयम खो रहे हैं। इसलिए हम डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और अस्पतालों पर हिंसा के खिलाफ एक विशेष कानून की मांग करते हैं। इतना ही नहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ये चेतावनी भी दी कि अगर सरकार कोरोना वॉरियर्स के लिए कानून लेकर नहीं आई तो देश भर में डॉक्टर कैंडल जलाएंगे और ब्लैक डे मनाएंगे। डॉक्टरों की चेतावनी के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी है, जिसमें डॉक्टरों के साथ मारपीट करने पर 7 साल तक की सजा और 5 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।
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एक्यूट इंफॉर्मेशन डिफिशिएंसी सिंड्रोम से पीड़ित है लोग
सीएमसी वेल्लोर के वायरोलॉजी के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ टी जैकब जॉन ने कहा कि भारतीय नागरिक एक्यूट इंफॉर्मेशन डिफिशिएंसी सिंड्रोम से पीड़ित है। सरकार लोगों को प्राइमरी स्कूल के बच्चों की तरह मान रही है। सरकार लोगों को मास्क पहनने और हाथ धोने के लिए बता रही है तो, लोगों को ये क्यों नहीं बताया जा रहा है कि ये वायरस कैसे फैलता है। डॉ जॉन का कहना है कि कोरोना ड्रॉपलेट से फैलता है। एक मृत व्यक्ति छींक या खांस नहीं सकता, तो संक्रमण फैलने के सभी तरीके उस पल बंद हो जाते हैं जब कोई व्यक्ति मर जाता है। और एक बार जब शरीर को दफनाया जाता है, तो वायरस अंदर ही मरना शुरू हो जाता है।