जूस पीना ज्यादा आसान है न? मतलब ऐसा काम जिसे करने में वक्त भी न लगे और जरुरत भी पूरी हो जाए….
हर काम फटाफट करने में अब हमारी सेहत भी जुड़ गई है. जी हां ज्यादा टाइम जाया करे हम अपनी हेल्थ भी बनाए रखना चाहते हैं. और इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है फलों का जूस. जिसे फटाफट पिया और चलते बने. जिससे सेहत की फिक्र भी दूर….
जूस बेचना एक दमदार कारोबार बन गया है. आपको पता हो कि 2016 में ही दुनिया में यह कारोबार लगभग 155 अरब डॉलर की कमाई कर चुका था. लेकिन अब इस कारोबार में और भी जोरदार बढ़ोतरी हो रही है.
ज्यादातर जूस में फ्रक्टोज होता है. लेकिन अगर ज्यादा मात्रा में इसे न लिया जाए तो तभी ये फायदेमंद होता है. असल में जब फल खाया जाता है तो इसमें मौजूद फाइबर, फ्रक्टोज के साथ हमारे शरीर में जाता है. लेकिन यदि हम सिर्फ फलों का रस लेते हैं तो फाइबर हमारे पेट में फ्रेक्टोज से अलग हो जाता है. और फिर केवल फ्रेक्टोज औऱ कुछ विटामिन ही हमारे पेट में शेष बचते है. जो कि बहुत तेजी से हमारे ब्लड में मिल जाता है. जिससे हमारे शरीर में अचानक ही चीनी का मात्रा बढ़ जाती है. लेकिन खतरा तब बढ़ जाता है जब लगातार ऐसा होता रहे. औऱ इससे फिर डायबिटीज़ होने का आशंका बढ़ जाती है.
दरअसल जूस में पाया जाने वाला फ्रक्टोज हमारे शरीर पर तेजी से कब्जा करता है. यदि हम अति से ज्यादा जूस पीते हैं तो मोटापा बढ़ने के आसार ज्यादा तेज हो जाते हैं. क्योंकि फ्रेक्टोज की मात्रा ज्यादा हो जाने से हमारे शरीर को जरूरत से ज्यादा कैलोरी मिल जाती है. जिससे मोटापा आप पर हावी होना शुरू हो जाता है.
फलों के जूस के मुकाबले फल खाना ज्यादा सेहतमंद है. जूस निकालने के लिए सामान्य जूसर की तुलना में ब्लेंडर का प्रयोग करे, इसमें बीज, और फाइबर मिल जाएगा. जिससे जूस नुकसान नहीं करेगा. जूस निकालने के लिए पके हुए फलों का इस्तेमाल करें. इस गलतफहमी में न रहे की जूस पीकर डिटॉक्स कर सकते है. शरीर खुद को डिटॉक्स करना जानता है. फलों के बारे में पहले विचार करले क्योकिं कुछ फल चीनी के घोल से ज्यादा कुछ नहीं होते. इससे हम केवल विटामिन ही नहीं लेते बल्कि अपने अंदर कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी घटाते हैं.
कुल मिलाकर कहें तो फलों को खाया जाए, न कि उनका जूस निकालकर पिया जाए.