वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक और आर्थिक पैकेज का ऐलान कर दिया है। केंद्र सरकार की तरफ से इसे आत्मनिर्भर भारत 3.0 नाम दिया है। इस पैकेज में सरकार ने रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स पर थोड़ा ध्यान दिया है। सरकार करीब 2.65 करोड़ रुपये खर्च कर रही है और ये कुल जीडीपी का करीब 15% है। इसके अलावा वित्त मंत्री की तरफ से अर्थव्यवस्था के बेहतर होने की तरफ भी संकेत दिए हैं। सरकार ने 2 करोड़ से कम दाम के घर खरीदने वालों के लिए सर्कल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू के रेट पर राहत को 10% से बढ़ाकर 20% कर दिया है।
क्या है तीसरे पैकेज में?
इसके अलावा पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना में 10 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त देने का ऐलान किया गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि मनरेगा के तहत अब तक 73,504 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। किसानों के लिए 65,000 करोड़ रुपये की फर्टिलाइजर सब्सिडी का ऐलान किया गया है। केंद्र सरकार रोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक नई स्कीम लेकर आई है जिसमें उन संस्थानों को EPF सब्सिडी दी जाएगी जो नई नौकरियां देंगे।
इस योजना के तहत सरकार रोजगार देने वाले और लेने वाले दोनों का रिटायरमेंट फंड का भुगतान करेगी। इसके तहत कर्मचारी की तनख्वाह का 12% हिस्सा कर्मचारी की तरफ से जाता है और 12% हिस्सा एम्पलॉयर की तरफ से जाता है, तो इस तरह तनख्वाह का 24% हिस्सा सरकार 2 साल तक अदा करेगी। वहीं इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को 31 मार्च 2021 तक बढ़ाया गया है।
चीन को मुकाबला देने की तैयारी
सरकार ने तीसरे आत्मनिर्भर पैकेज में प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम को कुछ और सेक्टर्स को देने का ऐलान किया है। इसके लिए सरकार ने 1.46 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है। सरकार की कोशिश है कि मैन्युफैक्चरिंग में चीन से मुकाबला किया जाए। नए पैकेज के तहत पीएम शहरी आवास योजना के तहत 18,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त देने का ऐलान किया गया है। ये इस साल दिए जा चुके 8000 करोड़ रुपयों से अलग है। वित्त मंत्रालय ने बायो टेक्नोलॉजी विभाग को 900 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। इस ऐलान में वैक्सीन और डिस्ट्रिब्यूशन का खर्च शामिल नहीं है और ये खर्च अलग से किया जाएगा।
पुराने दोनों पैकेज का क्या हुआ?
इतिहास में पहली बार लगातार 2 तिमाहियों में नकारात्मक वृद्धि के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर इन नए कदमों का कितना असर हो पाएगा, ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन ये जरूर समझना होगा कि पिछले 2 पैकेजों का अर्थव्यवस्था पर कितना असर हो पाया है। मार्च के अंत में केंद्र सरकार महामारी से होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए पहले आर्थिक पैकेज लेकर आई थी, जिसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज कहा गया था।
1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के इस राहत पैकेज का फोकस आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर रखा गया था। इसमें गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न, मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में वृद्धि, मजदूरी में बढ़ोतरी है, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बीमा, किसानों, विधवाओं, बुजुर्गों और विकलांगों को धनराशि, गरीबी रेखा से नीचे गुजर करने वाले परिवारों को अगले मुफ्त गैस के सिलेंडर, महिला स्वयंसेवी समूहों को और ज्यादा कोलैटरल मुक्त लोन, भविष्य निधि (प्रॉविडेंट फंड) खातों में सरकार द्वारा योगदान इत्यादि कदम शामिल थे।
मई में कोविड-पैकेज की दूसरी किस्त आई जिसका मूल्य लगभग तीन लाख करोड़ रुपए था। इसमें किसानों, प्रवासी श्रमिकों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए कुछ कदम थे, जैसे गरीबों और विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों के लिए अन्न की मुफ्त आपूर्ति, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए आसान लोन, छोटे व्यापारियों को लोन के ब्याज पर दो प्रतिशत की छूट और छोटे और मझौले किसानों के लिए लोन लेने में मदद इत्यादि।
हालांकि सरकार का दावा है कि वो अभी तक कुल 29,87,641 करोड़ रुपयों के स्टिमुलस कदमों की घोषणा कर चुकी है, जिसमें आत्मनिर्भर पैकेज 3.0 भी शामिल है। लेकिन अर्थव्यवस्था को जो घाटा हुआ है उसकी भरपाई के लिए जितनी रकम के स्टिमुलस पैकेज की आवश्यकता थी, उतनी धनराशि कभी सरकार ने जारी ही नहीं की है।
इसके अलावा जिन कदमों की घोषणा सरकार ने की भी उनमें सरकारी खर्च का अनुपात बहुत कम था। ऐसे में इन पैकेजों से वास्तविक राहत मिलने की उम्मीद बहुत कम थी। हालांकि अनलॉक के बाद से माना जा रहा है कि स्थिति में कुछ सुधार जरूर आया है। आरबीआई ने जहां अप्रैल से मई की पहली तिमाही में जीडीपी में लगभग 24 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया था, तो वहीं जुलाई से सितंबर की दूसरी तिमाही में लगभग 9 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। स्थिति में बेशक थोड़ा सुधार आंकड़ों में नजर आ रहा है लेकिन ये हालात अभी भी आम जनता के लिए बेहद खराब है और इसका असर लंबे वक्त तक लोगों की जेब पर रहने वाला है।