चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव तीन फेजों में होने हैं, 28 अक्टूबर, 3 नवंबर, 7 नवंबर को सभी सीटों पर चुनाव होगा और 10 नवंबर को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। लेकिन पहले जानते हैं उन 10 बड़े नेताओं के बारे में जिन पर पूरे देश की नजरें टिकी रहेंगी।
साल 2005 से नीतीश कुमार लगातार बिहार के मुख्यमंत्री हैं, हां 9 महीनों के लिए जीतनराम मांझी जरूर मुख्यमंत्री बने थे। इस बार भी एनडीए की तरफ से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। नीतीश कुमार फिलहाल विधान परिषद के सदस्य हैं। वो 2018 में लगातार तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य बने थे। अभी उनका कार्यकाल खत्म होने में करीब साढ़े तीन साल बाकी है।
सुशील मोदी इस वक्त बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं। उससे पहले 2005-2013 तक भी वो बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे हैं। वो भी विधान परिषद के सदस्य हैं।
भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता नित्यनंद राय, इस वकत केंद्र में गृह राज्यमंत्री हैं। ये अमित शाह के काफी करीबी भी हैं और कहा जा रहा है कि ये बिहार चुनाव पर सबसे पैनी नजर रखे हुए हैं और ऐसी भी अटकलें हैं कि अगर खुद भाजपा बहुमत साबित कर पाती है तो नित्यानंद राय सीएम पद की रेस में सबसे आगे हैं।
मांझी मई 2014 से फरवरी 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। सीएम पद से हटने के बाद अपनी पार्टी बना ली और इस वक्त इमामगंज से विधायक हैं। हाल ही में मांझी एनडीए से जुड़े हैं और ये देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए कोटे से मांझी की पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए कितनी सीटें मिलती हैं।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के मुखिया, साल 2019 में काराकाट और उजियारपुर से लोकसभा चुनाव हार गए थे। इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। हालांकि अभी तक महागठबंधन के साथ हैं। लेकिन कब तक महागठबंधन के साथ रहेंगे, ये सवाल बना हुआ है। कई पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि उपेंद्र एनडीए से भी बातचीत कर रहे हैं। देखना ये होगा कि अंत में किस ओर जाएंगे।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग, मुंगेर सीट से सांसद हैं। हालांकि इनकी नीतीश कुमार से नहीं पटती है, लेकिन एनडीए के साथ हैं। देखना ये होगा कि लोजपा एनडीए के साथ रहकर चुनाव लड़ती है या फिर किसी नए समीकरण के साथ जाती है।
राष्ट्रीय जनता दल के सबसे बड़े कर्ता-धर्ता और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी, बिहार में काफी मजबूत नजर आ रहे हैं। साल 2015 में राघोपुर सीट से जीते थे। चुनाव के बाद वो उपमुख्यमंत्री भी बने थे, लेकिन जुलाई 2017 में जेडीयू से गठबंधन टूटने के साथ ही इनकी डिप्टी सीएम वाली कुर्सी चली गई थी। अबकी महागठबंधन को लीड कर रहे हैं और कांग्रेस इनके साथ है। वहीं विकासशील इंसान पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ राजद की बातचीत चल रही है, लेकिन अभी तक फाइनल कुछ नहीं है।
जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव, मधेपुरा से साल 2014 में लोकसभा चुनाव जीते थे, लेकिन 2019 में हार गए थे। मौजूदा वक्त में इनकी पार्टी का विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है। पप्पू का कहना है कि उनकी पार्टी सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। पप्पू यादव का असर कोसी प्रमंडल पर काफी है और विधानसभा की 12 सीटों पर इनका दबाव है
खुद को प्रदेश के मल्लाहों का नेता कहने वाले मुकेश साहनी, विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख हैं। पार्टी साल 2019 में महागठबंधन के साथ थी और 3 लोकसभा पर चुनाव लड़ी थी और सभी पर हार गई थी। पार्टी अभी भी महागठबंधन के साथ है। मुकेश सहनी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, ये अभी साफ नहीं है, लेकिन वो मल्लाह बहुल किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
प्लूरल्स पार्टी की प्रमुख पुष्पम, मार्च महीने में अखबारों में खुद को सीएम उम्मीदवार बता चुकी हैं। प्लूरल्स भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है और पुष्पम ने अभी तक साफ नहीं किया है कि वो चुनाव लड़ेंगी या नहीं। लेकिन अगर वो चुनाव लड़ती हैं, तो देशभर की नजर उस सीट पर होगी।