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आज के Fake TRP वाले एंकरों को दूरदर्शन के एंकरों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है

भारतीय मीडिया, जो कहने को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। इसकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता के लिए लोगों ने बहुत जंग लड़ी है। मीडिया की स्वतंत्रता और ताकत इतनी ज्यादा थी, कि अच्छे से अच्छा इंसान मीडिया के सामने पानी कम होता था। लेकिन आज मीडिया की मस्खरी ने इसकी हैसियत कम कर दी है। मीडिया के प्रति लोग अपना विश्वास खो चुके हैं। गोदी मीडिया, दलाल मीडिया, बिका हुआ मीडिया, सरकारी मीडिया जैसे शब्द सुनना बेहद आम बात हो गई है।

गोदी मीडिया का जो हाल है आज उसे देखकर पुराने पत्रकार (Journalist) या फिर आज के भी वो पत्रकार जो सच्ची पत्रकारिता, इमानदारी से अपना काम करते हैं उन्हें शर्म आती होगी। एक वक्त था जब पत्रकार होना सम्मान का पेशा था, लेकिन आज पत्रकार होना एक शर्मनाक बात मानी जाती है। लोगों का विश्वास ही खत्म हो गया है। कुछ लोग तो साफ कहते हैं कि न्यूज चैनल देखना ही बंद कर दो, क्योंकि आज का मीडिया सिर्फ सरकार का पक्ष दिखाता है और लोगों में नफरत का जहर घोल रहा है।

इतना ही नहीं मीडिया की तरफ से आज फेक खबरें भी फैलाई जाने की घटनाएं सामने आ गई है। जिससे साफ हो गया है कि आज कोई भी मीडिया पर भरोसा नहीं कर सकता है। मीडिया का वो रवैया और वो सख्ती भी आज खत्म हो गई है। आज पत्रकार इंटरव्यू में सरकार से सवाल नहीं बल्कि सिर्फ उनकी तारीफें करते हैं। सवालों का स्तर गिर चुका है, यहां तक की स्टूडियो में बैठे एंकर भागदौड़, नाचने गाने, योगा तक भी करने लगे हैं।

लेकिन आज हम आपको इस आर्टिकल में कुछ पुराने एंकरों के बारे में बताएंगे जिन्होंने पत्रकारिता का ओहदा ऊंचा किया था। हालांकि आज के पत्रकारों ने उसे गिरा दिया है। लेकिन इन पुराने पत्रकारों के बारे में जानकर आपको जरूर फक्र होगा कि हमारे देश में ऐसे भी पत्रकार हुए हैं। तो चलिये देखते हैं कि उनका काम कैसा था और आज के पत्रकार कैसे हैं। इस आर्टिकल के जरिये आप दूरदर्शन (Doordarhan) के जमाने के एंकर और आज के प्राइवेट एंकरों के बीच का अंतर समझ पाएंगे।

कैसे थे दूरदर्शन के जमाने के एंकर

कहने को तो दूरदर्शन शुरुआत से ही सरकारी रहा है, लेकिन उसने अपना काम पूरी इमानदारी से किया है। खबरों के महत्व को बेहतरीन तरीके से समझाने का काम आज तक जो दूरदर्शन करता आया है, वो कोई भी कमर्शियल चैनल नहीं कर पाया है। उस दौरान जब  सलमा सुल्तान, रामू दामोदरन, तेजश्वर सिंह, गितांजली अय्यर, शमी नारंग, नीति रविंदरन, रिनी खन्ना, सरला महेश्वरी, वेद प्रकाश, प्रणॉय रॉय जैसे धुरंधर जब खबरें बताते थे तो उनकी खबरों में इमानदारी और सच्ची पत्रकारिता पूर्ण रूप से झलकती थी।

कहने को तो ये एंकर भी ट्रेंड सेटर थे, अब चाहे फिर सलमा को ले लीजिये। ये पहली एंकर थी जो बालों में गुलाब लगाकर न्यूज पढ़ती थी। सलमा सुल्तान ने लगभग 30 सालों तक डीडी पर खबरें पढ़ी और उसके बाद भी वो डीडी के साथ जुड़ी रही और कई टीवी सीरियल्स भी डायरेक्ट किए।

वहीं जहां सलमा की खबरों को पढ़ने की कला को जहां सब लोग पसंद किया करते थे, तो वहीं अगर बात आज की महिला पत्रकारों की करें तो इनके लिए वो सम्मान शायद ही आज हो पाए। फिर चाहे आप मशहूर अंजना ओम कश्यप, रूबिका लियाकत, श्वेता सिंह जैसी एंकरों को ले लें। तो अंजना ओम ‘मोदी’ और श्वेता ने तो 2000 के नोट पर फेक न्यूज फैला दी थी, जिसमें उन्होंने चिप होने की बात कही थी और स्पेशल शो तक कर दिया था। अब जरा सोचिये क्या हम सलमा जैसी एंकर को आज की महिला पत्रकारों से तोल सकते हैं?

रामू दोमादरन कभी नहीं पढ़ते थे स्क्रिप्ट

आज कल बिना स्क्रिप्ट के तो एंकर काम कर ही नहीं पाते हैं, बहुत कम ही ऐसे एंकर है जो बिना स्क्रिप्ट के खबर पढ़ते हो, लेकिन दूरदर्शन के जमाने में एक ऐसा पत्रकार भी था जो कभी स्क्रिप्ट लेकर नहीं जाता था, उनका नाम है रामू दोमादरन।

30 सालों में 4 बार बेस्ट एंकर का अवॉर्ड जीतने वाली गीतांजली, दूरदर्शन की पहली इंग्लिश न्यूज प्रेजेंटर थी। जहां उनकी शैली और सुंदरता लोगों को भा जाती थी, तो वहीं खबरों के मामले में भी वो बहुत सटीक थी। लेकिन अगर हम उनकी तुलना आज के एंकरों से करें तो बेशक सुंदरता के मामले में काफी एंकर्स आगे होंगी लेकिन उनकी तरह खबरें पढ़ने और खबरों को खबरों की तरह रखने की कला शायद ही किसी में हो। आज की न्यूज एंकर्स खबर से ज्यादा मिर्च मसाला और एक्टिंग में ज्यादा य़कीन करती है।

बिना चीखे अपनी आवाज पहुंचाना शमी नारंग से सीखें

शमी नारंग बेहद फेमस एंकर थे, आज भी आप उनकी आवाज सुनते हैं। क्योंकि मेट्रो में जिस पुरुष की आवाज सुनी जाती है वो शमी नारंग की ही आवाज है। जहां शमी नारंग अपनी आवाज से लोगों का दिल जीत लेते थे, तो वहीं अगर आज के पत्रकारों की बात करें तो इनकी आवाजें कानों में चुभती है। ये इतना चीखते हैं और चिल्लाते हैं जो कानों को परेशान करते हैं। फिर चाहे वो अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) हो, अमिश देवगन हो, रोहित सरदाना हो या कोई और एंकर। इनका काम सिर्फ चीख-चिल्लाना ही है। लेकिन इन लोगों को शायद पता नहीं है कि शमी नारंग बिना चीखें चिल्लाएं लोगों को अपनी आवाज का और अपने स्टाइल का कायल कर चुके हैं।

शमी नारंग जहां मेट्रो में हिंदी भाषा की घोषणा करते हैं, तो वहीं अंग्रेजी में होने वाली घोषणा की आवाज रिनी खन्ना की है। ये भी दूरदर्शन पर दशकों तक अपनी आवाज का जादू बिखेरती रही है। वहीं आज की एंकरों को इनसे सीखने की जरूरत है।

वहीं अगर बात करें प्रणॉय रॉय और वेद प्रकाश की तो ये दूरदर्शन के स्टार एंकर्स और होस्ट थे। इन दोनों ही एंकरों ने अपनी इतनी गहरी छाप छोड़ी है जो आजतक कायम है। वहीं अगर बात करें इनकी शालीनता और पत्रकारिता की तो ये सवाल पूछने के मामले में भी काफी अव्वल थे और लहजा भी शालीन था। आज के उन पत्रकारों की तरह नहीं जो स्टूडियो में बैठ कर ड्रामेबाजी करते हैं। रेस लगाते हैं, ड्रग्स दो-ड्रग्स दो चिल्लाते हैं।

नकारात्मक करते जा रहे हैं आज के मीडिया हाउस

दूरदर्शन के जमाने के इन एंकरों को देख एक बात तो साबित हो गई कि शायद मीडिया का जो वो स्तर था, वो काफी बेहतरीन और सच्चा था। आज पत्रकारिता के नाम पर माहौल बनाने का काम किया जाता है। गाने गाना, रेस लगाना, चीखना चिल्लाना ही पत्रकारिता बन कर रह गया है। जिससे परेशान आज के लोग शायद अब न्यूज देखना छोड़ते जा रहे हैं क्योंकि उनके मन में इतनी नकारात्मकता इन एंकरों के द्वारा भरी जा रही है जो काफी परेशान कर रही है।

न्यूज स्टूडियो से खबरें पढ़ी जाए, लोगों को जरूरत की जानकारी दी जाए, इतनी ही जरूरत है। पानी फेंकना, मार-पीट करना, डिबेट के नाम पर लोगों को जलील करना, धर्म के नाम पर बांटना, सत्ता की बजाय विपक्ष से सवाल करना, ये सब ना तो पत्रकारिता कहलाती है और ना ही हमारे देश में ऐसी पत्रकारिता की किसी को जरूरत है। लोगों को जानकारी सिर्फ अपने से संबंधित चीजों की चाहिए। उन चीजों के बारे में बात की जाए जिनकी असल में जरूरत है। लोगों को लड़वाने, गाली देने की जगह पर मीडिया हाउस सच्चाई पर ध्यान देंगे तो लोगों के मन में इज्जत बढ़ेगी।