केंद्र सरकार के कृषि का कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन 12 दिन से जारी है। भारत के किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हैं और सरकार से कृषि कानून को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आज हरियाणा-दिल्ली सीमा पर स्थित सिंधु बॉर्डर पर पूरी कैबिनेट के साथ किसानों से मिलने आये। केजरीवाल के साथ डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी किसानों को आश्वासन दिया।
बॉलीवुड की फिल्मों में किसान का पुराना नाता रहा हैं। फिल्म अभिनेताओं ने किसानों की भूमिका निभाकर देश की जनता से खूब तालियां बजवाई हैं और यही नहीं उन्ही की बदौलत मुंबई में अपने आलीशान बंगले खड़े किए हैं। लेकिन देखा जाए तो हमारा अन्नदाता वैसा का वैसा है। क्यों क्योंकि ये कैमरे के सामने प्रदर्शन नहीं करते। ऐसी कई फिल्मे हैं जिनमे किसानों के मुद्दे को प्रभावी तरीके से दिखाया गया हैं। लेकिन किसान की हालत वैसी ही है।
बॉलीवुड की फिल्मों में किसान के लिए आवाज उठाई गई है। ये फिल्में कमर्शियल सिनेमा से काफी परे हैं। किसानों की दशा तो सभी जानते है और उनकी हालत आज से नहीं बल्कि दशकों से चली आ रही है। कई दशकों से बॉलीवुड की फिल्मों में किसान की बात रखने कि कोशिश की जा रही है। ऐसा कहा जाता है कि किसानों से जुड़ी पहली फिल्म 65 साल पहले यानी साल 1953 में आई थी। ऐसी ही कुछ फिल्मो के बारे में हम आपको बताएँगे।
लगान (lagaan )
अंग्रेजो ने भारत के किसानों से पैसा वसूलने के लिए एक कर (tax )लगाया था। विद्रोही किसान (भुवन) गाँव के लिए सार्वजनिक रूप से इस कर का विरोध करता है। वह एक नया तरीका प्रदान करता है वह भुवन और उसके आदमियों को क्रिकेट के एक खेल जो भारत के लिए पूरी तरह से विदेशी है उसकी चुनौती देता है। यदि भुवन और उसके लोग रसेल की टीम को हरा सकते हैं तो कर को निरस्त कर दिया जाएगा। और ऐसा ही होता है भुवन खेल जीत जाता है और कर माफ़ करवा देता है।
मधर इंडिया (mother india )
राधा एक गरीब किसान परिवार से हैं। उसकी शादी श्यामू से होती है जो भी एक किसान है। श्यामू की माँ सुखीलाल नाम के एक स्थानीय साहूकार से पैसे उधार लेती है और उसे तीन-चौथाई खेत मुहैया कराने के लिए पैसे देने के लिए सहमत होती है जिसके लिए सुखीलाल सहमत होते हैं। यह जानते हुए भी कि वह अपने खेत की उपज और अपनी संपत्ति के बंधक से दूर हस्ताक्षर कर रहा है। इस बात को सहन करने में असमर्थ श्यामू गायब हो जाता है राधा को छोड़कर दो बेटे रामू और बिरजू को लाने के लिए। बिरजू सुखीलाल के खिलाफ है और वह छठा है कि वह परिवार की ज़मीन उनके पास कर दे, लेकिन सुखीलाल ऐसा नहीं करेगा। यह फिल्म किसानों के ऊपर पड़े कर्ज के बारे में है।
किसान (Kisaan )
यह फिल्म भारत में किसानों की आत्महत्याओं पर केंद्रित है। फिल्म में सोहेल खान, अरबाज खान, दिया मिर्जा और जैकी श्रॉफ मुख्य भूमिकाओं में थे। इस फिल्म का केवल एक ही उद्देश्य था कि हम किसानों को आत्महत्या करने से रोक पाएं।
मंथन (Manthan )
फिल्म में एक पशु चिकित्सक डॉ राव एक गाँव का दौरा करते हैं जहाँ वे ग्रामीण लोगों की भलाई के लिए एक सहकारी समिति डेयरी शुरू करने का इरादा रखते हैं। ‘मेरो गम कथा पारे ’एक गीत जो कि 90 के दशक में व्यापक रूप से प्रसिद्ध था, वह भी अमूल के दूध के विज्ञापन का एक हिस्सा था। इस फिल्म में बताया गया है कि देश को खिलने वाला एक किसान खुद के लिए कुछ नहीं कर पता।
उपकार (Upkar )
उपकार 1967 की मनोज कुमार द्वारा निर्देशित एक ड्रामा फिल्म है, जिसमें उन्होंने गांव के व्यक्ति ‘भारत’ की भूमिका निभाई है, जो अपने भाई को शिक्षित करने के लिए सब कुछ त्याग देता है। इस फ़िल्म के सबसे प्रसिद्ध गीतों में से एक ‘मेरे देश की धरती’ में मनोज कुमार को दिखाया गया था जो भारतीय किसानों की कठिनाई को दर्शाता है।
दो बीघा ज़मीं (Do Bigha Zamin )
यह फ़िल्म रवींद्रनाथ टैगोर की बंगाली कविता ‘दुई बीघा जोमी’ पर आधारित थी। फिल्म में बलराज साहनी और निरूपा रॉय मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म जमींदारी प्रणाली पर केंद्रित है और शंभू के जीवन के चारों ओर घूमती है, एक गरीब किसान जो अपने ऋणों को चुकाने में विफल रहता है, एक जमींदार अपने परिवार के स्वामित्व वाली भूमि को जब्त करने की धमकी देता है। शंभू तब पैसे कमाने के लिए कोलकाता में एक रिक्शा चालक के रूप में काम करता है।
कड़वी हवा (Kadvi Hawa )
यह फिल्म एक किसान के जीवन के कड़वे सच को दिखाती है। इस फिल्म में बताया गया है कि सूखे (अकाल ) के दौरान एक किसान कि क्या स्तिथि हो जाती है। इस फिल्म ने किसानों को प्रेरणा दी है कि किसान किस तरह अपने आप को संभाल पाए।
पीपली लाइव (pipali live )
यह फिल्म गरीब किसानों के बारे में बताती है। यह फिल्म गरीबी से जूझते किसानों पर देश की मीडिया की फूहड कवरेज पर व्यंयग किया गया था। इस फिल्म का केवल एक ही उदेश्य है कि कोई भी किसान गरीबी से न लड़े।
हम पांच (Hum Panch )
ग्रामीण भारत के एक छोटे से क्षेत्र के अमीर जमींदार ठाकुर वीर प्रताप सिंह ने अपने शासन का विरोध करने वाले को बेरहमी से मार डालता है। उसे जुए की लत लग जाती है और वो गावँ की औरतो के साथ दुर्व्यवहार करता है। जब सुंदरिया के साथ ऐसा ही होता है, जिसके परिणामस्वरूप उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है, तो उसके दो भाई एक गिरोह बनाते हैं, जिसमें ठाकुर के अत्याचारी शासन को समाप्त करने के लिए गांव के तीन अन्य पुरुष सदस्य शामिल होते हैं। इस फिल्म में बताया गया है क एक गरीब किसान किस तरह से अपने परिवार के लड़ता है।
धरती कहे पुकारके (Dharti Kahe Pukar Ke )
इस फिल्म में तीन भाइयों की कहानी है कन्हैयालाल मोती और शिव। मोती कानून का अध्ययन करता है जबकि शिव कन्हैयालाल की मदद करते हैं ताकि वे उस भूमि के टुकड़े की खेती कर सकें। कन्हैयालाल मोती की पढ़ाई के लिए जमीन के टुकड़े के बदले में साहूकार से कुछ पैसे उधार लेता है। शिव को इस साहूकार की बेटी राधा से प्यार है। मोती अपने भाई द्वारा उधार ली गई राशि के बारे में जानने के बाद, ऋण चुकाने के लिए पर्याप्त राशि होने के बाद ही वापस आने का फैसला करता है। दूसरी ओर शिव अपनी आजीविका कमाने के लिए एक चालक के रूप में शहर में जाता है।
आज का अर्जुन (Aaj Ka Arjun )
शक्तिशाली जमींदार भूपेंद्र और अजीत ग्रामीणों के एक असहाय समुदाय पर अत्याचार करते हैं। अजीत( भूपेंद्र का बेटा) शहर की लड़की लक्ष्मी से शादी करता है, लेकिन बाद में उसकी हत्या कर देता है। लक्ष्मी का भाई भीम कानून को अपने हाथों में लेने का फैसला करता है और अपनी मौत का बदला लेता है।
बटवारा (Batwara)
इस फिल्म में दो दोस्त होते है। विक्रम (विनोद खन्ना ) और सुमेर (धर्मेंद्र सिंह ) ठाकुर विक्रम सिंह (विनोद खन्ना) जमींदार का बेटा है जो पूरे गांव का मालिक है। जब सरकार उन जमीनों को सौंपने का फैसला करती है, जिस पर जमींदार ग्रामीणों को खेती करने के लिए काम पर लगाता है, तो उसका छोटा भाई देवेन ठाकुर (विजयेंद्र घाटगे) अपनी जमीन के ग्रामीण को भगाने की योजना के बारे में सोचता है।गांव वाले उसकी योजना के माध्यम से देखते हैं और अनियंत्रित क्रोध के क्षण में, देवेन ठाकुर को मारते हैं। इस मूवी में बताया गया है की कैसे आमिर जमींदार गरीब किसानो का शोषण करते है।
रमैया वस्तावैया ( Ramaiya Vastavaiya )
इस फिल्म में हीरोइन अपनी दोस्त की शादी में जाती है और वहाँ उन दोनों को आपस में प्यार हो जाता है। लेकिन लड़की का भाई इस रिश्ते से मन करता है। क्योंकि भाई एक किसान था और वो सोना को हर कृषि देना चाहता था इसलिए उसने राम के सामने एक सरत राखी की वो गाँव में रहकर खेती करेगा और फसल उगायेगा ताकि राम को हमारी संस्कृति के बारे में पता चले राम सरत मानकर खेती करता है और फसल उगाता है। और भैया का दिल जीत लेता है।