पूरे देश में अलग अलग चुनाव के वक्त पर राजनीतिक दलों के द्वारा अनेक वादें किए जाते हैं। अलग अलग राज्यों में चुनाव के वक्त पर अलग अलग तरह के वादे किए जाते हैं, राज्य की जरूरतों के हिसाब से, लेकिन एक वादा जो हर राजनीतिक दल करती है वो किसानों के लिए होता है। पिछले कई चुनावों से या यूं कहें कि दशकों से किसानों को कई तरह के लुभावने वादे दिए जाते रहे हैं। लेकिन अंत में किसान खुद को सिर्फ ठगा हुआ ही महसूस करते हैं, क्योंकि ना तो उसको दिए गए वादे पूरे होते हैं और ना ही उसकी जिंदगी में कोई बदलाव आता है, किसान अन्नदाता से हट कर अब वोटबैंक बन गया है। हर राजनीतिक दल की तरफ से वादा किया जाता है कि हम सरकार में आएंगे तो किसानों का कर्ज माफ कर देंगे, उन्हें उचित दाम दिलाएंगे, वगैरह वगैरह।
उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, भारतीय जनता पार्टी ने बड़े-बड़े वादे किए किसानों से की अगर हम सरकार में आए तो कर्ज माफ कर देंगे। लेकिन अब ये कर्ज माफी किसानों के लिए फंदा बन गई है। यूपी की योगी सरकार के झूठे वादों की वजह से किसान अब अपनी जमीनें बेचने को मजबूर हो गया है। यूपी के बुंदेलखंड में चुनावों में कर्जमाफी के वादे के झांसे में किसान आ गए और अब उनके लिए ये एक परेशानी का सबब बन गया है। कर्जमाफी का वादा सुन बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों ने सहकारी बैंक से लिया कर्ज वापिस नहीं किया। किसानों को योदी आदित्यनाथ से पूरी उम्मीद थी कि वो अपने वादे के अनुसार उनका कर्ज माफ कर देंगे। अब योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण बैंक की तरफ से बांटे गए कर्ज की वापसी सुनिश्चित करने के आदेश दे दिए हैं और सूबे की सरकार ने इसके लिए अधिकारियों की एक टीम भी बना दी है। ये टीम सहकारी बैंक द्वारा किसानों को दिए गए कर्ज की वापसी सुनिश्चित करेगी। इसके लिए कर्ज नहीं चुकाने वाले डिफॉल्टर्स किसानों की संपत्ति को जब्त करने के साथ ही उनकी नीलामी भी कर दी जाएगी।
ऐसे में नीलामी की राशि से कर्ज अगर नहीं चुकता हो पाता है तो इस स्थिति में किसानों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। जिस वजह से करीब 100 किसानों को जून महीने के अंत तक 7 करोड़ रुपये की राशि वापिस करने का फरमान सुनाया गया था। वहीं अन्य 70 किसानों को जुलाई के अंत तक 4 करोड़ रुपये चुकाने है। बुंदेलखंड के चित्रकूट संभाग में चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर और महोबा जिले में 2341 किसानों पर बकाया राशि 60.3 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। जिसे वो चुकाने में समर्थ नहीं है।
आलम तो ये आ गया है कि अब ज्यादातर किसानों को अपना बकाया कर्ज चुकाने के लिए अपनी खेती की जमीनों को बेचना पड़ रहा है। 170 किसानों के पास बहुत कम खेत हैं और ऐसे में उनकी कर्ज की राशि को पूरी तरह से नहीं चुकाया जा सकता है। जिसमें अतिरिक्त कमिश्नर (सहकारी) विनय कुमार मिश्रा ने टेलीग्राफ को बताया कि कर्ज नहीं चुकाने वालों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की शुरूआत कर दी गई है और जल्द ही इन किसानों की संपत्तियों की भी नीलामी की जाने वाली है। इससे पहले किसानों के कर्ज को माफ किया जा चुका है। साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था। उस दौरान नेताओं की तरफ से कहा गया था कि पूरा का पूरा कर्जा माफ हो जाएगा, जिस वजह से इन किसानों ने कर्ज का बचा हुआ पैसा वापिस नहीं किया और बकाया राशि 6 से 8 फीसदी तक बढ़ गई है। वहीं ऐसे में अगर भारतीय जनता पार्टी के द्वारा किसानों को कर्ज माफी का वादा नहीं किया गया होता तो ये लोग अपना कर्ज वापिस दे रहे होते। लेकिन अपनी सियासत के फेर में और सत्ता के लालच में पार्टी ने किसानों को वादा तो कर दिया और पूरा करने के वक्त पर चुप्पी साध ली है और मुख्यमंत्री को इस बात की सुध तक नहीं है।