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भारत देश के इन 5 गद्दार शासकों को इतिहास कभी नहीं करेगा माफ

इस दुनिया के पटल पर भारत एक ऐसा देश है, जिसकी समृद्धि का सदियों पुराना इतिहास रहा है। तभी तो इसे सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। सोने की इस चिड़िया को लूटने की चाहत लिये पहले तो मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इस देश को लूटा। उसके बाद जो बचा उसे लूटने अंग्रेज आ गये। वैसे, एक बात जो सबसे ज्यादा कचोटती है, वो ये है कि हमारा देश कभी दासता की जंजीरों में नहीं जकड़ा जाता। यह गुलामी तो देश का ही नमक खाकर देश को ही धोखा देने वाले उन गद्दारों की देन है, जिन्हें चंद पैसों के लिए अपना जमीर बेचने में जरा भी शरम न आई। इन्हीं में से पांच गद्दारों के बारे में यहां हम आपको बता रहे हैंः

1. जयचंद
देश के गद्दारों की बात होती है तो जयचंद का ही नाम दोस्तों सबसे ऊपर आता है। आये भी क्यों न? कन्नौज के इस राजा की राजा पृथ्वीराज चैहान से दुश्मनी थी। दोनों के बीच कई युद्ध हुए और सबमें जयचंद को हार मिली। फिर भी पृथ्वीराज ने जयचंद की पुत्री संयोगिता से विवाह कर लिया। इसके बावजूद जब जयचंद को मालूम हुआ कि मुहम्मद गौरी भी पृथ्वीराज को हराना चाहता है तो उसने उसे अपनी सेना देकर पृथ्वीराज को हरवा दिया। इसके बाद गौरी ने जयचंद को भी मार डाला। जयचंद की इस गद्दारी से नुकसान केवल पृथ्वीराज का ही, बल्कि पूरे देश का हुआ, क्योंकि  उसके बाद से ही भारत में इस्लामी आक्रमणकारी हावी हो गये। तभी तो गद्दारो के लिए ‘जचयंद’ मुहावरा ही बन गया।

2. मान सिंह
आमेर के राजा मान सिंह ने उस महाराणा प्रताप के साथ गद्दारी की थी, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जंगलों में जीवन गुजारकर घास की रोटियां तक खाई थी। मान सिंह तो मुगलो के गोद में जा बैठा था। महाराणा प्रताप ने सारे कष्ट सहने के बाद भी सेना को फिर से संगठित करके हल्दीघाटी का युद्ध अकबर से लड़ा था, जिसमें मान सिंह मुगलों का सेनापति बना था।

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3. मीर जाफर
अंग्रेजों की गुलामी यदि इस देश को करनी पड़ी तो उसके लिए मीर जाफर नाम का गद्दार जिम्मेवार था, क्योंकि यही वो शख्स था, जो राॅबर्ट क्लाइव के साथ मिल गया था और प्लासी के युद्ध में अपने ही राजा सिराजुद्दौला को हरवा दिया था। इसी के बाद से तो देश में ब्रिटिश हुकूमत की नींव पड़ गई। अंग्रेजों की यह दासता हमें कितनी भारी पड़ी, यह किसी से छुपा नहीं है।

4. मीर कासिम
मीर जाफर को अंग्रेजों की मदद से बंगाल की गद्दी तो मिल गई, मगर अंग्रेजों ने मीर कासिम नामक गद्दार की मदद से मीर जाफर को भी अपने रास्ते से हटा दिया। मीर कासिम को भी बाद में पता चल गया कि उसने अपने वतन से गद्दारी करके कितनी बड़ी गलती की है, मगर तब तक इस गद्दार के पाप का घड़ा भर चुका था और अंग्रेजों ने ही उसे एक और गद्दार मीर सादिक की मदद से मरवा दिया। मीर सादिक नामक गद्दार की मदद से अंग्रेजों ने दक्षिण में टीपू सुल्तान को भी रास्ते से हटाकर आखिरकार दक्षिण भारत में भी अपना साम्राज्य फैला लिया। बाद में मीर सादिक को उसकी गद्दारी की सजा मिल ही गई, क्योंकि अंग्रेजों ने ही उसे मरवा दिया।

5. फणींद्रनाथ घोष
इसी गद्दार की वजह से भगत सिंह, सुखेदव और राजगुरु को फांसी हो गई थी। सैंडर्स हत्याकांड और एसेंबली कांड में इसी की गवाही की वजह से भारत के इन महान क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई थी। इस गद्दार को इसकी गद्दारी की सजा बिहार के रहने वाले बैकुंठनाथ शुक्ल ने दी, जिन्होंने इस गद्दार को मौत के घाट उतार दिया।

वास्तव में यदि देश में ये पांच गद्दार नहीं होते, तो शायद आज हमारे देश की तस्वीर ही कुछ और होती। इन गद्दारों की वजह से जो देश सोने की चिड़िया था और जहां के कण-कण में समृद्धि बसा करती थी, उस देश को बाहरी आक्रमणकारियों ने अपना गुलाम बनाकर खोखला कर दिया। फिर भी आज के आजाद भारत की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है और हमारा यह पूर्ण प्रयास होना चाहिए कि एक बार फिर से हम इस देश को सोने की चिड़िया बनाएं।