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मित्रों! इन कामों के लिए मोदी जी ने आरबीआई से पैसा लिया है

नई दिल्ली: अचानक से एक खबर आती है की देश के सबसे बड़े बैंक आरबीआई ने सरकार के खाते में एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रूपये ट्रांसफर कर दिए हैं। सरकार इस पैसे के पीछे बहुत दिनों से पड़ी हुई थी। एक के बाद एक इस्तीफे होते चले गए लेकिन मोदी जी नही माने, बोले भैया पैसा तो हम लेकर रहेंगे और अंत में लेकर ही माने। अब आपको लग रहा होगा की मोदी जी ने ये पैसा किसलिए लिया है तो आइये हम बता देते हैं।

सबसे पहली बात राम मंदिर शायद इसलिए ना बना हो की इसका काम शुरू करवाने के लिए मोदी जी के पास पैसा ना हो। इसके लिए पैसा उठाया गया है। ईंटें तो कई सालों से वहां पड़ी हुई हैं और अब बस पैसे की कमी के चलते काम शुरू नही हो पा रहा था। तो अब पैसा आ गया है इसीलिए काम शुरू हो जाएगा। मतलब ये पैसा राम मंदिर के रुके हुए काम को दोबारा शुरू करवा सकता है। अब आप कहेंगे की राम मंदिर का काम तो शुरू ही नहीं हुआ, तो मित्र आँखे खोलिए बहुत दिनों से काम शुरू है या यूं कहे की 2014 के घोषणापत्र में सबसे पहले वही बना था। यानी की ये पैसा अब राम मंदिर की छत पड़ने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

देखिये आज के समय में जिसका सोशल मीडिया जितना मजबूत उसका काम भी उतना ही ब्रांडेड हो सकता है। अब भले सरकार काम न करवाए लेकिन आईटी सेल के हिसाब से विकास दर आसमान छू रही है। इसीलिए आईटी सेल हो चुके कथित कामों को और बेहतर तरीके से दिखा सके इसके लिए उन्हें और अधिक पैसा दिया जाएगा| इसीलिए ये ऐसा उठाया गया है। अब बोलो पैसा सही कम में लगा की नहीं, लगा की नहीं लगा…..।

एक बार की बात है रेल मंत्री पियूष गोयल ने वन्दे भारत एक्सप्रेस की स्पीड बहुत तेज दिखा दी थी। बाद में पता चला की ये एडिटिंग का कमाल है। मानो दिमाग चकरा गया की रेल मंत्री एडिट करके विडियो डाल रहे हैं। लेकिन उसके बाद कोई विडियो ऐसा नहीं आया। क्योकि ट्रेने बहुत अधिक हैं और सबकी-सब लेट हैं इसीलिए सबकी स्पीड बढ़ाकर दिखाने में फण्ड अधिक लगेगा। इसके लिए आरबीआई से पैसा लिया गया है। अब सभी ट्रेनों की स्पीड को एडिट करके बताया जाएगा की ये बहुत तेज चल रही है। हाँ, वो जो तुम्हारे शहर में पैसेंजर ट्रेन जाती है ना उसे भी दिखाया जाएग।| लेकिन खुश मत हो वो क्योकि वो पहुचेगी छ घंटे लेट ह।|

देखो मोदी जी जबसे आए तो ये भी चल रहा है की ऐसा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने मोदी जी। सरदार पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति बनवाई गई जो की दुनिया में सबसे ऊँची है। हालाँकि इससे उतनी कमाई नहीं हो रही है जितनी होनी चाहिए। वो अलग बात है की उसकी वजह से स्थानीय आदिवासी परेशान हैं, खैर छोडि। अब ऐसी कुछ और मूर्तियाँ बनाई जाएगी। जिन्हें देखते ही आपके पास नौकरी का ऑफर लैटर खुद ही आ जाएगा। अब इस बार वाली कम से कम दस हजार करोड़ की तो होनी चाहिए ना। यार इत्ते पैसे एक साथ आयें हैं तो काम अधिक दिखना चाहिए।

या फिर ये कर लें-

शायद ये सारे काम हो जाएँ लेकिन कुछ काम हैं जो बिलकुल नहीं होने चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था ढलान पर है, युवाओं के हाथ से नौकरी जा रही है, लोग भूखे मर रहे हैं, एम्स बनाने का वादा हुआ था और आज तक कही दिखाई नहीं दे रहा है। सड़कें खुदी पड़ी हैं, बिहार में बाढ़ आई है, इन सब कामों के लिए पैसा शायद ही दिया जाए। अब दे दें तो बढिया है लेकिन फिर इसकी ब्रांडिंग में भी पैसा खर्च होगा| तो क्यों ना सीधा ब्रांडिंग में ही खर्च किया जाए। देखा ना दिमाग मोदी जी का..।