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गठबंधन कई बार साबित हुआ कड़वा व असफल, इतिहास के पन्नों में दर्ज है कई किस्से

Politics Tadka Taranjeet 5 March 2019
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भारत के अंदर एक बार फिर से चुनाव का माहौल बना हुआ है। मई में देश को एक सरकार मिल जाएगी और इसके लिए कुछ ही दिनों में चुनाव आयोग भी बिगुल फूंक देगा। उसके बाद ही पता चलेगा कि मोदी के खिलाफ गठबंधन कितना सफल और असफल सिद्ध हुआ । लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरु कर दिया है। इस बार के चुनाव में एक अलग ही तरह का एजेंडा देखा जा रहा है। इस बार मुद्दों से ज्यादा गौर किया जा रहा है चेहरों पर। 2 तरह के राजनीतिक दल चुनाव में देखने को मिल रहे हैं, एक तो सरकार के साथ खड़े हुए जिन्हें हम मोदी समर्थक कह रहे हैं और दूसरे एंटी मोदी।

एंटी मोदी दल अपनी विपक्ष की जिम्मेदारी छोड़ कर महागठबंधन की शक्ति प्रदर्शन में व्यस्त

एंटी मोदी दलों को हम विपक्ष कह सकते हैं लेकिन वो कहीं ना कहीं विपक्ष की जिम्मेदारी छोड़ अपने गठबंधन को ज्यादा तूल देने पर लगे हैं। इस महागठबंधन की आवाज दिल्ली से लेकर दक्षिण भारत तक, कश्मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट गूंज रही है। गौरतलब है कि 1999 के बाद से 3 सरकारें हमने देखी है जो गठबंधन पर चली है, लेकिन हर बार समर्थन वापिस लेने के डर से वो निर्णय लेने की क्षमता सत्तावादी दल को खोनी पड़ती है।

गौरतलब है कि इस बार बन रहे एंटी मोदी गठबंधन की झलक तो कई बार हम देख चुके हैं, चाहे वो कर्नाटक में कुमारस्वामी का शपथ ग्रहण हो या फिर बंगाल की दीदी का शक्ति प्रदर्शन। तमाम नेताओं ने एक सुर में मोदी का विरोध तो किया है। लेकिन इतिहास में अगर हम जाएं तो कई ऐसे किस्से दिख जाएंगे जब गठबंधन सरकार की वजह से सरकारें गिरी है। तो आईए एक नजर ऐसी सरकारों पर डालते हैं।

आजादी के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी केंद्र से लेकर देश के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस की ही सरकारें थी। लेकिन साल 1969 में कांग्रेस दो हिस्सों में बंट गई थी। कांग्रस के विभाजन के बाद कांग्रेस (ओ) जिसका नेतृत्व कर रहे थे के. कामराज और कांग्रेस (आर) का नेतृत्व कर रही थी इन्दिरा गांधी। साल 1969 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस (आर) ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में जीत दर्ज की लेकिन उसे 78 सींटों का नुकसान हुआ था।

1971 में हुआ पहला गठबंधन

साल 1971 के चुनाव में विपक्ष ने इन्दिरा गांधी का मुकाबला करने के लिए जनसंघ, कांग्रेस(ओ), स्वतंत्र पार्टी और एसएसपी को एकत्र किया और राष्ट्रीय डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) का निर्माण किया। इसे स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास का पहला पूर्ण गठबंधन कहा जा सकता है लेकिन इंन्दिरा गांधी के नेतृत्व में विपक्ष को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन साल 1975 से 1977 तक देश में इन्दिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था जो उनके लिये घातक सिद्ध हुआ।

आपातकाल के हटने के बाद साल 1977 के लोकसभा चुनाव में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में कांग्रेस(ओ), भारतीय जनसंघ, भारतीय लोक दल समेत लगभग पूरा विपक्ष एक साथ इंदिरा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरा। विपक्ष की एकता के सामने इस बार इन्दिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। उस वक्त 520 में से 330 सीटों पर जीत दर्ज की और मोरारजी देसाइ प्रधानमंत्री बने थे।

लेकिन साल 1979 में संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ जिसे सरकार साबित नहीं कर सकी और सरकार गिर गई। गठबंधन सरकार की विफलता ने एक बार फिर से कांग्रेस को मौका दिया और कांग्रेस ने साल 1980 और साल 1984 में भारी जीत दर्ज की।

13 दिनों में गिर गई थी वाजपेयी की सरकार

साल 1996 में हुए चुनावों में बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 187 सीटें हासिल की लेकिन बहुमत से वो दूर रही थी। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते 16 मई 1996 अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने का मौका मिला लेकिन वो संसद में बहुमत साबित नहीं कर सके जिस कारण 13 दिनों में ही उनकी सरकार गिर गई। जिसके बाद में देवगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, टीडीपी, एजेपी, वाम मोर्चा(4 दलों), तमिल मनीला कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी ने एक साथ मिलकर सरकार बनाई। कांग्रस ने इस गठबंधन को बाहर से समर्थन दिया।

लेकिन बाद में कांग्रेस ने सीबीआई जांच का बहाना बनाकर कांग्रेस ने देवगौड़ा की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद आइके गुजराल प्रधानमंत्री बने लेकिन कांग्रेस ने डीएमके को सरकार से बाहर करने की मांग कर दी लेकिन जब मांग पूरी नहीं हुई तो उसने संयुक्त मोर्चे सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

साल 1998 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जनता दल (यूनाइटेड), एआईएडीएमके, समता पार्टी, बिजू जनता दल, शिरोमणि अकाली दल, राष्ट्रवादी तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, पट्टाली मक्कल काची, लोक शक्ति, मारुमालार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, हरियाणा विकास पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय लोक दल, मिजो राष्ट्रीय मोर्चा, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, मणिपुर राज्य कांग्रेस पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी अपनी 16 अन्य दलों को साथ लेकर चुनाव के मैदान में उतरी। इस चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की जीत हुई और और अटल बिहारी के नेतृत्व में सरकार बनी लेकिन ये सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी और एआईएडीएमके ने समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दी।

1999 में बनी थी पहली गठबंधन सरकार ने पूरा किया था कार्यकाल

साल 1999 में हुए 13 वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 16 दलों को साथ लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गठन हुआ।

इस चुनाव में एनडीए ने 299 सीटें जीती, इसमें बाद में नेशनल कांफ्रेंस, मिजो नेशनल फ्रंट, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट सहित कुछ अन्य दलों के जुड़ने के बाद गठबंधन दलों की संख्या 24 हो गई।

इस गठबंधन की सरकार ने भारत में पहली बार पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

कांग्रेस को वाम मोर्चा ने चेताया

साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और राष्ट्रीय जनता दल को साथ लेकर संयुक्त मोर्चे का गठन किया। इस चुनाव में एनडीए को 181 सीटें मिलीं और विपक्षी दलों को 218 सीटें मिलीं।

तब वाम मोर्चा, समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को बाहर से समर्थन दिया। साल 2008 में वाम मोर्चा ने भारत और अमेरिका के बीच में हो रहे परमाणु समझौते का विरोध करते हुए यूपीए से अपना समर्थन वापस ले लिया था। लेकिन उस वक्त यूपीए ने विश्वास मत हासिल कर लिया था और सरकार बच गई थी।

अब देखना ये है इस बार के २१ पार्टियों के गठबंधन का क्या परिणाम देखने को मिलता है । फिलहाल तो दो बात दिख रही है, पहली ये कि नरेंद्र मोदी को बिना गठबंधन के हराया जाना मुमकिन नहीं दिख रहा है, और दूसरी बात ये कि यदि इतिहास को देखें तो गठबंधन सरकार लगभग हर बार टूट गयी है ।

फिलहाल इंतज़ार करने का वक़्त है कम से कम मई तक।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.