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भ्रष्टाचार की जड़ों ने ही मुरादनगर में ले ली 25 से ज्यादा लोगों की जान

उत्तर प्रदेश एक बार फिर से खबरों में आ गया है। एक हादसा जिसने सबको झंझोर कर रख दिया है। यूपी के गाजियाबाद जिले में दर्दनाक हादसा हुआ। गाजियाबाद के मुरादनगर के शमशान घाट में नई बनी छत भरभरा कर गिर गई, उस दौरान वहां पर 50-60 लोग मौजूद थे। इस हादसे पर सभी को दुख हुआ, राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक ने गहरा दुख जताया है। लेकिन हादसे की जब पूरी तस्वीर सामने आई तो लोगों के दुख ने गुस्से का रूप ले लिया। लोगों का गुस्सा होना लाजमी भी है क्योंकि इस हादसे की जो वजह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

मुरादनगर में खुल गई पोल

दरअसल मुरादनगर के उखलारसी गांव की एक कॉलोनी में जयराम नाम के 62 साल के व्यक्ति का निधन हो गया था। जब उनके अंतिम संस्कार कार्यक्रम में करीबी रिश्तेदारों के अलावा आसपास के इलाके के करीब 50-60 लोग शामिल हुए थे और शमशान घाट में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चल रही थी और बारिश भी हो रही थी इसलिए करीब सारे लोग एक ही छत के नीचे खड़े हो गए थे। 70 फिट के इस लंबे गैलरी में लोग अंतिम संस्कार के बाद 2 मिनट के मौन व्रत रख खड़े हुए थे। तभी अचानक से एक ही झटके में पूरी की पूरी छत भरभरा कर गिर गई। जो लोग बाहरी हिस्से में खड़े थे वो तो किसी सूरत में बच गए लेकिन जो लोग छत के ठीक नीचे खड़े थे उनके साथ बेहद बुरा हो गया, जिसमें 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई लोग अभी भी गंभीर है।

अब इसे आप हादसा कहकर इस पूरी घटना से कन्नी काट सकते हैं कि ये तो एक हादसा है जो किसी भी रूप में हो सकता है लेकिन इस घटना को महज हादसा कह देना किसी भी कीमत में सही नहीं है। आप भी जानकर हैरान हो जाएंगे कि जो छत गिरी है उसका लेंटर तो सिर्फ 15 दिन पहले ही खुला था और अभी इस गैलरी का लोकार्पण समारोह तक नहीं हुआ था। अब आप सोचिए कि निर्माण कार्य कितने अच्छे से और कितने वक्त तक के लिए हुआ था।

15 दिन में ही गिर गई छत

लंबे समय तक छत का टिकाऊ होना तो दूर वो तो बनने के 15 दिन बाद ही टूटकर 25 लोगों की जान ले गई। नगर निगम से जारी इस काम का टेंडर 55 लाख रूपये नगर निगम के ठेकेदार अजय त्यागी ने उठाया था। किसी भी निर्माण कार्य में ठेकेदार से लेकर ऊपर तक के अधिकारी शामिल रहते हैं। निर्माण के समय भी तमाम तरह की जांच पड़ताल करने का नियम बना है, लेकिन शायद वो पालन नहीं हुआ क्योंकि निर्माण कार्य में सामान की गुणवत्ता तक को परखना जरूरी होता है। लेकिन शमशान घाट में बनी इस गैलरी में कितनी खराब सामग्री का इस्तेमाल किया गया है ये आपके सामने ही है।

गिरी हुई छत की तस्वीरों से ही साफ है कि निर्माण में कितनी घटिया किस्म का सामान इस्तेमाल किया गया है। सिमेंट और बालू का मसाला एक चूरा के सिवाय कुछ नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि ठेकेदार अजय त्यागी, सुपरवाईजर आशीष और नगर पालिका की अधिकारी निहारिका चौहान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और उनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है।

मुख्यमंत्री ने गहरा दुख जताते हुए तमाम मरने वालों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक मदद का भी ऐलान कर दिया है। अब सवाल ये नहीं है कि आर्थिक मदद मिली की नहीं मिली या फिर इस हादसे से क्या सबक प्रशासन को मिलेगा। सवाल ये है कि आखिर इतने सारे नियम कानून होने के बावजूद भ्रष्टाचार इतना क्यों फैला हुआ है। क्या कोई भी अधिकारी इसके खिलाफ खड़ा होने को तैयार नहीं है।

क्यों भाजपा सरकार में भी भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो रहा है

एक जानकारी ये भी मिली है कि इसी मुरादनगर  कि गैलरी के खराब निर्माण को लेकर पहले ही निगम में ऐप्लीकेशन डाली गई थी तब भी इतनी बड़ी लापरवाही अपने आप में बहुत बड़ा सवाल खड़ा करती है। आखिर टेंडर से लेकर निर्माण कार्य तक जब हर तरह के नियम कानून हैं तो उसपर अमल क्यों नहीं हो पाता है। क्यों इस पर नजर तब ही जाती है जब कोई अनहोनी या हादसा हो जाता है। अगर ये हादसा न होता तो क्या इस खराब निर्माण पर कोई कार्यवाई होती।

सैंकड़ों सवाल है लेकिन जवाब के नाम पर बस और बस भ्रष्टाचार है। वो भी उस सरकार के राज में जो भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी जंग सी बना कर आगे बढ़ी थी। योगी से लेकर मोदी सरकार तक ने इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई बड़े बड़े वादे और बातें कही थी, लेकिन इस हादसे ने भाजपा सरकार के सारे वादों की पोल खोल कर रख दी है। अब ये एक बार फिर से सही साबित हो गया कि सरकार चाहे जिसकी भी हो भारत में भ्रष्टाचार इतना गहरा हो गया है कि अब इससे बाहर नहीं निकला जा सकता है।