एयर इंडिया को कौन खरीदेगा? काफी समय से सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के बेचे जाने की खबरें आ रही हैं। यूपीए की सरकार के दौरान भी इसे बेचे जाने की बातें होती थीं और मोदी सरकार में भी इसे बेचने के कयास लगाए जा रहे थे। अब जब मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि वो एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। तो इसे खरीदेगा कौन? आपको बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह ने 7 जनवरी को ही एयर इंडिया के निजीकरण को मंजूरी दे दी थी। अब जब सरकार ने इसे बेचने की तैयारी कर ली है तो उसने 17 मार्च तक एयर इंडिया के लिए बोली मंगाई है। आपको बता दें कि कंपनी पर करीब 60 हजार करोड़ का कर्ज है। यहां सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर कर्ज में डूबी इस कंपनी को कोई क्यों खरीदेगा? आखिर पिछले कई सालों से तो किसी ने खरीदा नहीं, तो इस बार सरकार ऐसा क्या ऑफर दे देगी कि ये बिक जाए? इससे भी बड़ा सवाल ये है आखिर इसे कौन खरीदेगाा?
आज के वक्त में एयर इंडिया पर करीब 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है और हालात ये हैं कि कंपनी को रोजाना 20-25 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। अब मोदी सरकार एयर इंडिया को और अधिक आर्थिक सहायता नहीं देना चाहती है। अगर आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो 2019 में कंपनी ने 25,509 करोड़ रुपए की कमाई की और 30,194 करोड़ रुपए खर्च किए, यानी 4,685 करोड़ रुपए का नुकसान। आपको बता दें कि एयर इंडिया के पास करीब 125 एयरक्राफ्ट हैं और दिसंबर 2019 के अनुसार इसका घरेलू मार्केट में शेयर करीब 11.9 फीसदी है।
मोदी सरकार ने पहले भी 2018 में एयर इंडिया को बेचने का प्रस्ताव रखा था। उस समय सरकार 76 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही थी, लेकिन किसी ने भी इसे खरीदने में कोई रुचि नहीं दिखाई। अपने पुराने अनुभव को इस बार सरकार ने बदला और 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। ये भी सुनने में आ रहा है कि सरकार ने एयर इंडिया की 60 हजार करोड़ की कर्जदारी का एक बड़ा हिस्सा माफ करने का भी ऑफर दिया है। आपको बता दें कि यूपीए ने 2011-12 में एयर इंडिया में आने वाले 10 साल में 30,000 करोड़ रुपए लगाने को मंजूरी दी थी और दिसंबर 2019 तक सरकार की ओर से एयर इंडिया में 30,520.21 करोड़ रुपए डाले जा चुके हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि इसे खरीदने के लिए टाटा समूह, हिंदुजा, इंडिगो, स्पाइसजेट और कुछ निजी इक्विटी फर्म की तरफ से बोली आ सकती है। ये भी माना जा रहा है कि ज्वाइंट वेंचर के तहत भी दो कंपनियां मिल कर एयर इंडिया को खरीदने का प्लान दे सकती हैं। एविएशन इंडस्ट्री के एक सूत्र के अनुसार इंडिगो इसे खरीदने वाला सबसे बड़ा दावेदार हो सकता है, लेकिन इसे शेयरहोल्डर्स की मंजूरी मिलना मुश्किल है। उनके अनुसार शुरुआती बोली तो कोई भी लगा सकता है, लेकिन एग्रीमेंट साइन होने से पहले शेयर होल्डर्स की मंजूरी लेनी जरूरी होती है।
आपको बता दें कि टाटा जैसे समूह सरकार के साथ काफी अधिक बारगेन कर रहे हैं। सरकार चाह रही है कि अधिक से अधिक मिल जाए। नहीं तो कम से कम इतनी राशि तो मिल ही जाए कि एयर इंडिया का कर्ज निपटाया जा सके, लेकिन इसे खरीदने में रुचि दिखाने वाले सरकार का नहीं, बल्कि अपना फायदा देख रहे हैं। वो एयर इंडिया को एक कंपनी से अधिक कुछ नहीं सोच रहे हैं और सरकार के साथ डीलिंग भी ऐसे ही कर रहे हैं।
एयर इंडिया के एक अधिकारी की मानें तो अगर जून 2020 तक एयर इंडिया को कोई खरीददार नहीं मिलता है, तो इसकी हालत भी जेट एयरवेज की तरह हो सकती है और कंपनी बंद करने की नौबत आ जाएगी। अधिकारी की मानें तो उन्होंने कहा है कि कंपनी ने सरकार से 2,400 करोड़ रुपए की सोवरेन गारंटी मांगी थी, लेकिन सरकार ने सिर्फ 500 करोड़ रुपए की गारंटी दी है। उनके अनुसार कंपनी के फंड्स से एयर इंडिया अधिक से अधिक जून 2020 तक चल सकती है, उसके बाद भी अगर सरकार ने पैसे नहीं दिए या कोई खरीददार नहीं मिला तो एयर इंडिया के विमान आसमान में नहीं दिखेंगे।