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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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चुनावी नतीजे जो भी हो हरियाणा की जनता ने जबरदस्त संदेश दिया है

हरियाणा के विधानसभा चुनाव ने कई लोगों की हवा निकाल दी है। एक-आध एग्जिट पोल को छोड़ सभी बीजेपी की बंपर जीत की घोषणा करे बैठे थे पर ऐसा नहीं हुआ।
Politics Tadka Taranjeet 26 October 2019
Haryana Assembly Election 2019 Result BJP Congress JJP Indian Democracy

हरियाणा के विधानसभा चुनाव ने कई लोगों की हवा निकाल दी है। एक-आध एग्जिट पोल को छोड़ सभी बीजेपी की बंपर जीत की घोषणा करे बैठे थे। कई तो मीडिया संस्थान भी लड्डू का ऑडर दिए होंगे। बीजेपी ने खुद ‘अबकी बार, 75 पार’ का नारा दिया था। लेकिन पार्टी बहुमत का आंकड़ा यानी 46 भी नहीं छू पाई। अब ऐसे में उसे जरूरत पड़ेगी एक साथी की और वहीं कांग्रेस भी सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है, क्योंकि 31 सीटें है कांग्रेस के पास 10 जेजेपी के पास और 9 अन्य है। ऐसे में अगर कांग्रेस चाहे तो सरकार बना सकती है, लेकिन बीजेपी की उम्मीद ज्यादा है क्योंकि अगर उसे जेजेपी का साथ नहीं भी मिलता तो भी वो निर्दलीय और अन्य दलों के सहयोग से सरकार बना सकती है।

इस विधानसभा चुनाव से ये तो साफ हो गया कि जनता सरकार के रवैये से खुश नहीं थी। तभी तो सीएम मनोहर लाल खट्टर और मंत्री अनिल विज को छोड़कर बाकि सारे मंत्री हार गए। वहीं दूसरी तरफ राज्य के जाट समुदाय ने एकजुट होकर उस उम्मीदवार को वोट दिया जो बीजेपी को हरा सके भले ही वो किसी भी पार्टी का हो। तो वहीं बीजेपी ने बड़े बड़े चेहरे भी उतारे लेकिन सब फेल होते नजर आए। इस चुनाव से साफ हो गया कि जनता ने मुख्यमंत्री चुनने के लिए वोट किया था न कि नरेंद्र मोदी के नाम पर या फिर पाकिस्तान, 370, NRC के लिए।

इस चुनाव नतीजे से संदेश भी निकल कर सामने आए हैं

सबसे पहला संदेश तो यही है कि बीजेपी को भी हराया जा सकता है। बस जरूरत है नीयत की और कांग्रेस जैसे दलों को पहले की तरह मजबूत होने की और एक अच्छे नेतृत्व की। क्योंकि लोगों ने अपने वोट के जरिये कहा है कि उन्हें आर्टिकल 370, कश्मीर या पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर भाषण नहीं बल्कि बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों का निपटारा चाहिए। इन्हें अच्छे से विपक्ष को उठाना चाहिए। जनता ने अभी भी कांग्रेस को पूरी तरह से खारिज नहीं किया है, पार्टी में जान बाकी है। विधानसभा चुनावों में लोकल लीडरशिप को कमान सौंपने की कांग्रेस की रणनीति भूपेंद्र सिंह हुड्डा की शक्ल में एक बार फिर कामयाब हुई है।

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इसके अलावा इस बार बीजेपी का हिंदू कार्ड नहीं चल पाया क्योंकि लोगों ने समझा कि असल मुद्दों में हिंदूत्व नहीं भूख और रोजगार आता है। लोगों ने हरियाणा चुनाव में साफ किया है कि वो किसी भी एक पार्टी या मुद्दे के साथ चिपके हुए नहीं हैं। वो दिसंबर 2018 में तीन राज्यों में कांग्रेस को जीत दिलाते हैं, मई 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हीं राज्यों में उसे हराते हैं और फिर अगले विधानसभा चुनाव में फिर अपना मन बदल लेते हैं। इसके अलावा जनता ने इस बार ज्यादातर दलबदलुओं को भी बाहर का रास्ता दिखाया है। क्योंकि जनता को समझ आया कि ये नेता मौकापरस्ती में लगा है।

दुष्यंत चौटाला क्या करेंगे

बीजेपी को 40 सीटें मिली है जबकि बहुमत के लिए 46 की जरूरत है। अगर हम अन्य को देखें तो वो 9 है जिसमें से बीजेपी को 6 ही चाहिए। जिसमें बिना चौटाला के बीजेपी सरकार बना लेगी। लेकिन अगर चौटाला सरकार का हिस्सा बनना चाहते हैं तो उनके लिए बेहतर क्या होगा। दुष्यंत चौटाला अगर कांग्रेस का हाथ थामना चाहें तो भी दोनों मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। उन्हें अन्य के पास जाना पड़ेगा। बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली है तो ऐसे में राज्यपाल पहले बीजेपी को ही सरकार बनाने का न्योता देंगे। केंद्र में बीजेपी की मजबूती और अमित शाह की रणनीति को देखते हुए ये मानना मुश्किल है कि बीजेपी सरकार बनाने का न्योता हाथ से जाने देगी। इन सबके बीच भी हो सकता है कि दुष्यंत चौटाला बीजेपी के साथ सरकार में शामिल हों लेकिन वो ज्यादा सौदेबाजी की स्थिति में नहीं होंगे। तो खेल अभी बाकी है, लेकिन जनता को सलाम।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.