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Haryana Election 2019 :बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ लेकिन राजनीति में मत लाओ

एक समय था जब हरियाणा का नाम सुनते ही लगता था कि यहां पर लड़कियों का बुरा हाल है। पहले जब हरियाणा की बात करते थे तो लड़कियों की कम संख्या, महिला विरोधी बातें, और लड़कियों के साथ भेद-भाव की बातें ही जहन में आती थी। लेकिन अब वक्त के साथ ये नजरिया बदल गया है, अब अगर हरियाणा का ख्याल आता है तो फोगाट बहनें, साक्षी मलिक, सायना नेहवाल जैसे खिलाड़ी और मानुषी छिल्लर की खूबसूरती दीमाग में आती है। वक्त के साथ महिलाओं ने काफी हद तक हरियाणा की महिलाएं, लोगों की सोच बदलने में कामयाब रही है। और नतीजा ये है कि पैदा होते ही बच्चियों को जिस राज्य में मार दिया जाता था, आज उस हरियाणा में लिंग अनुपात में सुधार आ रहा है। हरियाणा की महिलाएं अच्छी पढ़ाई कर रही हैं, खेलों को अपना रही हैं, करियर बना रही हैं। इस राज्य से ऐसे नाम निकलकर सामने आ रहे हैं जो कि दुनियाभर में मशहूर हो रहे हैं। लेकिन अभी भी राजनीति में महिलाओं को लेकर ये बदलाव नजर नहीं आया है। हरियाा विधानसभा चुनाव 2019 में सीटों के ऐलान से तो कम से कम यही साबित हुआ है।

क्या पार्टियों को महिलाओं पर भरोसा नहीं ?

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 की कुल 90 सीटों पर चनाव 21 अक्टूबर को होने हैं। लेकिन उम्मीदवारों की सूची में महिलाएं न के बराबर ही नजर आ रही हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए केवल 9 सीटों पर महिलाओं को टिकट दिए हैं। यानी की विधानसभा में भागीदारी के लिए सिर्फ 10 फीसदी महिलाओं को ही मौका दिया गया है। यहां पर हैरान करने वाली बात तो ये है कि कांग्रेस वो पार्टी है जिसने हमेशा महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की मांग की है। इसके अलावा इस मामले में प्रदेश और देश दोनों की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी का हाल भी कांग्रेस जैसा ही है। सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 12 पर महिला प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा गया है। देश के दो प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी से अच्छे तो यहां के क्षेत्रीय दल निकले हैं जिन्होंने महिलाओं पर इन पार्टियों से ज्यादा भरोसा दिखाया है। आईएनएलडी ने इस बार 15 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं तो वहीं जननायक जनता पार्टी ने 7 महिलाओं को ही टिकट दिए हैं।

पिछले चुनावों की तुलना में कम भरोसा

कांग्रेस ने साल 2014 के चुनाव में 10 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से तीन महिलाएं जीती थीं, तो वहीं भाजपा की बात की जाए तो साल 2014 के चुनाव में पार्टी ने 15 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, इनमें से 8 महिलाओं ने जीत दर्ज की थी। वहीं आईएनएलडी ने 16 महिलाओं को टिकट दिए थे और बसपा ने 6 और निर्दलीय के रूप में 33 महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी थीं। साल 2014 हरियाणा चुनाव में सभी पार्टियों से कुल 115 महिलाएं चुनावी मैदान में थीं। यानी हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं लेकिन राजनीति में महिलाएं अभी काफी पीछे हैं। हरियाणा की खास बात ये है कि इस राज्य की 90 सीटों में से 58 सीटें ऐसी हैं जहां से कभी भी कोई महिला विधायक बनी ही नहीं है।

राज्य में सिर्फ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके आगे किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। बेटी क्या कर सकती है इसपर अभी भी हमारे राजनेताओं को शक है। इसलिए भाजपा ने वहीं दांव लगाया है जहां पर वो जीत की संभावनाएं सबसे ज्यादा लेकर बैठा है। उन्होंने इस बार रेसलर बबीता फोगाट और TikTok स्टार सोनाली फोगाट को टिकट दिया है जो दादरी और अदमपुर से चुनाव लड़ेंगी।

महिलाओं को लेकर अक्सर राजनीतिक पार्टियां महिलाओं की हित की बातें करती हैं लेकिन जब चुनाव का समय आता है तो राजनीतिक दल ये साबित कर देते हैं कि उनकी कोई भी बात भरोसा करने लायक नहीं है। महिलाओं को सत्ता में लाए बिना महिलाओं के हित की बातें करना एक नाइंसाफी जैसा प्रतीत होता है। और जब बात हरियाणा जैसे राज्य की छवि को सुधारने और विकास की हो तो महिलाओं को तो आगे लाना ही होगा। देश में अगर किसी राज्य की महिलाओं ने सबसे ज्यादा पितृसत्ता के दंक को झेला हैं तो वो हरियाणा ही है। ऐसे में चुनाव में महिलओं को सम्मानित भागीदारी न देकर एक बार फिर वही गलती दोहराई जा रही है। लेकिन लगता है कि हारियाणा में महिलाओं पर सिर्फ एक ही अहसान हो रहा है कि अब महिलाओं के लिए हरियाणा सांस लेने लायक हो गया है। लेकिन अगर आप इससे ज्यादा की उम्मीद करते हैं तो हरियाणा उतना भी नहीं बदला। य तो वही बात हो गई कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर राजनीति से दूर ले जाओ।