याद होगा, आपको वह दौर जब आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थें. गुजरात में धर्म के नाम पर नफरत और हिंसा का दौर अपने चरम पर था. गुजरात जल रहा था तब वहां के मुख्यमंत्री न्यूटन के गति के नियम की व्याख्या कर रहे थें. ये एक मुख्यमंत्री के कर्तव्यों और उसकी मर्यादा के सर्वथा विपरीत कार्य था.
उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उस समय के मुख्यमंत्री और आज के प्रधानमंत्री को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी. ये अलग बात है कि वो व्यक्ति सत्ता के शिखर पर पहुंच गया लेकिन उसने कभी भी राजधर्म की परवाह नहीं की. आइए, जरा चर्चा कर लें हिंदुत्व की, एक कांग्रेसी सरकार की और एक कांग्रेसी सीएम की.
अब हम बात करते हैं मध्यप्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री कमलनाथ की. पिछले 15 सालों में भाजपा और संघ परिवार ने मिल कर मध्य प्रदेश को हिंदुत्व की राजनीति की प्रयोगशाला बना कर रख दिया लेकिन ये प्रयोगशाला विकास आधारित नहीं बल्कि दूसरे समुदाय से नफरत पर आधारित था. भाजपा और संघ लगातार लोगों को यह बताता है कि कांग्रेस हिंदू विरोधी है लेकिन इसका सच तो कमलनाथ सरकार के बजट में ही सामने आ गया है.
हैरत की बात तो यह रही कि हिंदुत्व के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा की पिछली शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने हिंदुत्व के नाम पर वोट तो लिया लेकिन काम के नाम पर डंडी मार गए. यही वजह रही कि मध्य प्रदेश का संत समाज भी विगत विधानसभा चुनाव में उनके विरुद्ध सीधी लड़ाई में उतर गया.
हम बात कर रहे थें सीएम कमलनाथ की. कमलनाथ सरकार ने अपने पहले बजट में मध्य प्रदेश में तेजी से विलुप्त हो रहे हिंदू धार्मिक स्थलों, मंदिरों, पुरातन अवशेषों के संरक्षण के लिए अलग से बजट का प्रावधान कर दिया है. कमलनाथ की कांग्रेसी सरकार ने बजट में धार्मिक स्थलों के विकास के लिए घोषणाएं कर भाजपा को परेशानी में डाल दिया है.
सीएम कमलनाथ ने अपने पुराने वायदों के अनुरुप 1000 गोशालाएं खोलने के लिए 132 करोड़ की राशि का प्रावधान कर दिया है. मंदिरों के विकास के लिए रोडमैप तैयार कर लिया गया है. मंदिर में पूजा पाठ करने वाले पुजारियों का मानदेय तीन गुना बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरण मध्य प्रदेश के जिन जिन इलाकों में पड़े हैं, उन रास्तों को चिन्हित कर वहां पर राम वन गमन पथ का निर्माण कराया जाएगा जो कि एक तरह से श्रीराम सर्किट की तरह होगा.
भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार हिंदुत्व की बात करते करते मुस्लिम विरोध पर पहुंच जाती है जबकि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अल्पसंख्यकों को भी विश्वास में ले रखा है. हिंदू धार्मिक स्थलों के विकास और जीर्णोद्धार कार्यक्रमों का मुस्लिम समुदाय के लोग भी तहेदिल से स्वागत कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी कुछ ओवैसी छाप मुसलमानों को छोड़ दें तो बाकी सभी मुस्लिम युवा हिंदू धार्मिक स्थलों के विकास और श्रीराम वन गमन पथ निर्माण पर कमलनाथ सरकार की सराहना कर रहे हैं. जो की बेहद सकारात्मक बात है.
हर किसी को यह मानना ही होगा कि मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की तरक्की तभी होगी जब यहां के हिंदुओं और मुसलमानों के बीच प्रेम और सहयोग की भावना बढ़ेगी. बाकी आपस में फूट डालकर लड़ाने का काम अंग्रेज कर गए और बाकी का बचा हुआ काम कुछ नेता और राजनीतिक दल कर रहे हैं. हमें हर कीमत पर इनसे सावधान रहना ही होगा.