आज दौर में बड़ी Technology को देख आपको ऐसा लगता है जैसे की इस समय दुनिया में सबसे अनोखे काम हो रहे है,लेकिन एक बार अपनी सोच को थोड़ा पीछे ले जाकर इतिहास(History) की इन बातों को जरूर जान लीजिए। आज हम बात करेंगे ऐसे ही इतिहास के उन अजीबोगरीब काम के बारे में जिन्हे आज सभी देशो की सरकारों ने बैन कर रखा है।
कोकीन का इस्तेमाल बच्चो को दर्दनिवारक दवा के रूप में भी दिया जाता था
जहां आज कोकीन (cocaine) को रखना या उसका सेवन करते हुए पाए जाने पर कानून के द्वारा सजा का प्रावधान है। लेकिन आज से 100 वर्ष पहले कोकीन को इतना खतरनाक नहीं माना जाता था। उस दौर में कोकीन मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाता था तब कोकीन का इस्तेमाल बिना किसी डॉक्टर की सलाह के ले लिया जाता था और तब कोकीन का इस्तेमाल बच्चो को दर्दनिवारक दवा के रूप में भी दिया जाता था जो एकदम लीगल था।
बच्चों को डाक के माध्यम से एक से दूसरी जगह भेजना
वैसे तो ये थोड़ा अजीब है की डाक के जरिये बच्चे भेजना ये किसी मजाक जैसा है। लेकिन 20 वी शताब्दी में अमेरिका के लोग डाक सेवा के जरिये अपने बच्चो को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से भेज सकते थे और तब यह गैरकानूनी भी नहीं था हर बच्चे को डाक से भेजने के लिए 15 से 20 सेंट खर्च होते थे अमेरिकन लोग अपने पैसो के सेविंग और बच्चो के देखभाल के लिए अपने रिश्तेदार के पास भेज देते थे अब आप सोच रहे होंगे की इन्हें किस सिस्टम से भेजा जाता था? डाक उन बच्चो के साथ एक स्टाम्प लगता था जिसमे उनका नाम और बच्चो से जुड़ी सारी जानकारी होती थी और इस जानकारी से बच्चा अपने सही पते पर पहुंच जाता था।
बच्चो को जाली के पिंजरे में बैठा दिया जाता था
इतिहास में बच्चो की देखभाल के लिए बिट्रिस परिवार लोहे से बनें पिंजरे का इस्तेमाल करते थे जब महिलाये घर में काम के दौरान व्यस्त होती थी तब बच्चो को इस जाली के पिंजरे में बैठा दिया जाता था और वो उसमे चैन से नींद ले लेता था। इस बात पर विश्वास तो नहीं होता की उस दौर में बच्चो की रक्षा के लिए इन पिंजरों को सबसे सुरक्षित माना जाता था।
रेडियोएक्टिव खिलौने
1950 में रेडिशयन को काफी सुरक्षित माना जाता था और उस दौर में इससे जुडी कई कंपनियों के खिलोने काफी ज्यादा चलन में थे इनके कुछ खिलोने ऐसे थे जो Science Experiment पर आधारित थे जिनके कुछ मात्रा में असली पोलोनियम और यूरेनियम का प्रयोग किया जाता था साथ ही दोस्तों हाथ में पहनने वाली घड़ियों पर ऐसा पेंट किया जाता था जिससे वो रात के समय काफी चमकता था इसमें भी कुछ मात्रा में रेडियम को प्रयोग में लाया जाता था।
खास बात जिस पेंट को वाच पर लगाया जाता था। उसके उस ब्रश को मुँह से सीधा किया जाता था जिस वजह से रेडियम की कुछ मात्रा उनके शरीर में चली जाती थी रिपोर्ट के अनुसार वहां काम करने वाले सभी स्टाफ के शरीर में करीब 300 ग्राम रेडियोएक्टिव रेडियम चला गया और इस वजह से उन्हें कैंसर और हड्डियों से जुड़ी बीमारिया हो गई और इस बीमारी का नाम था रेडियम झा।