दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जनता 8 फरवरी को सभी 70 सीटों पर मतदान करेगी और 11 फरवरी को नतीजे घोषित होंगी। सबकी निगाहें अब जनता पर है कि क्या एक बार फिर जनता अरविंद केजरीवाल को सत्ता में वापसी कराएगी या फिर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में से कोई दिल्ली की कुर्सी पर बैठेगा। आम आदमी पार्टी, भाजपा, कांग्रेस सभी ने कमर कस ली है और सभी की तैयारियां पूरी हैं। वहीं नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल की चुनौतियां इस चुनाव में बहुत होंगी।
चाहे दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त करना हो या फिर मेट्रो और बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसका मानना है कि दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिलेगा। वहीं एक दूसरा वर्ग भी है जिसका मानना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने पासे तैयार कर लिए हैं। दोनों ही बड़ी सियासी पारी खेलने के लिए अपनी रणनीति का निर्धारण कर चुके हैं। आगामी दिल्ली चुनावों को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह देखा जा रहा है। और अरविंद केजरीवाल की चुनौतियां भी कम नहीं होंगी।
बात भाजपा की हो तो भाजपा जहां दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे करेगी। तो वहीं कांग्रेस ने भी जामिया से लेकर जेएनयू तक सीएए का विरोध कर रहे लोगों को समर्थन किया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी, अरविंद केजरीवाल के चेहरे को सामने करके चुनाव लड़ रही है। किसी और नेता को आगे करने की जगह पर पार्टी का अरविंद केजरीवाल के नाम के दम पर चुनाव लड़ना खुद इस बात की गवाही देता है कि कहीं न कहीं पार्टी को भी इस बात का विश्वास है कि किसी और नेता के मुकाबले दिल्ली की जनता केजरीवाल पर ज्यादा भरोसा करती है। लेकिन अरविंद केजरीवाल की चुनौतियां क्या होंगी?
बात 2020 के चुनावों की हो तो महिला सुरक्षा, प्रदूषण, अवैध कॉलोनी, बिजली, पानी, कानून व्यवस्था, सीएए और एनआरसी वो मुद्दे हैं जिनपर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही है। लेकिन बात अगर विपक्ष की हो तो विपक्ष इन सभी मुद्दों पर हमलावर है और जमकर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की फजीहत कर रहा है। क्योंकि इस चुनाव में सिर्फ केजरीवाल को प्रोजेक्ट किया जा रहा है तो कहीं न कहीं पार्टी भी बैकफुट पर है और तमाम तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है।
पार्टी की नींद विपक्ष खासकर भाजपा ने उड़ाई है इसे हम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों से भी समझ सकते हैं। अमित शाह राज्य सरकार पर खासे तल्ख नजर आए और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए अमित शाह ने साफ कहा कि आम आदमी पार्टी हवा में प्रचार कर रही है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि आप पार्टी की सरकार ने अगर किसी का सबसे ज्यादा नुकसान किया है तो दिल्ली के गरीब और गांव के लोग हैं जिनकी आंख में मोहल्ला क्लिनिक दिखाकर धूल झोंकी गई है। साथ ही अमित शाह ने आयुष्मान भारत को लेकर भी अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया। गृह मंत्री का तर्क था कि केजरीवाल आयुष्मान भारत योजना को गरीब के पास पहुंचने नहीं दे रहे हैं।
दिल्ली में आयोजित रैली में अमित शाह ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। दिलचस्प बात ये है कि शाह की बातों का काउंटर अभी न तो आम आदमी पार्टी की तरफ से आया है और न ही अरविंद केजरीवाल की तरफ से। पार्टी ने जवाब नहीं दिया है कारण स्वयं एक बड़े चेहरे के रूप में आम आदि पार्टी का अरविंद केजरीवाल को प्रोजेक्ट करना है। कह सकते हैं कि अगर पार्टी के पास और चेहरे होते तो यकीनन जवाब आता और उन जवाबों के माध्यम से भाजपा को चुनौती दी जाती।
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं आम आदमी की ताकत अरविंद केजरीवाल हैं। बात कमजोरियों की हो तो पार्टी के लिए इसकी भी वजह केजरीवाल ही हैं। चुनाव का मौसम है तो केजरीवाल को बाहर वालों से ज्यादा खतरा उनसे है जो या तो उनके साथ हैं या फिर उनसे अलग हो चुके हैं। पार्टी के ये विभीषण केजरीवाल की लंका को कैसे प्रभावित कर सकते हैं? इसे समझना हो तो चाहे कुमार विश्वास रहे हों या फिर कपिल मिश्रा और आशुतोष सभी केजरीवाल की आलोचना करते नजर आ रहे हैं। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता आशुतोष ने जेएनयू में हुई हिंसा मामले को लेकर केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोला और लगातार कुमार विश्वास भी हमला करते रहते हैं।