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हैदरबादी बिरियानी- कैसे हुई निज़ाम के द्वारा शुरुआत और क्या है खासियत

हैदराबादी बिरियानी का नाम सुनते ही जैसे मुँह में पानी आ जाता है और आये भी क्यों न, खाने में बिरियानी और बिरियानी में हैदराबादी बिरियानी की अपनी एक अलग जगह है. आप भारत के किसी कोने से क्यों न हों, हैदराबादी बिरियानी लगभग हर रेस्टोरेंट के मेन्यू में होता ही है.

पुलाव व बिरियानी में अंतर –

बहोत से लोग बिरियानी और पुलाव के अंतर को समझ नहीं पाते हैं क्योंकि देखने में दोनों लगभग एक जैसे ही दीखते हैं, बहरहाल दोनों में काफी अंतर होता है. सबसे बड़ा और खास अंतर है इसमें इस्तेमाल होने वाले मसाले और इसको बनाने का तरीका.

हैदराबादी बिरियानी –

वैसे तो दुनिया भर में कई किस्म की बिरियानी मिलती है और प्रसिद्ध भी है लेकिन जैसे ही बात बिरियानी की आये, हैदराबादी बिरियानी की बात किये बिना पूरी बात ही जैसे अधूरी सी लगती है. अपने भारत देश में ही हैदराबादी बिरियानी के अलावा भी कश्मीरी बिरियानी, लखनवी बिरियानी, कलकत्ता बिरियानी इत्यादि काफी प्रशिद्ध हैं लेकिन इन सब में हैदराबादी बिरियानी ने अपने एक अलग चाप छोड़ रखी है. हैदराबादी बिरियानी में मुगलई और ईरानी स्वाद का भरपूर समावेश देखने को मिलता है.

जब निज़ाम का दिल जीत लिया लखनवी बिरियानी ने –

निज़ाम के रसोई से निकले इस खास पकवान को अब दुनिया भर में खासा पसंद किया जाता है. लोग बताते हैं की एक बार जब लखनऊ के राजा हैदराबाद के पास से गुजर रहे थे उस वक्त निज़ाम ने उनके ठहरने की व्यवस्था की थी. रात में अचानक हैदराबाद के राजा नवाब को अजीब से मसलों की सुगंध आयी और जब उन्होंने पता करवाया तो पता चला की ये सुगंध लखनऊ के महाराज के खेमे से आ रही है. निज़ाम ने उस पकवान को मंगवा कर चखा और ये पकवान उन्हें इतना अच्छा लगा की उन्होंने ये पकवान बनाने वाले को अपने रसोइये में रख लिया. ये पकवान कुछ और नहीं बल्कि लखनवी बिरियानी थी जिसने हैदराबाद के नवाब का दिल जीत लिया था.

हैदराबादी बिरियानी की शुरुआत-

समय के साथ निज़ाम की पसंद और हैदराबाद के अपने स्वाद के अनुसार इस बिरियानी में बदलाव होते गए और धीरे धीरे कुछ ज्यादा कड़े और मीठे मसलों और तीखेपन का स्वाद लिए लखनवी बिरियानी बन गयी हैदराबादी बिरियानी.

हैदराबादी बिरियानी की लोकप्रियता-

आज हैदराबादी बिरियानी न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के और भी देशों में बहोत ही ज्यादा लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है. हैदराबाद और दक्षिण भारत में तो बिना बिरियानी के कोई भी उत्सव या समारोह अधूरा ही मन जाता है. आप हैदराबादी बिरियानी की जरुरत और महत्त्व को इसी बात से समझ सकते हैं की समय के साथ जो हैदराबादी बिरियानी गोस्त यानि मीट के साथ बनायीं जाती थी वो अब तरह तरह के मीट के अलावा विभिन्न प्रकार के सब्जियों के साथ भी बनायीं जाने लगी है.